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42. तुम्हीं बताओ मेरी आत्मा थी मनस्वी केवल बिटिया नहीं थी। आत्मा बिना क्या कोई ज...
प्यार भरा प्रेम पत्र लिखने में वक्त तो लगता हैं l कच्ची कलियों को खिलने में वक्त...
एक हटिल दरार... पुस्तक 2015 में मेरे द्वारा लिखित कुछ कविताओं में से छः कविताओं...
स्वरचित, मौलिक, मानवेतर लघुकथा=धरती-आकाशधरती भूक्का फाड़कर रो रही थी, आकाश ने जब रोने का स्वर सुना तो उससे रहा नहीं गया। धरती की ओर देखा।धरती तुम क्यों रो रही हो,.... क्या हुआ...
42. तुम्हीं बताओ मेरी आत्मा थी मनस्वी केवल बिटिया नहीं थी। आत्मा बिना क्या कोई जीवित रह पाता है? तुम कहते हो मैंने तिल-तिल आत्मघात किया मुझे जीना चाहिए था अपने लिए, पति के लिए, समा...
प्यार भरा प्रेम पत्र लिखने में वक्त तो लगता हैं l कच्ची कलियों को खिलने में वक्त तो लगता हैं ll टूट के चाहा हो जिसे उस ज़ालिम की दूरी में l चाक जिगर को सिलने में वक्त तो लगत...
एक हटिल दरार... पुस्तक 2015 में मेरे द्वारा लिखित कुछ कविताओं में से छः कविताओं का संग्रह है। प्रथम कविता - में कवि उन सब कारणों का वर्णन कर्ता है जिनकी वजह से एक प्रेमी और उसकी प्...
१. पत्थर दिल डर के बिना कठोरता का कोई अस्तित्व ही नहींपर कठोरता को निष्ठुरता या निर्दयता तुम समझना नहीं कठोरता गुण है पदार्थ का,ऊर्जा का नहीं।भ्रम से निकल सचिन, क्योंकि कठोर हृदय य...
1 . यादें लेते जाना.... कभी आंसुओ तले दबी थी मैं हंस कर गम का घूंट पी थी मैंमालूम नहीं कहां खो गया वो पल वो लम्हा जो मेरा हुआ करता थाक्यूं ख़ामोश हो गया तक़दीर मेरा शायद गलती मेरी...
1 रहट पद्धति कहाँ गई रहट पद्धति की सिंचाई कुँए से पानी भर आई बैल कोल्हू को जोड़ आपस में होती खेतों की सिंचाई कहाँ गई रहट पद्धति की सिंचाई शृंखला में बाल्टीयां बँधी बैलें गोल चक्कर...
poems by Urvi Vaghela. All poems are written by poetess herself. It's not copy from any sources. These poems are beginning of her journey. 1.भोलापन उस दिन धूप मेंस्कूल मेंनए स्...
आह्वान प्रेम का 1. बड़े शातिर हो तुम, जोयूं जा रहे हो मुझे इश्क की लत लगाकरपर क्या जताना चाहते हो,अपना ख्याल रखना अब मुझे यह कहकरकि फिक्र करते हो मेरे लिएमेरी फिक्र की तुम फिक्र ना...
1 एतबार इतना तो है हमे उन पर,खुश तो वो भी नही होंगे रुला के हमे,, ---------अंजू ----------- अब क्या क्या मांगू तुझ से ए खुदा ,दो गज जमी भी चाहिए मुझे दो गज कफ़न के बाद,, 2 कुछ ना भ...
बुन्देली उजियारो ( बुन्देली काव्य संग्रह ) बुन्देली उजियारो महाकौशल के ५७ बुन्देली सृजनशिल्पियों का बुन्देली काव्य संकलन अखिल भारतीय बुन्देलखंड साहित्य एवं संस्कृति परिषद् जबलपुर क...
*(एक खूबसूरत कविता सभी शिक्षकों के लिये!!)*मेरे लिए भी*मत पूछिए कि शिक्षक कौन है?**आपके प्रश्न का सटीक उत्तर* *आपका मौन है।**शिक्षक न पद है, न पेशा है,* *न व्यवसाय है ।**ना ही गृहस...
दोहा - कहें कविराय सुधीर ********युवा, नशा, नाश, अंजान, तन******युवा नशे में चूर हैं, अभी न उनको ज्ञान।नशा नाश उनका करे, इससे वो अंजान।।*****धन, धनिक, धनवान, कुबेर, पाखंड********धन...
"खुशनसीब हूँ मैं जो हसरत-ए-दीदार कर सकी.. वक्त के पहले ईद का चांद भी नज़र नहींआता है.."खा़लिक़ तुझसे गुजा़रिश है इकबार तो सामने आअनसुलझे सवाल पूछने हैं जो जे़हन में दफ़न है.. "खुशन...
हर पल कुछ नया सीखा कर जाती हे ये जींदगी, हर रोज एक नया मोड लेती के ये जींदगी, हर मोड पर एक नई पहेली होती हे ये जींदगी ,एक पहेली सुलजी नही की दुसरी सुरु,हर एक पहेली सीखा कर जाती हे...
यह कृति मन से उपजी हुई भावनाएँ है जिसे काव्य के रूप में अर्थ दिया गया है। इस संग्रह में विभिन्न् विषयों वाले काव्यों का संकलन है। यह आवश्यक नहीं है कि मेरी सभी भावनाओं से आप सब सहम...
~किस्से तेरे-मेरे ~कुछ किस्से बुनूं, तेरे और मेरे ,कुछ ख्वाब देखू जिनमें, मैं हूं और तू हो लिखूं कुछ कहानी तेरी और मेरी कोई सफर तय करूं, मुझसे जो तुझ तक हो, एक ऐलान करूं, जिसमें ना...
घर माइक्रोसॉफ्ट 365विषय संदेश पर जाएं️ लोकतंत्र प्रेम की एक अधूरी कहानीचर्चा विकल्प कुर्ता1605तांबे का योगदानकर्ताअप्रैल 28 2021 03:41 पूर्वाह्न️ लोकतंत्र प्रेम की एक अधूरी कहानी...
"कुएं का मेंढक” तीन कविताओं का संग्रह है. क्या है, कैसी है यह तो आप पाठकगण ही बताएं तो अच्छा रहेगा . मैं तो बस आशा कर सकता हूं कि आपको यह संग्रह पसन्द आवें. तो करो "अभी पढ...
1 पापा मेरे पापा मेरे सुबह सूरज निकलने से पहले घर छोड़ देते मेरे खुशियों के खातिर दिनभर हैं भटकते शाम को सूरज ढलने के बाद हैं घर लौटते कितना ख्याल रखते हैं मेरा पापा मेरे खुद पहनकर...
1. सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ याजितना था वो काफी ना था,नहीं समझ पाया तो समझा दिया होताया जितना समझ पाया वो काफी ना था,शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहींप्यार है तो कभी जमान...
~कोई ख्याल बचा कर रखो प्रीतम ~ इरादे उम्मीदों के, सख़्त लगते हो, तुम मुझे मेरा, बुरा वक्त लगते हो होठों पर नज़र, नहीं जाती है क्या, माथा चूम कर, क्यू गले लगते हो. यार लहज़ा ऐस...
कुछ पल कभी-कभी कुछ पल मन को, बहुत दूर ले जाते हैं परिचित सी मधुर आवाजों से, मीठा अहसास कराते है। दिल करता हैं यूं ही सैर करते, बहुत दूर निकल जाऊं मैं, भागम-भाग के दौर से, कही उन्...
~उनसे बिछड़ना था~तन्हा होना था, सुकून पाना था खुद से मिलना था, सो उनसे बिछड़ना था lआवारा फिर ना था, गिर के संभालना था सबसे लड़ना था ,सो उनसे से बिछड़ना था l याद करना था, वह क्या था...
1 फूलों से सजादो राहों को फूलों से सजा दो राहों को भगवान आएँगे फूलों से सजा दो राहों को भगवान आएँगे एकबार फिर इस धरतीपे प्रभु श्रीराम आएँगे एकबार फिर इस धरती पे प्रभु श्रीराम आएँगे...
1] अजीब सी लड़की..मैं हूं लड़की अजीब सी.....सुनती तो सबकी, मगर करती सिर्फ अपने मन की हूं..जब भी बारिश आती है, तो मैं सब कुछ भूल कर पूरे मन से भीगती हूं..तेज हवाओं में भी, झूम के चल...
आंसू आंसू की बात करती है दुनिया कुछ लोग बिन आंसू रोते हैं... अकेले में खुद को ही वो टोहते हैं। टोहते है वो खुद को, वो देखे मन में रोते खुद को, अकेले में खुद को ही वो टोहते हैं।...
११८ कलियोंने हलकेसे फुलों को कहाँ बताओ तो जरा, कैसे दिख रही है दुनिया, तुम्हारे खिल जाने से क्या लोगों के चेहेरे खिल गए है ? तुम्हारी सुगंध से उनके आँगन महक उठे है ?...
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