सर्वश्रेष्ठ महिला विशेष कहानियाँ पढ़ें और PDF में डाउनलोड करें होम कहानियां हिंदी कहानियां फ़िल्टर: श्रेष्ठ हिंदी कहानियां तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी हैं? द्वारा Saroj Verma 186 तेरा साथ हैं तो मुझे क्या कमी है? मम्मा! आपका टिफिन, फिर छोड़ दिया ना किचन में,आज फिर आपको कैन्टीन का लंच करना पड़ता, कितनी लापरवाह हैं ना आप! ... पथराई हुई औरत द्वारा Neelam Kulshreshtha 387 [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] [ अब तक आपने लेखिका की चार कहानियां 'औरत सीरीज़ 'की पढ़ीं हैं -'वो दूसरी औरत', 'कटी हुई औरत ', उस पार की औरत ', ... एक स्त्री के कारनामे द्वारा Suryabala 198 सूर्यबाला मैं औसत कद-काठी की लगभग खूबसूरत एक औरत हूँ, बल्कि महिला कहना ज्यादा ठीक होगा। सुशिक्षित, शिष्ट और बुद्धिमती, बल्कि बौद्धिक कहना ज्यादा ठीक होगा। शादी भी हो ... मोहरा बनाम औरत द्वारा Neelam Kulshreshtha 582 नीलम कुलश्रेष्ठ वो एक सरकारी सुहावनी कॉलोनी है --------एक कतार में बने बंगले, जिनके अहातो में पेड़ पौधे, बीच के रास्ते पर गमलों की लम्बी कतारें हैं. किसी किसी ... मनुष्य-राजेन्द्र लहरिया की कहानी द्वारा राज बोहरे 222 राजेन्द्र लहरिया मनुष्य कहानी राजेन्द्र लहरिया हिंदी कहानीकारों में महत्वपूर्ण नाम है। उनकी कहानी "मनुष्य " न केवल स्त्री से बल्कि मनुष्य मात्र से ताल्लुक रखती है, ... ज़िन्दगी का आखिरी दिन द्वारा Saroj Verma 366 अरे, सुबह के चार बजे का अलार्म बजा,चलो उठती हूं, लेकिन आज कुछ अजब सा एहसास हो रहा है,उम्र जो हो गई है, साठ कि जो हो गई हूं,चल ... कुछ ख़्वाब अधूरे से द्वारा Dr. Vandana Gupta 291 बहुत पहले एक फ़िल्म आई थी... 'जागते रहो'... उसमें एक गाना था...ज़िन्दगी ख्वाब है... ख्वाब में झूठ क्या और भला सच है क्या... आज सोचती हूँ कि क्या वाकई ज़िन्दगी ... सीता की रामायण द्वारा Saroj Verma 621 बधाई हों जमींदार साहब! बेटी हुई है... शहर से आई डाक्टरनी ने बेटी का जन्म कराकर प्रसूति गृह से बाहर निकलते ही कहा।। फिर से लड़की, जमींदार ... फाइल द्वारा Yogesh Kanava 318 फाइल कोई चार बजे होंगे, सरकारी दफ्तरों में प्राय चार बजे ही शाम होने लगती है या यूं कहें कि लोग मान लेते हैं कि शाम हो गई है ... कटी हुई औरत द्वारा Neelam Kulshreshtha (12) 969 नीलम कुलश्रेष्ठ " हूँ-------हूँ ----हूँम ----हूँम ----हूँ---. " वह बाल बिखराये सफ़ेद धोती में झूम रही थी, उसके मुँह से अजीब अजीब आवाज़े निकल रहीं थी. उसके घुँघराले बाल ... निरपराध तो नही थी द्रोपदी भी द्वारा Yogesh Kanava 561 निरपराध तो नही थी द्रोपदी भी स्वर्गाधिपति का दरबार , दरबार में आज एक विचित्र सी स्थिति देखने को मिल रही है। सारे दरबारी सन हैं क्योंकि ऐसा ना ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 16 - अंतिम भाग द्वारा Neerja Hemendra 321 कहानी -16- ’’ वो एक वामा हैं ’’ मोबाइल फोन की घंटी बजी। मैं उठ कर नम्बर देखती हूँ। यह नम्बर चन्दा चाची का है। आज लम्बे अरसे बाद ... सम्बल द्वारा Yogesh Kanava 450 सम्बल मोबाइल की घण्टी बजी, नीलमणि ने झट से मोबाइल उठाया और देखा, अरे वाह तिवारीजी का फोन है । झट से कान के लगाया और बतियाने लगी । ... The girl's life is abandoned without dreams - 4 द्वारा navita (16) 456 ?थोड़ा सोचो--? कौन गुनहगार ?"तू निकल मेरे घर से , एक तो चोरी करती है ऊपर से झूठ बोलती है। जा निकल ""मैडम मैंने चोरी नहीं करी, मुझे नोकरी ... उस पार की औरत द्वारा Neelam Kulshreshtha 831 नीलम कुलश्रेष्ठ मेरी सरहदों पर बिंदी, बिछुए, सिन्दूर -------अधिक कहूं तो पायल का पहरा है. ये सब तो तुम्हारे पास भी हैं फिर कैसे तुम उस पार की औरत ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 15 द्वारा Neerja Hemendra 276 कहानी- 15 ’बिब्बो’ बड़े शहरों को जहाँ बड़े-बड़े बंगले, बिल्डि़गें, चैड़ी साफ सुथरी सड़कें, माॅल्स,दुकाने, बड़े-बड़े कार्यालयों में कार्य करते अफसरों, बाबुओं व व्यापारियों का समूह बड़ा बनाता है, ... छोटी सी बात द्वारा प्रीति कर्ण 411 मैं उजाला को गौर से देख रही थी। अपने नाम की तरह शांत और आकर्षक चेहरे वाली वो बेहद खूबसूरत लड़की थी। पिछले सात-आठ महीने पहले उसने मेरे पार्लर ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 14 द्वारा Neerja Hemendra 300 कहानी -14 ’’ मुक्त कर दो मुझे ’’ वह तीव्र कदमों से कार्यालय की ओर बढ़ती जा रही थी। घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने के साथ ही साथ ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 13 द्वारा Neerja Hemendra 282 कहानी-13- ’’ पगडंडियाँ ’’ नोरा ने स्टाफ रूम में आ कर मेज पर अपना पर्श रख दिया। तत्पश्चात् कुर्सी पर आराम से बैठते हुए गले में लिपटे ऊनी स्कार्फ ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 12 द्वारा Neerja Hemendra 300 कहानी 12 - ’’ समर्पण से कहीं आगे ’’ रेचल शनै-शनै सीढियाँ चढ़ती हुई छत पर आ गई। प्रातः के नौ बज रहे थे। वह आज छत की साफ-सफाई ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 11 द्वारा Neerja Hemendra 306 कहानी-11’ ’’ये नही है तुम्हारी नियति ’’ बसंती अपना घर साफ करते-करते घर के सामने की गली को भी बुहारती जा रही थी। यह काम उसका प्रतिदिन का है, ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 10 द्वारा Neerja Hemendra 213 कहानी -10- ’’ विमर्श आवश्यक नही ’’ जीवन के जो क्षण, दिन, माह, वर्ष, व्यतीत हो जाते हैं, वो क्यों नही हमारी स्मृतियों से भी मिट जाते। बीते समय ... मुक्ति द्वारा Saroj Prajapati 840 चल यार आज तुझे दिल्ली की रंगीनियों दिखाते हैं ।"अमित के दोस्त ने हंसते हुए कहा। "मतलब!" "तू चल तो सही हमारे साथ। आज तू जिंदगी की भरपूर मजे ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 9 द्वारा Neerja Hemendra 279 कहानी--9- ’’ पीले पत्ते ’’ राजेश्वर की नींद तो न जाने कब की खुल चुकी थी। कदाचित् प्रातः चार से पूर्व, किन्तु वह बिस्तर पर लेटे-लेटे बहुत देर तक ... लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान કંઈપણ छंटनी द्वारा राज बोहरे 621 तनु चकित रह गई । कार्यालय को पूरी तरह सुनसान देख उसे अजीब सा लगा। बिस्मय के कारण भोंहों के ऊपर माथे पर उभर आई सिकुड़नों को छिपाने का ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 8 द्वारा Neerja Hemendra 309 ’कहानी’ - 8- ’’ये वो प्रियम्बदा तो नही’’ मैं आॅटो के लिए खड़ी थी। पीछे से किसी ने कंधे पर हाथ रखा। मैं चैंक पड़ी। पलट कर देखा तो ... सर्दी में गर्मी का अहसास द्वारा Neelima Sharrma Nivia 537 मौसम की साज़िशें बेहतरघर के भीतर उदास रहने से#निविया यह हँसते हँसाते हुए आजकल के दूल्हा दुल्हन कितने प्यारे लगते है न । जैसे चाँद के रथ पर सवार ... जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 7 द्वारा Neerja Hemendra 270 कहानी-7- ’’ ये दुनिया है......मित्र ! ’’ एक लम्बे अन्तराल के पश्चात् आज अकस्मात् कुसुम का फोन आया था, अतः मुझे कुछ क्षण अवश्य लगे कुसुम को पहचानने में। ... त्रिखंडिता - 22 - अंतिम भाग द्वारा Dr Ranjana Jaiswal 381 त्रिखंडिता 22 'मैं आपकी पत्नी नहीं हूँ | ' -पर मैं तो मानता हूँ | 'मान लेने से कोई किसी की पत्नी नहीं हो जाती | ' -तो इधर ... बाबुल का घर द्वारा Sunita Agarwal 996 मायके से विदा होते हुए अवनी संज्ञा शून्य सी हो गई थी।जैसे वो अपने होशोहवास में नहीं थी।आँसू थे कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।पति अखिल ने ...