अतीत के पन्ने - भाग 43 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 43

आलेख ने कहा हां आज गुड़िया का अठारहवां सालगिरह है।।
मुबारक हो मेरी लाडो!
कैसी है तू!
ये कहते हुए उसके आंखों से बहते हुए आंसु पोंछते हुए कहा पता नहीं क्यों आज फिर से जीने का दिल कर रहा है।

छाया को गुजरे चार साल हो गए पर मैं अभी तक जिन्दा ही हु छोटी मां।
ना जाने किसका आसरा है मुझे फिर से कोई आने वाला है इस हवेली में शायद।


शाम की बहन अब टिफिन लेकर आती है।
चाय तो मैं खुद ही बना लेता हूं छोटी मां।।

कुछ देर बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई।
मैं जल्दी से दरवाजा खोला तो सामने देखा जतिन अंकल खड़े थे।
आलेख ने कहा अरे आज बड़े दिनों बाद।।
जतिन ने कहा हां, कुछ खुशखबरी है।
आलेख ने कहा हां, आइए।
बहुत साल हो गए कोई खुशखबरी नहीं मिली।
जतिन ने कहा हां बेटा।
ये शादी का कार्ड।
आलेख ने हंसते हुए कहा अरे बुढ़ापे में आप!
जतिन ने कहा अरे बाबा मैं नहीं मेरी नातिन नव्या की शादी है।
आलेख को कुछ समझ नहीं आया उसने पूछा क्या?.
जतिन ने कहा अरे पिया की बेटी नव्या की शादी है।
आलेख ये सुनते ही एक दम खुशी से उछल पड़ा और फिर बोला ओह गुड़िया की शादी है।।
जतिन ने कहा हां पिया ने कहा कि तुम्हें जरूर निमंत्रण दे दूं।
ये लो कार्ड।
आलेख ने कार्ड लेकर एक पागल की तरह करने लगा जतिन को भी हैरानी हुई पर वो वहां से चले गए।
आलेख ने वो कार्ड खोल कर देखा और उसे चूमने लगा और अपने सीने से लगा लिया।
एक बाप होने के बाद भी जो अपने बच्चे को देख भी नहीं पाया उसका दुःख क्या होता है ये तो बस।।।
आलेख ने चश्मा लगा कर अच्छी तरह से पढ़ने लगा और फिर बोला अब मुझे पता चला कि मैं अब तक क्यों जिन्दा हुं।
जिंदगी में कुछ काम अधूरे रह जाते हैं और उन्हें पुरा करने के बाद ही मौत आती है।

आलेख कार्ड पर लिखी तारीख को देखने लगा अरे ज्यादा समय नहीं है मेरे पास वक्त आ गया है सब कुछ करने का ।
१८तारिख की शादी है आज है ५तारिख।
आलेख ने फोन करके अपने वकील को बुलवा लिया और फिर कुछ कागजात बनवाने को कहा।।
वकील साहब ने कहा अरे बाबू इतनी जल्दी किस लिए?
आलेख ने कहा जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है आज हूं कल नहीं हूं।
वकील साहब ने कहा हां ठीक है।

फिर आलेख ने बहुत कुछ खरीदारी करवाई।
आलेख ने कहा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं हम अपनी लाड़ो को मैं राजकुमारी जैसी खुबसूरती देखना चाहता हूं।
अब एक ही आस बचा है मुझे एक बार उसे देखना है!!
समय ज्यादा नहीं है मेरे पास!हे भगवान! मुझे कुछ वक्त दे दो!
मुझे बस उसको ही देखना है।।
और आप मेरी मदद करो!!
ये सोचते हुए कब आंख लग गई पता नहीं चल पाया।।

दो दिन बाद ही वकील साहब आ गए और नया वसीयत बना कर।
आलेख ने कहा जैसे मैंने कहा था वैसे ही किया।।
वकील साहब ने कहा हां।
फिर आलेख ने देखा अच्छी तरह से और कहा कि हां ठीक है और ये लीजिए आपका रूपए। लिफाफा देते हुए कहा कि यह लीजिए।
वकील साहब ने लेकर कहा हां ठीक है मैं चलता हूं।
आलेख ने कहा हां ठीक है।
आलेख को खासी आने लगी और वो खांसते हुए उल्टी करने लगा देखा तो रक्त से गला भरा था और फिर वो रोने लगा और फिर बोला छोटी मां देखो मेरी अब हालात ठीक नहीं है अब जाने वाला हुं मैं।।
मेरी विनती है कि आप मुझे बस उसको एक बार देखने का मौका दीजिएगा।
आखिर पिया ने मेरा मान तो रखा उसने बुलाया मुझे और क्या!!
इस तरह से शादी कि तारीख नजदीक आ रही थी और आलेख का तबीयत भी बिगड़ती जा रही थी।।।


फिर आलेख ने शाम से कह कर टिकट कटवा दिया।
शाम को लगा कि अकेले नहीं छोड़ना चाहिए तो मैं भी जाऊंगा।
आलेख ने हंसते हुए कहा सब साथ छोड़ कर चले गए पर तुमने दोस्ती निभाई।।
मेरे जाने के बाद भी तुम्हारे जिम्मे सब छोड़ कर जाऊंगा और फिर जब नव्या को आना होगा तो वो आएंगी।
शाम ने कहा कौन!
आलेख ने कहा जिसकी शादी में हम जा रहें हैं।

फिर आलेख ने सब तैयारी कर ली और फिर दोनों निकल पड़े स्टेशन की ओर।

स्टेशन पहुंच कर ही गाड़ी भी प्लेटफार्म पर खड़ी थी।
अलीगढ़ से दिल्ली ज्यादा दूर नहीं था।।
फिर दिल्ली पहुंच गए।
आलेख की हालत गंभीर हो रही थी।
फिर किसी तरह से कार्ड पर लिखी पता देख कर वहां पहुंच गए दोनों।
बहुत भीड़ भाड़ था।
सब लोग आ रहे थे और कोई जा रहें थे।
फिर आलेख और शाम दोनों अन्दर पहुंच गए।
घर बहुत बड़ा आलीशान महल जैसा।
आलेख ने मन में सोचा अरे वाह पिया तो रानी बन कर रहती होगी।
कुछ दूर पहुंच कर देखा तो एक दीवार पर तस्वीर दिखा वो भी माला पहनाई हुं।वीर की तस्वीर थी।।
ओह! ये कैसे हुआ कभी बताया नहीं पिया ने?
अगले ही पल एक महिला ने कहा आइए आप लोग यहां आराम कर लीजिए।
फिर हम दोनों एक कमरे में जाकर बैठ गए और कुछ देर बाद ही हमारे लिए बहुत सारे खाने पीने का सामान आ गया।

आलेख इधर उधर देख रहा था कि कहीं तो गुड़िया दिख जाएं।।
कुछ देर बाद ही पिया आईं और फिर बोली अरे क्या हालत बना लिया है? कैसे हो?
मुझे यकीन था तुम जरूर आ़ओगे।।
नव्या जरा इधर आना।
नव्या जैसे ही अन्दर पहुंची तो आलेख ने देखा और उसके चहरे पर अजीब सी मुस्कान आ गई वो बोला छोटी मां तुम आ गई।।
वहीं हंसी, वहीं रंग, वहीं बाल घुंघराले, वहीं कद काठी, ओह मन मोहित हो गया मैं।
पिया ने कहा अरे बाबा देखो मैं कहा करती थी मेरे डाक्टर साहब दोस्त वो आए हैं और फिर आज वही तुम्हारा कन्यादान करेंगे बेटा! तुम्हारे पिता की यह आखिरी इच्छा थी।।
नव्या मुस्कान लिए कहा हां ठीक है। डाक्टर साहब के पैर छू लूं।
कैसे हैं आप? नव्या ने पूछा?
आलेख की अश्रु बहते जा रहे थे और फिर आशीर्वाद स्वरूप ये भेंट स्वीकार करो बेटा।।
नव्या ने कहा हां, ठीक है।
ये तो बहुत ही सुन्दर उपहार है मां क्या मैं यह पहन लूं।?
पिया ने कहा हां ठीक है।
नव्या के जाने के बाद पिया रोने लगी और फिर बोली आलेख मैं तुम्हें इस हालत में पहुंचाने वाली थी और मैं गुनहगार हूं तुम्हारी, अभी तक मैं नव्या को कुछ भी नहीं बता पाई।

पर बता दुंगी।
आलेख ने रोते हुए कहा कन्यादान का सुख जो मुझे तुमने दे दिया और एक मरने वाले को क्या चाहिए?
मुझे कैंसर है गले का,समय बहुत कम है मेरे पास!
पिया ने कहा ओह! ये भी मेरी वजह से हो गया तुम्हें।
मै तुमसे माफी मांगना चाहती हुं पर किस मुंह से मांगूं।।
पता है वीर जाते समय में मुझे यह करने को बोल गए कि जो नव्या का जन्मदाता है वो ही कन्यादान करेगा।
आलेख और पिया दोनों ही रोने लगे


क्रमशः।