देह की दहलीज पर - उपन्यास
Kavita Verma
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
सुबह की पहली किरण के साथ कामिनी की नींद खुल गई उसने आंखें मिचमिचाकर उन्हें श्यामल उजाले में देखने को अभ्यस्त किया। बाहों को सिर के ऊपर तानकर पैरों को लंबा खींच शरीर की जकड़न को दूर किया और बाएं करवट लेकर बगल में सो रहे मुकुल को निहारा। गहरी नींद में दोनों बाजुओं को सीने पर बाँधे होठों को थोड़ा सा खोले सोता हुआ मुकुल बेहद मासूम लग रहा था। उसे देख कामिनी के शरीर में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। उसका शरीर कसमसाने लगा उसका तन और मन खुद को मुकुल की बलिष्ट बाहों में कैद होने को मचलने लगा। उसके होठों की तपिश अचानक कई गुना बढ़ गई। वह उन अधखुले होंठों से एकाकार होने को मचल उठे। उसने हौले से अपने होंठ उसके होंठों से छुआए साथ ही उसके बालों की खुली लटें मुकुल के चेहरे को चूमने लगीं। एक सरसरी तो उसके चेहरे पर भी पैदा हुई होगी वह कुनमुनाया और उसने करवट बदल ली। कामिनी के तप्त खुले होंठ उपेक्षित से ठिठके रह गए। यह ठिठकन उसे पिछली रात में ले गई।
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 1 सुबह की पहली किरण के साथ कामिनी की ...और पढ़ेखुल गई उसने आंखें मिचमिचाकर उन्हें श्यामल उजाले में देखने को अभ्यस्त किया। बाहों को सिर के ऊपर तानकर पैरों को लंबा खींच शरीर की जकड़न को दूर किया और बाएं करवट लेकर बगल में सो रहे मुकुल को निहारा। गहरी नींद में दोनों बाजुओं को सीने पर बाँधे होठों को थोड़ा सा खोले सोता हुआ मुकुल बेहद मासूम लग रहा था। उसे देख कामिनी के शरीर में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। उसका
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 2 कामिनी की सोच की रफ्तार कार की स्पीड ...और पढ़ेसाथ बढ़ती जा रही थी। अन्तस में विचारों की रेलमपेल से सड़क की भीड़ अदृश्य सी हो गई। विचारों में गुम उसे पता ही नहीं चला कि चौराहे पर सिग्नल रेड लाइट शो कर रहा था। क्रॉस करते समय लेफ्ट साइड से आती गाड़ी के ड्राइवर ने उसे भद्दी सी गाली दी, तब उसकी तन्द्रा टूटी। उसने गाड़ी रिवर्स की और शर्मिंदगी और असहाय वाले भाव से इधर उधर देखकर चुपचाप
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 3 उस दिन कामिनी अन्य दिनों की अपेक्षा शाम ...और पढ़ेपहले ही घर आ गई थी, सासू माँ अपनी फेवरिट जगह टीवी के सामने नहीं दिखाई दी तो उनके कमरे में झांका तो देखा कि वे अपनी दोपहरिया की नींद पूरी कर रहीं हैं। घर में अभी कोई और नहीं था। कामिनी को अपने बेडरूम में झाँकने भी मन नहीं किया। कपड़े भी नहीं बदले पर्स को एक तरफ फेंक उसने किचन में जाकर एक कप चाय बना लिया और बालकनी
अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया उसके मन ने किसी तीसरे के होने ...और पढ़ेसंशय जताया लेकिन उसे अभी भी किसी बात का समाधान नहीं मिला है। बैचेन कामिनी सोसाइटी में घूमते टहलते अपना मन बहलाती है वहीं उसकी मुलाकात अरोरा अंकल आंटी से होती है जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। वहीं कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है?
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से कामिनी समझ ...और पढ़ेपा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया उसके मन ने किसी तीसरे के होने का संशय जताया लेकिन उसे अभी भी किसी बात का समाधान नहीं मिला है। बैचेन कामिनी सोसाइटी में घूमते टहलते अपना मन बहलाती है वहीं उसकी मुलाकात अरोरा अंकल आंटी से होती है जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। कामिनी
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा से कामिनी समझ ...और पढ़ेपा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया उसके मन ने किसी तीसरे के होने का संशय जताया लेकिन उसे अभी भी किसी बात का समाधान नहीं मिला है। बैचेन कामिनी सोसाइटी में घूमते टहलते अपना मन बहलाती है वहीं उसकी मुलाकात अरोरा अंकल आंटी से होती है जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। कामिनी
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 7 अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा ...और पढ़ेकामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया उसके मन ने किसी तीसरे के होने का संशय जताया लेकिन उसे अभी भी किसी बात का समाधान नहीं मिला है। बैचेन कामिनी सोसाइटी में घूमते टहलते अपना मन बहलाती है वहीं अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 8 अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा से ...और पढ़ेसमझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। वहीँ अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। रविवार के दिन राकेश सुबह से मूड में था और नीलम उससे बचने की कोशिश में। एक सितार के दो
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 9 अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा से कामिनी ...और पढ़ेनहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। वहीँ अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। रविवार के दिन राकेश सुबह से मूड में था और नीलम उससे बचने की कोशिश में। एक सितार के
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 10 अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा से कामिनी ...और पढ़ेनहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। वहीँ अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। रविवार के दिन राकेश सुबह से मूड में था और नीलम उससे बचने की कोशिश में। एक सितार के
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 11 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से ...और पढ़ेसमझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। वहीँ अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है वह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ ऐसा क्या हो रहा
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 12 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा ...और पढ़ेकामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। वहीँ अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है वह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ ऐसा क्या
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 13 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा ...और पढ़ेकामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। वहीँ अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है वह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ ऐसा क्या हो रहा
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 14 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा ...और पढ़ेकामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? वहीं नीलम मीनोपॉज के लक्षणों से परेशान है। एक अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है वह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ ऐसा क्या हो रहा है ? सुयोग अपनी पत्नी प्रिया से दूर रहता है एक शाम उसकी मुलाकात शालिनी से होती है जो सामने
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 15 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से ...और पढ़ेसमझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? वहीं नीलम मीनोपॉज के लक्षणों से परेशान है। एक अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है वह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ ऐसा क्या हो रहा है ? सुयोग अपनी पत्नी प्रिया से दूर रहता है एक शाम उसकी मुलाकात शालिनी से होती है जो सामने वाले
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 16 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की ...और पढ़ेसे कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? वहीं नीलम मीनोपॉज के लक्षणों से परेशान है। एक अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है वह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ ऐसा क्या हो रहा है ? सुयोग अपनी पत्नी प्रिया से दूर रहता है एक शाम उसकी मुलाकात शालिनी से होती है जो सामने
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी -17 कथाकड़ी 17 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की ...और पढ़ेसे कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? वहीं नीलम मीनोपॉज के लक्षणों से परेशान है। एक अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है वह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ ऐसा क्या हो रहा है ? सुयोग अपनी पत्नी प्रिया से दूर रहता है एक शाम उसकी मुलाकात शालिनी से होती है जो सामने
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 18 कथाकड़ी 18 अब तक आपने पढ़ा :- ...और पढ़ेकी उपेक्षा से कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? वह फैंटसी में किसी के साथ अपने मन की बैचेनी दूर करने की कोशिश करती है। उस फैंटसी में वह सुयोग को पाती है। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है। एक अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। सुयोग अपनी पत्नी प्रिया से दूर रहता है एक शाम उसकी मुलाकात शालिनी से होती है जो सामने
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 19 कथाकड़ी 19 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल ...और पढ़ेउपेक्षा से कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? वह फैंटसी में किसी के साथ अपने मन की बैचेनी दूर करने की कोशिश करती है। उस फैंटसी में वह सुयोग को पाती है। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है। एक अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। सुयोग अपनी पत्नी प्रिया से दूर रहता है एक शाम उसकी मुलाकात शालिनी से होती है जो सामने
साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 20 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा ...और पढ़ेकामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? वह फैंटसी में किसी के साथ अपने मन की बैचेनी दूर करने की कोशिश करती है। उस फैंटसी में वह सुयोग को पाती है। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है। एक अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। सुयोग अपनी पत्नी प्रिया से दूर रहता है एक शाम उसकी मुलाकात शालिनी से होती है जो सामने