अमन और चमन DINESH KUMAR KEER द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अमन और चमन

बाल कहानी - अमन और चमन
शरारती अमन

अमन और चमन दो बहुत अच्छे दोस्त थे। चमन थोड़ा शान्त और सरल स्वभाव का था, पर अमन को कभी - कभी शरारत सूझती। वह किसी को भी अटपटे से झूठ बोलकर डरा देता और परेशान करता। चमन उसे हमेशा समझाता, लेकिन अमन की झूठ बोलने की आदतें और बढ़ती जाती थी। लोगों की नजर में वह एक झूठा और शरारती बच्चा बनता जा रहा था। उसकी ऐसी शरारतों से चमन नाराज भी होता और दोस्त के नाते उसे समझाता भी कि- "तुम बिना मतलब किसी को झूठ बोलकर क्यों सताते हो? किसी दिन इस आदत से तुम बड़ी मुश्किल में न पड़ जाओ।"
पर चमन की बातों को अमन हँसकर टाल देता।
एक दिन छत पर अपने कुछ दोस्तों के साथ अमन और चमन भी खेल रहे थे। अमन को फिर शरारत सूझी। उसने साथ खेल रहे चिन्टू को झूठ बोलकर उसे डराने की ठान ली।
जब सभी बच्चे खेलने में मगन थे तो अमन ने चिन्टू के कान‌ में चुपचाप जाकर कहा-, " चिन्टू! उस दूसरी छत के नीचे तुम्हारे पापा खड़े तुम्हें बुला रहे हैं, बहुत गुस्से में भी हैं, चाहो तो नीचे देख लो!"
आज खेलते - खेलते कुछ देर भी हो गयी थी तो चिन्टू को लगा कि सच में पापा नाराज होकर बुला रहे होंगे। वह छत से नीचे देखने लगा।
जब कोई न दिखा, तो वह अमन को "झूठा" कहकर फिर खेलने लगा, पर अमन ने उसे पकड़ा और छत के किनारे ले जाकर बोला-, "बैठकर थोड़ा नीचे झुककर देख, अंकल वहीं खड़े हैं। मैंने देखा उनको, वह बहुत गुस्से में थे।"
चिन्टू झुककर देखने लगा। छत की रेलिंग बहुत ऊंँची न थी। अपने पापा को देखने की कोशिश करने लगा, तभी पीछे से अमन ने बहुत डरावनी आवाज निकाली, चिन्टू मारे डर के छत से नीचे जा गिरा। अमन जो चिन्टू को डरा रहा था, खुद डरकर चीखने लगा। सारे बच्चे इकट्ठा हो गये और नीचे गिरे चिन्टू को कुछ लोग उठाकर हाॅस्पिटल लिये चले गये। चमन अमन को रोते देखकर समझ गया कि इस घटना में उसी का हाथ है।
अमन इस घटना से बहुत डर गया और रोने लगा। सबने उसे चुप कराया। हाॅस्पिटल में चिन्टू के एक पैर में डेढ़ महीने के लिए प्लास्टर लगाया गया और जगह भी चोटें आयी थी, उनके लिए दवाएँ दी गयी। जैसे ही चिन्टू घर आया, वह उसके घर पहुँचकर उससे और उसके परिवार से हाथ जोड़कर माफी मांँगने लगा। सबकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
तब चमन ने सबको बताया कि- "चिन्टू को अमन ने ही झूठ बोलकर डराया था, तभी वह छत से नीचे गिरा है। इस पर सभी लोग सन्न रह गये, क्योंकि अभी तक चिन्टू ने किसी को कुछ नहीं बताया था कि वह नीचे कैसे गिरा?
लेकिन अमन की आँखों में आँसू देखकर उसने कहा, "पापा! अमन को माफ कर दो! मुझे जो चोट लगी थी, लग चुकी। अब उस पर नाराज़ होने से कोई फायदा नहीं।"
सबने उस समझदार बच्चे की बात पर विचार किया। चिन्टू के पापा ने अमन को समझाते हुए कहा, " बेटा! इस बार तो माफ़ किया, लेकिन तुम ये वादा करो कि अब आगे से इस तरह की कोई भी शरारत नहीं करोगे, जिससे किसी को ऐसा कष्ट मिले। हँसी - मजाक करो, लेकिन इतना कि किसी को नुकसान न पहुँचे।"
अमन ने कान पकड़कर कहा 'जी अंकल' मैं आगे से कभी न झूठ बोलूंँगा, न ही ऐसी कोई शैतानी करने की सोचूंँगा।"

संस्कार सन्देश :- हमें अनावश्यक झूठ नहीं बोलना चाहिए। किसी से ऐसा मजाक बिल्कुल नहीं करना चाहिए, जिससे किसी को कष्ट पहुंँचे।