सर्वश्रेष्ठ प्रेरक कथा कहानियाँ पढ़ें और PDF में डाउनलोड करें होम कहानियां हिंदी कहानियां फ़िल्टर: श्रेष्ठ हिंदी कहानियां उजाले की ओर - 22 द्वारा Pranava Bharti 555 उजाले की ओर -------------- आ. एवं स्नेही मित्रो नमस्कार आजकल गायों के बारे में बहुत संवेदनशील हो गए हैं लोग ! गाय माता है दूध ... दादी की सिलाई मशीन - 6 द्वारा S Sinha 228 भाग 6 कमला के अंतिम दर्शन के लिए उसका पूरा परिवार बेटा, बेटी, दामाद, पोती रीता और गीता अपने अपने पति के साथ आये थे और साथ में उसका ... सपनों की उड़ान - 4 द्वारा Shaikh Sabreen 129 यहां बड़ी माँ शगुन के परिवार को अपने घर बुलाती है। बाडे पापा ने शगुन के परिवार को ताना मरते है। उनका कहना है कि उन्होंने गठबंधन के लिए ... दादी की सिलाई मशीन - 5 द्वारा S Sinha 381 भाग 5 जल्द ही रीता की शादी ठीक हो गयी. उसकी शादी रांची की फैक्ट्री में कार्यरत एक इंजीनियर से हो रही थी. विदाई के समय रीता की माँ ... दादी की सिलाई मशीन - 4 द्वारा S Sinha 396 भाग 4 जज साहब एक नेक इंसान थे. उन्होंने मोहन के लिए पटना जा कर बड़े साहब से पैरवी की. कुछ दिन बाद मोहन ने नौकरी ज्वाइन कर लिया ... उजाले की ओर - 21 द्वारा Pranava Bharti 366 उजाले की ओर ------------------- आ.स्नेही एवं प्रिय मित्रो नमस्कार प्रतिदिन घर के मुख्य द्वार पर खटखट होती है |कोई निश्चित समय नहीं ,सुबह-सवेरे ,दोपहर अथवा शाम ... सपनों की उड़ान - 3 द्वारा Shaikh Sabreen 288 यही दूसरी तरफ शगुन शौर्य को बुला रही है। वह कॉल करती है लेकिन शुर्य उसकी कॉल को अस्वीकार कर देता है। फिर वो शुर्य को आवाज की रिकॉर्डिंग ... दादी की सिलाई मशीन - 3 द्वारा S Sinha 489 भाग 3 शादी के छः साल के अंदर कमला को तीन बच्चे हुए, दो बेटियों के बाद एक बेटा क्रमशः सिया, जानकी,और मोहन. कमला गाँव में रह कर बहुत ... दादी की सिलाई मशीन - 2 द्वारा S Sinha 513 भाग 2 गोकुल ने स्टेशन पहुँच कर जल्दी से बैलगाड़ी को एक किनारे लगाया. फिर एक ही सांस में दौड़ कर स्टेशन की 20 सीढ़ियों पर चढ़ता हुआ प्लेटफार्म ... दादी की सिलाई मशीन - 1 द्वारा S Sinha 798 “ दादी की सिलाई मशीन “ एक उपन्यास है जिसमें पढ़ेंगे - एक विधवा स्त्री ने अकेले सिलाई मशीन के बल पर कैसे अपने परिवार का न सिर्फ पालन ... पिता की सीख द्वारा Asha Saraswat 834 सचिन के पिताजी बहुत अच्छी मूर्तियाँ बनाते थे।उसको देखकर बहुत अच्छा लगता था। प्रतिदिन वह अपने पिताजी को मूर्तियाँ बनाते देखता तो उसका भी मन करता कि वह भी ... उजाले की ओर - 20 द्वारा Pranava Bharti 432 ----------------------- आ. एवं स्नेही मित्रो नमस्कार हमारी दुनिया में अनन्य प्रकार के जीव हैं जिनका आकार-प्रकार भिन्न है,रहन-सहन भिन्न है|किसी भी प्राणी का बिलकुल एक जैसा व्यवहार ... सपनो की उड़ान - 2 द्वारा Shaikh Sabreen 393 शिक्षक यह कहते हुए कि ट्रॉफी कल तुम्हारी होगी, तुम बहुत प्रतिभाशाली हो। अनोखी कहती है कि मुझे उम्मीद है कि आप इसके पीछे की वजह हैं। शिक्षक कहते ... मछुआरा महादेव और जलपरी द्वारा Ramesh Yadav 444 कुंडलिका नदी के किनारे बसा सावड़ा गांव बड़ा ही प्यारा था। उस गांव और उसके आस-पास के क्षेत्र को मानो प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली का वरदान प्राप्त था। पूरा ... हाय छुट्टियाँ बाय बाय छुट्टियाँ द्वारा Neelima Sharrma Nivia 300 " गर्मी की छुट्टी और माँ अकेले दिन हैं कमरे में सन्नाटा गूँज रहा हैं। ना पढ़ने में मन लगता है न लिखने में ,एक विरक्ति सी होने लगी है ... सपनों की उड़ान द्वारा Shaikh Sabreen 1.2k अनोखी सपना देख रही है। वह उठती है और अपनी खिड़की से एक तेज़ ट्रेन देखती है। उसकी माँ एक पोशाक की माप की जाँच करने के लिए आती ... गलत निकला सही द्वारा Kalpana Sahoo 702 केहते हैं युग बदलगया है । हमे युग के हिसाब से खुदको बदललेनी चाहिए । पर आज भी कुछ कार्य पेहले जैसा करते ... आइसोलेशन द्वारा Ajay Khatri 540 मेरे हाथ में कोरोना नैगेटिव की रिपोर्ट में कोविड हौस्पिटल की रिसैप्शन पर खड़ा था आसपास कुछ लोग तालियां बजा कर मेरा अभिनंदन कर रहे थे दरअसल , यह ... संन्यासी महाराज द्वारा राज कुमार कांदु 630 निःसंतान राजा की अचानक मृत्यु हो गई! दरबारियों में व राज्य की प्रजा में शोक की लहर दौड़ गई। सूनी राजगद्दी को देखते हुए प्रधान बहुत चिंतित थे। आखिर गद्दी ... पिघलती बर्फ द्वारा राज कुमार कांदु 630 रामलाल शहर में एक मोहल्ले से होकर गुजर रहे थे । उस मोहल्ले से उन्हें खासी नफ़रत थी इतनी कि वो इधर आना ही नहीं चाहते थे । वजह ... उजाले की ओर - 18 द्वारा Pranava Bharti 558 उजाले की ओर ------------------- स्नेही मित्रों नई सुबह का सुखद नमन इस गत वर्ष को 'बाय' करते हुए मन न जाने कितनी-कितनी बातों में उलझा हुआ है ... यह किताब क्यों पढ़ी ? द्वारा Neelima Sharrma Nivia 426 समय बहुत जल्दी बदल जाता है। आज एक फ़ोन के भीतर बच्चों बड़ो बूढ़ों ओर महिलाओ के लिए सारी दुनिया है । कोई सूचना चाहिए बस ...ओके गूगल कहकर ... भाग गई दलिद्दर द्वारा r k lal (23) 1.1k “भाग गई दलिद्दर”आर0 के0 लालराधिका को वह दिन कभी नहीं भूलता जब वह दीपावली के बाद वाली एकादशी को अपने गांव के घर से अपनी सासू मां के साथ ... कुछ आश् अधुरी सी....... द्वारा Kalpana Sahoo 558 वैसे तो हर मा-बाप का सपना है की उनकी बच्चें बडे हो, अच्छा पढाई करे और कुछ अच्छा सा नौकरी करे । अपने पैर पर ... लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान કંઈપણ माँ बाप से बड़ा कोई नहीं द्वारा Neha Verma 531 प्रिया स्नातक की छात्रा थी| और हॉस्टल में रहती थी उसके माता पिता उसे एक लड़के की तरह मानते थे| उसके माता पिता बेटा बेटी को एक समान मानते ... उजाले की ओर - 17 द्वारा Pranava Bharti 426 ------------------------ आ. स्नेही एवं प्रिय मित्रों नमस्कार हम उलझे रहे अच्छे-बुरे में तथा कम-अधिक और भी न जाने कितनी –कितनी आज ... आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया द्वारा Saroj Prajapati 552 नीलम जैसे ही काम करके बैठी, तभी दरवाजे की घंटी बज गई। उसके बेटे ने दरवाजा खोला तो सामने उसके चाचा चाची थे। उसने नमस्ते कर, उन्हें अंदर बुलाया। ... मुक्ति की ओर द्वारा Neelam Kulshreshtha 726 नीलम कुलश्रेष्ठ [अभी अभी १६ दिसंबर प्रधानमंत्री विजय दिवस के उपलक्ष में शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे .ये स्मारक सन १९७१ के पाकिस्तान से हुये युद्ध में ... नहीं रह सकी तुम सिर्फ मेरे लिए द्वारा r k lal (20) 1.1k नहीं रह सकी तुम सिर्फ मेरे लिएआर 0 के 0 लालमम्मी! तुमको क्या यह बात हजार बार बतानी पड़ेगी या लिख कर दूँ कि इस तरह का खाना मैं ... उजाले की ओर - 15 द्वारा Pranava Bharti 564 उजाले की ओर --13 --------------------------- आ.स्नेही एवं प्रिय मित्रो सादर,सस्नेह नमन कई बार मन सोचता है कि हम आखिर हैं क्या?जीवन में उगे हुए ऐसे फूल जो शीघ्र ...