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ऊर्जा का विज्ञान — आज्ञा से मूलाधार तक — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲--- प्रस्तावना जिस दिन मनु...
आदमखोर जानवर अब आगे..........विवेक तुरंत अपनी जेब से फोन निकालकर उसकी फ़्लैश लाइ...
हम मिले फिर से मगर इस तरह - 2((((((((((((((((ऐपीसोड - 2))))))))))))))))){बुरा सप...
Chapter 5: ShadowRix : एक छुपा हुआ रहस्य(Draxon और Kevin रहस्यमयी लड़के के साथ उ...
ये... ये ..क्या हो रहा है...? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है??अभी अभी मेरे सामने एक...
रात की वो ठंडी हवा आज फिर कुछ यादें लेकर आई थी। बालकनी में खड़ी मैं आसमान को देख...
चोर सिपाही ️ लेखक – विजय शर्मा एरी---रात का सन्नाटा था। अमृतसर शहर के पुराने इला...
दक्षराज को एक गेरुआ वस्त्र पहनने ध्यान में लीन एक बाबा दिखई देता है। जिनकी बड़ी...
सुबह साढ़े छह बजे तेजस ने ट्रेडमील की स्पीड बढ़ायी और साथ ही अपने पै...
अगले दिन अस्पताल की हवा कुछ बदली हुई-सी थी। बाहर हल्की-हल्की धूप थी, लेकिन Raj औ...
दर्द इमोशनल शायरी और गजल ना फूलों की दुकान होती ना इश्क होता तेरी चाहत में यार मैं यूं ना बर्बाद होता दिया था वह फूल भी किताब में सूख गया तेरी याद आई तो तुझे गजलों में लिख...
निषेधमात्रवाद क्या है? “निषेधमात्रवाद का मतलब है—मानवता के खिलाफ ऐतिहासिक अपराधों को नकारना। यह ज्ञात तथ्यों की पुनर्व्याख्या नहीं है, बल्कि ज्ञात तथ्यों को पूरी तरह से नकारना है।...
हनुमान शतक सवैया कविता और दोहों में रचा गया 100 छंदों का ग्रंथ है। जो महा कवि करुणेश "द्वारका" द्वारा सम्वत 2012 के वैशाख माह की तृतीया तिथि रविवार को रचे गए छंदों का संकलन...
'हनुमत पचासा' मान कवि कृत 50 कवित्त का संग्रह है। जो लगभग 256 वर्ष ( 256 वर्ष इसलिए क्योकि यह संस्करण अप्रैल 71 में छपा था तब उन्होंने उसे 200 वर्ष पूर्व कहा था तो 71 से...
दर्द की सीढ़ियां (ग़ज़ल संग्रह) हरि सिंह हरीश अपनी युवावस्था के समय से ही लिखने के प्रति बड़े समर्पित रहे हैं। वह कहते थे कि जब वह छठवें क्लास में पढ़ रहे थे तो होमवर्क की कॉपिय...
मेरा खत न मिलने पर 1 हरिसिंह 'हरीश' : परिचय : 1 अगस्त, 1935 (दतिया म.प्र.) शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) तक ग्वालियर जीवाजी विश्वविद्यालय से । मानद : विद्या...
पागल खाना पर पाठकीय प्रतिक्रिया याने समय का एक नपुंसक विद्रोह यशवंत कोठारी राजकमल ने ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना छापा है.२७१ पन्नों का ५९५रु. का उपन्या...
दिव्य प्रकाश दुबे के काफे में मज़ेदार चाय के साथ पराठे वाली फीलिंग कराने वाली कहानी है। क्या हम कभी मिले हैं? हाँ शायद कहाँ? किसी किताब में जो अभी लिखी ही नहीं गई... ऐसी बहुत सारी म...
नारी आंदोलन, स्त्री समानता, नारी विमर्श, स्त्री के अधिकार, इन सबकी विभिन्न कलाओं से अभिव्यक्ति, अपना व्यवसाय के अलावा होता है' स्त्रियों की अपने घर परिवार में उनकी अहम भूमिका&#...
जैसे चाँद, सूरज, ज़मीन, और समुद्र एक बड़ा सच है ऐसे ही स्त्री प्रताड़ना भी एक बड़ा सच है., कुछ अपवादों को छोड़कर. सन ११९९ में मैं डभोई तलुका की महिला सामाख्या की नारी अदालत से चमत्क...
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