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KAALI TEASERYEAR 2150एक बूढ़ा व्यक्ति बड़ी सी मॉनिटर स्क्रीन के सामने खड़ा होकर...
कहानी: "छांव उसी पेड़ की थी" गांव के एक कोने में एक वृद्ध रहते थे नाम था श्री...
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आज इस शोर भरे मेट्रो में भी मुझे अकेला पन लग रहा था , मेरे चारों तरफ कितने लोग थ...
आंसू सूख गए जिस गति से संसार भौतिकता की ओर जा रहा है , उस के कारण नये नये रोगों...
कड़ाके की ठंड थी। जनवरी की सर्द रात में कोहरा इतना घना था कि सड़क पर कुछ मीटर आग...
चंद्रमंदिर का रहस्यबहुत समय पहले सूर्यवंशी राजा यहाँ राज्य करते थे। उस समय बंगाल...
द्वित्तीय अध्याय तक्षशिला यात्राजलाशय के तट पर बैठा कंबल ओढ़े एक अधेड़ आयु का दि...
कहानी शीर्षक: "लफ्ज़ों से आगे..."लेखिका: InkImaginationप्रस्तावना: यह कहानी एक...
कहानी का शीर्षक: “सपनों का बंटवारा”लेखक: विजय शर्मा ऐरीअजनाला के पास एक बड़ा सा...
बात 1920 के दशक की है । उस समय जहां देखो वहीं गरीबी का आलम था। बहुत ही ऐसे कम परिवार थे जहां पर दो समय की रोटी आराम से मिलती हो । अधिकतर गरीबी से जूझ रहे थे। मैं ऐसी ही परिस्थितियो...
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित पांडुआ गाँव के जंगल में स्थित चंद्रताला मंदिर में वर्षों पहले राउभान नाम के चंद्रवंशी सामंत ने प्राप्त खजाने को प्रजा के हित में उपयोग किया जाए और...
कहानी शुरू होती है मेवाड़ के एक नगर नागदा से जहाँ भीलों के एक कबीले को घेरकर गुहिलवंशी शिवादित्य भीलों के सरदार भीलराज बलेऊ को द्वन्द की चुनौती देता है। वो बलेऊ को हराकर उसे मारने व...
एक पुराना किला जहां कैद है एक नर पिशाच सालो पहले जिसे बंद किया आज उसे आजाद होने के लिए आदिराज की बेटी का सहारा मिल गया ,अदिति उसकी सच्चाई से अंजान उसकी मासूमियत में फंस जाती है ।...
कमरे में सिर्फ़ एक बल्ब जल रहा था — पीली, थकी हुई रोशनी में दीवारें चुपचाप साँस ले रही थीं। एक खामोशी जो सतह पर ठंडी लगती थी, पर भीतर आग जैसी सुलगती। आरव की आँखें छत पर टिकी थीं, ल...
शहर की गलियों में उस दिन बरसात कुछ ज़्यादा ही बेक़रार थी... जैसे बादलों के पास कहने को बहुत कुछ हो और वो किसी से छुप-छुप कर रो रहे हों। काव्या, एक छतरी के बिना, बूँदों से भीगती...
यह कहानी है इंद्रजीत और माया की माया एक उड़तीपतंग सी लड़की जिसे हंसना और हंसाना आता है। वहीं दूसरी तरफ है इंद्रजीत खन्ना जिसे हर चीज अपने हिसाब से चाहिए होता है अगर वह चीज उनके...
शाल ओढ़े एक नवयुवती अंधेरे में टेण्ट के भीतर बैठी अपने शिशु को स्तनपान करा रही है। उसकी उजली छाती का आधा भाग शाल से ढका हुआ है तथा वह दूर से आती शेर की दहाड़ और पेड़-पौधों व पत्तों...
वाराणसी की तंग गलियों में अर्जुन का छोटा सा घर था, जहाँ वह अपनी पत्नी सुमन और छह साल के बेटे मोहन के साथ रहता था। एक साधारण मजदूर, जो सुबह काम पर जाता और शाम को दो वक्त की रोटी का...
दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ थी। हर कोई अपनी मंज़िल की तरफ भाग रहा था। गाड़ियों की आवाज़ें, चायवालों की पुकार, और बैग घसीटते हुए लोग — मानो हर चेहरा किसी कहानी का हिस्सा हो।...
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