घने जंगल में एक विशाल नदी बहती थी, जिसका पानी नीला और साफ था। नदी के किनारे हरे-भरे पेड़, रंग-बिरंगे फूल और अनेक प्रकार के जानवर रहते थे। उस जंगल में एक सुंदर और आकर्षक मोर रहता था, जिसका नाम मोहन था। मोहन अपनी लंबी, रंग-बिरंगी पूंछ के लिए पूरे जंगल में प्रसिद्ध था।
### मोहन का गर्व
मोहन अपनी सुंदरता पर बहुत गर्व करता था। वह हमेशा अपनी पूंछ को फैलाकर नाचता और अपने आप को सबसे सुंदर मानता। वह जंगल के अन्य जानवरों से बात करता, लेकिन हमेशा उन्हें अपनी सुंदरता के बारे में बताता रहता। वह सोचता था कि उसकी सुंदरता के सामने कोई और जानवर नहीं टिक सकता।
### तितलियों का आगमन
नदी के किनारे कई सुंदर तितलियाँ भी रहती थीं। वे रंग-बिरंगी होती थीं और उनकी उड़ान बहुत ही आकर्षक होती थी। तितलियों का समूह हमेशा फूलों के पास मंडराता रहता और अपने नाजुक पंखों से फूलों का रस पीता था। इन तितलियों में प्रमुख थीं - नीली तितली, पीली तितली, लाल तितली और हरी तितली।
### मोहन का तितलियों से परिचय
एक दिन, जब मोहन नदी के किनारे टहल रहा था, उसने देखा कि तितलियों का समूह फूलों के पास मंडरा रहा है। मोहन ने सोचा कि ये तितलियाँ भी उसकी सुंदरता को देख कर प्रभावित होंगी। वह तितलियों के पास गया और अपनी पूंछ फैला कर नाचने लगा।
तितलियों ने मोहन की सुंदरता को देखा और उसकी प्रशंसा की। नीली तितली ने कहा, "मोहन, तुम वाकई बहुत सुंदर हो। तुम्हारी पूंछ के रंग बहुत ही आकर्षक हैं।" मोहन ने गर्व से कहा, "हाँ, मैं जानता हूँ। मैं इस जंगल का सबसे सुंदर जानवर हूँ।"
### तितलियों का विनम्रता
तितलियों ने मोहन की बातों को ध्यान से सुना और विनम्रता से कहा, "मोहन, तुम्हारी सुंदरता बहुत अद्भुत है, लेकिन हमें लगता है कि सुंदरता केवल बाहरी नहीं होती, बल्कि दिल की सुंदरता भी महत्वपूर्ण होती है।"
मोहन ने उनकी बातों को हल्के में लिया और कहा, "तुम लोग क्या जानो सुंदरता के बारे में। मेरी पूंछ की तुलना में तुम्हारे पंख कुछ भी नहीं हैं।"
### नदी के पार की यात्रा
एक दिन, जंगल में एक बड़ा आयोजन हुआ। सभी जानवर नदी के उस पार जाना चाहते थे, जहां आयोजन हो रहा था। नदी पार करना कठिन था, क्योंकि उसमें धाराएँ बहुत तेज थीं। जानवरों ने मिलकर एक योजना बनाई और एक नाव तैयार की।
मोहन ने सोचा कि वह अपनी पूंछ फैलाकर नदी पार कर लेगा। उसने तितलियों को भी यह बताया और उन्हें अपनी मदद की पेशकश की। तितलियों ने विनम्रता से कहा, "मोहन, हम तुम्हारी मदद के बिना भी नदी पार कर सकते हैं। हम उड़ सकते हैं और हमें किसी की मदद की जरूरत नहीं है।"
### मोहन की असफलता
मोहन ने तितलियों की बातों को नजरअंदाज किया और अपनी पूंछ फैलाकर नदी पार करने की कोशिश की। लेकिन नदी की तेज धाराओं ने उसे बहा दिया और वह मुश्किल में पड़ गया। मोहन ने महसूस किया कि उसकी सुंदरता उसकी मदद नहीं कर पा रही है और उसे असली कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
### तितलियों की मदद
जब तितलियों ने देखा कि मोहन मुश्किल में है, तो उन्होंने तुरंत उसे बचाने का निर्णय लिया। तितलियों ने मिलकर अपनी पंखों की ताकत से मोहन को नदी के किनारे तक खींचा। मोहन ने तितलियों की मदद से अपनी जान बचाई और समझा कि उसकी सुंदरता अकेली उसकी मदद नहीं कर सकती।
### मोहन की समझदारी
मोहन ने तितलियों का धन्यवाद किया और समझा कि सच्ची सुंदरता दिल की होती है। उसने तितलियों से माफी मांगी और कहा, "तुम लोग सही थीं। सच्ची सुंदरता बाहरी नहीं, बल्कि दिल की होती है। मैं तुमसे माफी मांगता हूँ और तुम्हारी मदद के लिए धन्यवाद देता हूँ।"
### तितलियों का उत्तर
तितलियों ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं, मोहन। हम सब यहां एक-दूसरे की मदद करने के लिए हैं। हमारी असली सुंदरता हमारी विनम्रता और सहृदयता में है।" मोहन ने तितलियों की बातों को दिल से स्वीकार किया और उनकी सच्ची सुंदरता को पहचाना।
### जंगल का आयोजन
इसके बाद, मोहन और तितलियाँ मिलकर नदी पार गए और जंगल के आयोजन में शामिल हुए। सभी जानवरों ने मोहन की बहादुरी और तितलियों की मदद की कहानी सुनी और उन्हें सराहा। मोहन ने सभी जानवरों को बताया कि उसने सच्ची सुंदरता का महत्व समझा है और अब वह अपनी बाहरी सुंदरता पर घमंड नहीं करेगा।
### सीख और प्रेरणा
इस घटना ने जंगल के सभी जानवरों को एक महत्वपूर्ण सीख दी। उन्होंने समझा कि सच्ची सुंदरता केवल बाहरी नहीं होती, बल्कि दिल की सुंदरता भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। विनम्रता, सहृदयता और मदद करने की भावना ही हमें सच्चे अर्थों में सुंदर बनाती है।
### समाप्ति
इस तरह, मोर मोहन और तितलियों की कहानी ने जंगल के सभी जानवरों को प्रेरित किया और उन्हें सिखाया कि सच्ची सुंदरता दिल की होती है। मोहन ने अपनी गलती से सीखा और तितलियों के साथ एक नई मित्रता की शुरुआत की। जंगल में फिर से शांति और सौहार्द का माहौल बन गया और सभी जानवर मिल-जुलकर खुशी-खुशी रहने लगे।
समाप्त।