सर्वश्रेष्ठ बाल कथाएँ कहानियाँ पढ़ें और PDF में डाउनलोड करें होम कहानियां हिंदी कहानियां फ़िल्टर: श्रेष्ठ हिंदी कहानियां मोबाइल में गाँव - 8 - सेहत के लिए योग आवश्यक द्वारा Sudha Adesh 75 सेहत के लिए योग आवश्यक-8 सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से उसकी आँखें खुल गईं । यह तो नित्य का उसका कृत्य बन गया था । खिड़की ... मोबाइल में गाँव - 7 - सुनयना चली शुगर फैक्टरी द्वारा Sudha Adesh 156 सुनयना चली शुगर फैक्ट्ररी -7‘ दादी, मुझे ये वाला बटर अच्छा नहीं लगता । आप जो बनाती हैं वह अच्छा लगता है ।’ परांठे के साथ रखे बटर को ... भावनाएं सब में होती हैं द्वारा Parnita Dwivedi 306 " तो क्या पेड़ - पौधे भी हमें सुन सकते हैं दादाजी!!?" सात साल के शुभ ने अपने दादाजी से पूँछा। " डॉ मनमोहन श्रीवास्तव" शुभ के दादाजी, एक ... मोबाइल में गाँव - 6 - बरसा पानी झम झमाझम द्वारा Sudha Adesh 186 बरसा पानी झम झमाझम -6 दूसरे दिन सुनयना का मनपसंद नाश्ता दलिया और ब्रेड आमलेट बना था । आज सुबह से ही बारिश हो रही थी । ... नन्ही गुड़िया द्वारा Asha Saraswat 471 पहली बार जब छोटे बच्चे स्कूल जाते है,रो-रो कर पूरा घर ही सिर पर उठा लेते है।सुबह उठने ... मोबाइल में गाँव - 5 - रामू गन्ना लाया द्वारा Sudha Adesh 228 रामू गन्ना लाया-5 ‘ बच्चों कहाँ हो तुम ? रामू गन्ना लाया है, चूसना है क्या ? ’ दादी ने आवाज लगाई । ‘ हाँ दादी ... मोबाइल में गाँव - 4 - गाँव की सैर द्वारा Sudha Adesh 318 गाँव की सैर-4 दूसरे दिन चिड़ियों की चहचहाहट सुनकर ही उसकी आँख खुली । उसने बाइनोकुलर से चिड़िया के घोंसले की ओर देखा । चिड़िया उन्हें खाना ... मोबाइल में गाँव - 3 - चिड़िया चहचहाई द्वारा Sudha Adesh 282 चिड़िया चहचहाई-3 दूसरे दिन सुबह कुछ आवाजें सुनकर सुनयना उठकर बैठ गई । उसने माँ को जगाकर उन आवाजों की ओर उनका ध्यान ... मोबाइल में गाँव - 2 - गाँव की ओर द्वारा Sudha Adesh 336 गाँव की ओर -2पापा चाचा ने मिलकर सामान अपनी गाड़ी में रखा । दिल्ली से अलीगढ़ तथा अलीगढ़ से ... मोबाइल में गाँव - 1 द्वारा Sudha Adesh 657 ट्रेन का सफर-1सुनयना को जैसे ही उसके ममा-पापा ने बताया कि इस बार क्रिसमस की छुट्टियों में उसके दादाजी के पास ट्रेन से गाँव जायेंगे, उसकी खुशी ... बाल कहानी - समझदार द्वारा Asha Saraswat 720 नानी के घर जाना सब बच्चों को बहुत ही अच्छा लगता है,सुनयना को भी अपनी नानी के घर जाने में बहुत अच्छा लगता था ।वह अपने भाई-बहिनों में सबसे ... बाल कहानी - राजा भैया द्वारा Asha Saraswat 873 राजू भैया को हर समय खेलना बहुत पसंद था।वैसे तो नाम उनका राजकुमार था लेकिन कभी-कभी राजा और अधिकतर उन्हें सब राजू भैया ही बोलते थे।राजू भैया खेलने में ... चिंटू की चतुराई... द्वारा NISHA SHARMA ‘YATHARTH’ 666 एक बार एक गाँव में एक लड़का अपने पापा और मम्मी के साथ रहता था जिसका नाम था,चिंटू!चिंटू की उम्र ग्यारह साल थी और वो पाँचवी कक्षा में पढ़ता ... जादुई पौधा द्वारा Rama Sharma Manavi 627 राजकुमार आदित्य राजगढ़ का राजकुमार था, महाराज, महारानी की इकलौती संतान।सात साल का राजकुमार अत्यंत कुशाग्र बुद्धि ,सुंदर शक्ल-सूरत का बालक था।माता-पिता के साथ पूरे महल के लोग,सेवक,सेविकाएं,मंत्री ... मूर्ति का रहस्य - 10 - समाप्त द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 582 मूर्ति का रहस्य दस: त्यागी और रामदास को मोहरों की तरफ ताकता देख, वहाँ से खिसकने के मनसूबे से रमजान और चंद्रावती तलघर से बाहर निकलने के लिये, ... मूर्ति का रहस्य - 9 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 468 मूर्ति का रहस्य - नौ: रमजान विश्वनाथ त्यागी के चेहरे के भावों से सब कुछ समझ गया कि श्रीमान को यहाँ भी कुछ समझ नहीं आया तो बोला - ... मूर्ति का रहस्य - 8 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 429 मूर्ति का रहस्य आठ बिस्तर पर पड़े पड़े रमजान सोच रहा था -‘‘चन्दा की वजह से समय का पता ही नहीं चलता था। उसे गाँव पहुँचाया ... मूर्ति का रहस्य - 7 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 549 मूर्ति का रहस्य -सात चन्द्रावती को जैसे ही पास-पढ़ौस के लोगों ने घर में देखा, गाँव भर में शोर हो गया । किले से पहली बार कोई जीवित लौटकर ... सलोनी द्वारा RACHNA ROY 1.2k सलोनी बहुत प्यारी सी गुड़िया जैसी बच्ची है और वह अपने दादा-दादी के साथ रहती है , दुर्भाग्यवश उसके माता-पिता कि एक दुर्घटना में मौत हो चुकी है। सलोनी ... मूर्ति का रहस्य - 6 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 672 मूर्ति का रहस्य छः सेठ रामदास की दूती शान्ति कही चाय के बहाने, कही नाश्ते के बहाने बार बार तलघर में आ जाती और लौट कर चन्द्रावती की स्थिति ... मूर्ति का रहस्य - 5 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 825 मूर्ति का रहस्य 5 रमजान किले के ऊपर सीधा दरगाह पर जा पहँुचा। उसने वहाँ अगरबत्ती लगाई और नमाज की मुद्रा में सलाम करने बैठ गया। ... मूर्ति का रहस्य - 4 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 723 मूर्ति का रहस्य चार गाँव में नया सरकारी हाई स्कूल शुरू हुआ था जिसमें विज्ञान के नये शिक्षक अशोक शर्मा, एक दिन पहले ही उपस्थित हुऐ थे। उस ... मूर्ति का रहस्य - 3 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 825 मूर्ति का रहस्य तीन फरवरी का महीना था । बसन्त ऋतु थी एक दिन एक जीप सालवाई गाँव के हनुमान चौराहे पर आकर रूकी। जीप पर लिखा था-‘‘पुरातत्व ... मूर्ति का रहस्य - 2 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 798 मूर्ति का रहस्य - दो गाँव में तीज-त्यौहार आते हैं तो लोग सारे डर और आतंक भूल कर उनमें रम जाते हैं। ऐसा ही हुआ। दशहरे का पर्व ... लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान કંઈપણ मूर्ति का रहस्य - 1 द्वारा रामगोपाल तिवारी (भावुक) 1.7k मूर्ति का रहस्य 1 बाल उपन्यास रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर भोला बन्दर और नटखट चुहिया द्वारा RACHNA ROY 1.7k चंपक वन में सभी जानवर खुशी से मिल -जुल कर रहते थे, कि एक दिन अचानक एक साल बाद नितु चुहिया शहर से वन में रहने आ गई। चंपक वन ... ऊंचे लोग, नीचे लोग द्वारा SAMIR GANGULY 747 पार्क किनारे एक इमली का पेड़ था. विशाल पेड़ के तने में कोटर बनाकर बिरजूगिलहरी का परिवार रहता था. और पेड़ की जड़ में मिट्टी का बिल बनाकर मूषक चूहें का परिवार रहता था.दोनों ... उसकी भूमिका द्वारा SAMIR GANGULY 666 3.उसे उम्मीद न ती कि ऐसा होगा. ऐन मौके पर जाने कहां से संतू टपक पड़ा औरऐलान कर बैठा कि अपना पार्ट मैं ही करूंगा.बस हो गई चंदर की छुट्टी. ज़िन्दगी में पहली बार स्कूल के ड्रामे में पार्ट करने कामौका मिला था. जब वह मेकअप करके ड्रामा शुरू होने की प्रतीक्षा कर मास्टर जी का चश्मा द्वारा SAMIR GANGULY 1k 1.उस रात खूब जमकर बारिश हुई थी. सुबह होते ही यह खबर सारे मोहल्ले में फैलगयी कि मास्टर अयोध्या प्रसाद गोसाई अब नहीं रहे. जब गोकुल ने यह सुना तोउसे लगा कि कानों ने गलत सुना है. हालांकि गोसाई मास्टर पिछले तीन वर्षों सेदमे के मरीज थे, उम्र भी दस का पहाड़ा सा उनका ऐरावत द्वारा SAMIR GANGULY 882 सारा गांव ही परेशान था. थानेदार जी भी हार गए थे. लेकिन बूढ़े- बूढ़ियों में धैर्यअब भी बाकी था, तभी तो वह जीभ को दांतों के तले दबा कर कहते -ना भई ना, इंद्र देवता को नाराज करना ठीक नहीं.असल में बात यह थी कि बरसों में गांव में गेरूए वस्त्र धारी हट्टे-कट्टे बीस