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अध्याय 16, XVI1 उन पुरूषों ने मुझे दूसरा मार्ग, अर्थात चंद्रमा का मार्ग, बारह बड...
भारत के एक शांत से कस्बे देवपुर में ज़िंदगी हमेशा की तरह चल रही थी। सुबह मंदिर क...
कुछ महीने बाद...वही रोशनी, वही खुशी,लेकिन इस बार मंच नहीं — मंडप सजा था।सामने बै...
--- एपिसोड 55 — “नदी किनारे अधूरी रात”रात अपने काले आँचल को और गहरा करती जा रही...
आज निशा के बच्चों के स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग थी निशा अपने बच्चों के साथ स्कूल...
डिग्री के बाद भी बेरोज़गारी(भारतीय शिक्षा व्यवस्था की एक सच्ची कह...
अपूर्व के सवाल पर फरजाना जोर से हंस दी और बोली - “वो अधूरा सच था, तुम्हारी माँ द...
वाजिद हुसैन सिद्दीक़ी की कहानी अदालत की खिड़की से हल्की धूप भीतर घुस रही थी। धूप...
भूल-91 इतिहास के साथ ‘रचनात्मक’ होना (विकृत करना) जबरदस्ती से की गई नेहरूवादी-मा...
खोयी हुई चाबीVijay Sharma Erry सवाल यह नहीं कि चाबी कहाँ खोयी, सवाल यह है कि हमन...
आसमान में काले बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे आज इंदर देव रूष्ट हो और अपना सारा कोप निकालना चाहते हो,बरसात आने की आशंका में सभी लोग अपना काम जल्दी-जल्दी समेट कर अपने घर पहुंचन...
गाँव की सुबह हमेशा की तरह शांत थी। हल्की धूप खेतों पर फैल रही थी, हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू घुली हुई थी। वह उसी गाँव में पला-बढ़ा था, सयुग जहाँ हर कोई एक-दूसरे को नाम से जानता...
किसी किताब में मैने पढा था कि जीवन का रहस्य आपके विचार हैं। यदि आप यह समझ लें कि आप क्या सोचते हैं, क्या चाहते हैं, या कैसी मानसिकता रखते हैं तो आप जीवन में घटने वाली घटनाओं को अपन...
योगेश और संगीता का घर जगमगा रहा था। सुंदर बिजली की लड़ियाँ मानो बार-बार खिलखिला कर हँस रही थीं। आने-जाने वालों का मन मोहने वाली इस घर की सुंदरता में ताज़े फूलों की ख़ुशबू अपनी उपस्...
मित्रों ! प्रणाम जीवन की गति बहुत अदभुत है | कोई नहीं जानता कब? कहाँ?क्यों? हमारा जीवन अचानक ही बदल जाता है ,कुछ खो जाता है ,कुछ तिरोहित हो जाता है |हम एक आशा की प्रतीक्षा में खड़े...
सर्दियों की हल्की धूप अहमदाबाद की सड़कों पर अपनी सुनहरी रेखाएँ बिखेर रही थी। अवनी की नजरें खिड़की से बाहर फैलते शहर पर थीं। ट्रेन धीरे-धीरे मणिनगर स्टेशन पर पहुंची, और उसकी आवाज़ म...
बलवीर की बल्ली---पंजाब की मिट्टी में पली-बढ़ी दो आत्माएँ…एक था बलवीर — राजपूत पंजाबी, जन्मजात कुश्तीबाज़, जिसने अब तक कभी कोई मुकाबला नहीं हारा था।दूसरी थी बल्ली — निचली जाति की ल...
छोटे से कस्बे की गलियों में एक टूटा-फूटा सा मकान था, जहां एक मां-बेटी रहती थीं। मां का नाम सरला था और बेटी का नाम पायल। रिश्ते में मां तो थी सरला, पर जन्म देने वाली नहीं — सौतेली थ...
आत्म कथ्य जीवन और हम जीवन में असफलताओं को करो स्वीकार मत होना निराश इससे होगा वास्तविकता का अहसास। असफलता को सफलता में परिवर्तित करने का करो प्रयास। समय कितना भी विपरीत हो मत डरना...
एक छोटे से गाँव में जन्मा आरव नाम का लड़का गरीबी में पला-बढ़ा। घर में इतना पैसा भी नहीं था कि वह अच्छे कपड़े या किताबें खरीद सके। लेकिन उसकी आँखों में हमेशा बड़े सपने थे। बचपन म...
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