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निलावंती ग्रंथ - एक श्रापित ग्रंथ.. - उपन्यास
Sonali Rawat
द्वारा
हिंदी आध्यात्मिक कथा
निलावंती एक श्रापित ग्रंथ की पूरी कहानी।
निलावंती ग्रंथ-
दोस्तो निलावंती ग्रंथ को भारत सरकार ने बैन कर दिया है क्योंकि इस ग्रंथ को एक श्रापित यक्षिणी के द्वारा लिखा गया है। ऐसा माना जाता है कि जिसने भी लालचवश इस किताब को पढने की कोशिश की उसकी मृत्यु हो गई या फिर वह पागल हो गया। जब बहुत सारे मामले आने लगे तो भारत सरकार ने ग्रंथ को पढने पर पूरी तरह से बैन लगा दिया।
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निलावंती एक श्रापित ग्रंथ की पूरी कहानी-
दोस्तो यह बहुत समय पहले की बात है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव मे एक आदमी था उसकी एक पत्नी और एक छोटी सी बच्ची थी। जब वह बच्ची पाँच वर्ष की हुई तो उसकी माँ की मृत्यु हो गई। इस बच्ची का नाम निलावंती था। निलावंती की माँ की मृत्यु के पश्चात निलावंती के पिता ने उस गाँव को छोड दिया और निलावंती को लेकर दूसरे गाँव मे चले गये। दोस्तो निलावंती के पिता जी को आर्युवेद का अच्छा खासा ज्ञान था। निलावंती भी अपने पिता से आर्युवेद का ज्ञान लेती थी। निलावंती के अंदर एक खासियत थी कि वह पेड पौधो, जानवरों, पशु पक्षियों सब की भाषा समझती थी।
निलावंती एक श्रापित ग्रंथ की पूरी कहानी।निलावंती ग्रंथ-दोस्तो निलावंती ग्रंथ को भारत सरकार ने बैन कर दिया है क्योंकि इस ग्रंथ को एक श्रापित यक्षिणी के द्वारा लिखा गया है। ऐसा माना जाता है कि जिसने भी लालचवश इस ...और पढ़ेको पढने की कोशिश की उसकी मृत्यु हो गई या फिर वह पागल हो गया। जब बहुत सारे मामले आने लगे तो भारत सरकार ने ग्रंथ को पढने पर पूरी तरह से बैन लगा दिया।निलावंती एक श्रापित ग्रंथ की पूरी कहानी-दोस्तो यह बहुत समय पहले की बात है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव मे एक आदमी था उसकी
“नीळावंती के बारे में और एक बात प्रसिद्ध थी की उसे जाननेवाला एक मनुष्य आज भी जीवित है उसे लोग बाजिंद कहते है और वह महाबळेश्वर के जंगलों में रहता है कहते है उसकी आयु १००० वर्ष से ...और पढ़ेज्यादा है। अब सबसे आसान तरीका तो यह है की पहले बाजिंद को खोजा जाये जो उसे जानने वाला है और उसके पास से जो जानकारी मिले उसके आधार पर नीळावंती की खोज करे। और एक बात आप को बता दू जो लोग नीळावंती के पीछे थे वह चाहे जिस भी काल में हुये हो या फिर किसी भी जगह से
उस तांत्रिक ने मेरा हाथ पकड़कर उस जलती हुई चिता के पास लेकर गया। मैंने देखा वह चिता कम और हवनकुंड ज्यादा लग रहा था। उसके आस-पास बहुत सी अजीबोगरीब चीजे रखी हुई थी। उसमें से कुछ तो भयानक ...और पढ़ेथी जैसे की इंसान की खोपड़ी, खून से भरे प्याले, अलग अलग मिट्टी के बर्तनों में कई पशुओं के अंग भर कर रखे हुए थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था की ये सब चल क्या रहा है। मैंने तांत्रिक को पुछने का सोचा लेकिन तांत्रिक ने जैसे मेरी इच्छा भाँप ली। उसने उँगली मुँह पर रखते हुए इशारे से
बीस सालो तक मैं खुद का पेट भरने के लिये भटकता रहा। क्योंकि मैं सिर्फ अघोरी के साथ रहता था लेकिन मुझे सभी तांत्रिक क्रियायें नहीं आती थी तो मेरा गुजारा मुश्किल से ही हो पाता था। तो मैंने ...और पढ़ेपिशाच्च वश करने की सोची और साल भर से मैं किसी की तलाश कर रहा था। हर ऐसे गाव मे जाकर जहाँ बाँझ औरतें है मैंने यह विधि पुरी करने का प्रयत्न किया लेकिन सफल नहीं हो सका। फिर मैं तुम्हारे गाव में आया मैंने एक पूरा सप्ताह तुम पर नजर रखी और फिर यह विधि आयोजित की जिसमें मैं
रावसाहेब और बाबु दोनों ही वेताल की मूर्ति के पीछे से चल पड़े । जैसे जैसे अंदर जा रहे थे वैसे जंगल और ज्यादा घना हो रहा था। वे इतना अंदर पहुँच गये की दोपहर होने के बावजूद रात ...और पढ़ेअंधेरा छा रहा था। सीधे चलना जितना कहा गया था उतना आसान नहीं था। क्योंकी रास्ते में पेड़ पौधे, बड़ी बड़ी शिलाये इतनी थी की कई बार रास्ता भटक जाते थे। उन्होंने मशाल जलायी जो साथ मे लाई थी। पता नहीं कितनी देर हुई लेकिन ना वेताल की मूर्ति दिखने का नाम ले रही थी, जंगल खत्म होने का। अचानक