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अतीत के पन्ने - उपन्यास
RACHNA ROY
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
कुछ अतीत के पन्ने ऐसे होते हैं जो कभी, कभी इन्सान को इतना मजबूर बना देता है कि जिंदगी जैसे रुक सी जाती है कहीं थम सी जाती है। दोस्ती आज मैं जो उपन्यास लेकर आई हुं। उसमें एक लड़की के जीवन से जुड़ी हुई हर एक पहलू को उजागर किया है। मुझे विश्वास है आप सभी को मेरी ये कहानी अच्छा लगेगा।
कुछ अतीत के पन्ने ऐसे होते हैं जो कभी, कभी इन्सान को इतना मजबूर बना देता है कि जिंदगी जैसे रुक सी जाती है कहीं थम सी जाती है। दोस्ती आज मैं जो उपन्यास लेकर आई हुं। उसमें एक ...और पढ़ेके जीवन से जुड़ी हुई हर एक पहलू को उजागर किया है। मुझे विश्वास है आप सभी को मेरी ये कहानी अच्छा लगेगा।क्या लिखूं कहा से शुरू करूं कुछ समझ नहीं आ रहा था। आज मां की बरसी थी पर कहने को इतनी बड़ी हवेली पर सम्भवतः गिने चुने लोग ही रह गए थे।इतनी बड़ी हवेली में तो बहुत से
रेखा ने कहा मेरे बाद तेरी बारी है। और अब आगे।।फिर से काव्या अपने वर्तमान में आ गई। और फिर रेखा उसके पति आलोक और छोटा बेटानीरज सब आ गए।छाया ने सबका सामान लेकर अन्दर आ गई। काव्या ने ...और पढ़ेजाओ रेखा दीदी के कमरे में रखवा दो।रेखा ने कहा बाप रे कितनी गर्मी है यहां? काव्या ने कहा छाया जा फ्रिज में से शरबत ले आ।आलोक ने कहा और कैसी हो काव्या? काव्या ने कहा बस ठीक हुं ।नीरज ने कहा अरे मासी भाई कहां है?काव्या ने कहा बस आता ही होगा। आप लोग फे्श हो जाओ और फिर नाश्ता
आलेख की जिम्मेदारी मैंने ली थी क्योंकि। और अब आगे।।डॉ ने रेखा दीदी का आपरेशन किया था जिस कारण उसे आराम करने की हिदायत दी गई थी।वो तो बेहोशी में पड़ी रहती थी दवा का असर इतना ज्यादा था ...और पढ़ेउसे कुछ होश नहीं रहता था और ऊपर से उसे खाना खिलाने का काम एक दाई करती थी।मैं क्या क्या करती हवेली सम्हाल कर फिर बाबू को लेकर ही सारा दिन कैसे निकल जाता था पता नहीं चलता और फिर एक अजीब सा डर भी लगा रहता था।कही कुछ अनहोनी न हो जाए। मां भी सब देख रही थी कि
आज हमेशा के लिए मैंने ही तुझे विदा किया और अब आगे।।फिर सब गंगा में स्नान करने के बाद सब हवेली आ गए।काव्या तो खुद को सम्हाल नहीं पा रही थी। कुछ देर बाद सरिता अपने पति के साथ ...और पढ़ेगई।और दो दिन बाद राधा भी आ गई थी।सब एक साथ बैठक में बैठ कर मां की श्राद्ध की तिथि देख रहे थे। पंडित जी बोले काव्या तूने ही सब किया है तो काम भी कर देना। काव्या ने सर हिला दिया और वो पत्थर जैसी बनी रही।नन्हा सा आलेख उसके आगे पीछे घूम रहा था और अपने तुतलाहट से
ये सत्य है कि मां अब नहीं है पर क्या मैं ये सहन कर सकती हुं क्यों नहीं मैं भी मां के साथ चली गई भगवान ने मुझे किस के सहारे छोड़ दिया हां।। यहां तो सब अपने ही ...और पढ़ेपर व्यवहार क्यों परायों जैसा है। ये सब कुछ सोच रही थी और फिर कब नींद आ गई और काव्या सो गई।फिर कब फिर सुबह हो गई और फिर देखा कि मां के कमरे में ही सो गई थी काव्या। सरिता अपने पति के साथ पहुंच गई अलीगढ़।सरिता ने कहा रेखा दीदी बड़ी मोटी हो गई। आलोक जीजाजी कहा है? रेखा ने