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पति ब्रह्मचारी – भाग 1 : जन्म और बचपनप्रस्तावनाधरा पर ऐसे कई व्यक्तित्व आए हैं,...
यह कहानी पाँच दोस्तों की है – शिवी, शिलु, सालु, परी और मोना की।इस कहानी का सबसे...
न्यूयॉर्क की हवा में एक अलग तरह की ठंडक थी, जो हड्डियों तक उतरकर भी अजीब सी ताजग...
आर्यन की जिंदगी हमेशा साधारण रही थी। दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में एक छोटा सा...
हवेली की आख़िरी रात - एपिसोड 1कहानी की शुरुआत:बरसात का मौसम था और दरभंगा के एक...
माय ड्रीम लाइफ अध्याय 1 – नया सफर आज मेरा कॉलेज का पहला दिन था। दिल में उत्साह...
मुंबई से काफी दूर, एक विशाल हवेली अँधेरे में डूबी हुई थी। हवेली के अंदर का कमरा...
तहम्मुल-ए-इश्क़ इश्क़…यह एक एहसास है, जो रूह से दिल तक और दिल से ज़िंदगी तक अपना...
पूजा के फूल / कहानी / शरोवन शीशमगढ़ के भयानक और सूनसान जंगलों का एक असुरक्षित इ...
Part – 1 : दोस्ती और पहली दरारआयुष और कबीर की दोस्ती मोहल्ले की तंग गलियों से शु...
मेरी वफादारी आप ने कभी देखी हैं??में डॉगईस्ट भाई आपका , में भी आपकी तरह एक जीव हु , हा फरक इतना है, आप सब बोल सकते हैं, समझ सकते हैं, पर हम क्या करे, हम जब कुछ बोल देते है,...
कुछ इश्क़ ऐसे होते हैं,जो कहे नहीं जाते…बस जिए जाते हैं।ये कहानी भी उसी इश्क़ की है —एक ऐसे प्यार की,जो शोर नहीं करता,पर दिल के हर कोने मेंधीमे-धीमे गूंजता रहता है।वो ज़्यादा बोलने...
रात के 2:37 हो रहे थे। कमरे में गहरा सन्नाटा था, इतना गहरा कि टेबल पर रखी पुरानी अलार्म घड़ी की 'टिक-टिक' किसी हथौड़े जैसी लग रही थी। मेज़ पर कॉफी का मग रखा था, जो घंटों पहल...
1.माया-जाल में फंसे नारदएक बार नारद जी को यह अभिमान हो गया कि उनसे बढ़कर इस पृथ्वी पर और कोई दूसरा भगवान् विष्णु का भक्त नहीं है। उनका व्यवहार भी इस भावना से प्रेरित होकर कुछ बदलने...
नीलिमा की मम्मी से बात करने के बाद आकाश सीधा नीलिमा के कमरे की ओर गया नीलिमा अपने कमरे में तैयार हो रही थी उसने ब्लैक कलर का सलवार सूट पहना था ऊपर से खुल्ले बाल,बड़ी बड़ी आंखों में...
पल भर का ये सफ़र हमसफ़र के साथ पल भर का ये सफ़र रहा l और सफ़र का वक्त जैसे पानी की तरह बहा ll दिल का भी अज़ीब खेल होता है देखो तो l जाना कहां था ओ पहुँचे गये जान थी वह...
तभी एक दिन...... साहिल की कंपनी में;साहिल - सिमरन, तुम्हे पता है कि ईशान और तानिया दीदी के रिश्ते के लिए तुम्हारे पैरेंट्स ने हां कर दी है। सिमरन - हां, मैं जानती हूं कि उन्होंने इ...
अधूरा मिलन लेखक: विजय शर्मा एरीदिल्ली की सर्द हवाएँ नवंबर के आखिरी दिनों में कुछ ज्यादा ही ठंडी लगती हैं। स्टेशन की प्लेटफॉर्म नंबर सात पर खड़े होकर आरव एक पुरानी घड़ी को बार-बार द...
*अदाकारा 66* शर्मिलाने पहले सोचा कि बाथरूम जाकर दरवाज़ा अंदर से बंद कर लेना चाहिए।लेकिन वो ये भी जानती थी कि जैसे कातिलने मेन डोर अपनी ताकत के बलबूते से खोल दिया था।वैसे ही वो बाथ...
सुबह का सूरज अभी पूरी तरह निकला नहीं था, लेकिन Bikash की नींद खुल चुकी थी।रात की डायरी और Maina के शब्द—“इसे नाम न दें, धीरे-धीरे बढ़ने दें”—उसके दिमाग में गूंज रहे थे।ये वाक्य हल्...
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