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कमरा अंधेरे में डूबा था। खिड़की से आती हल्की चांदनी बस इतनी थी कि चीज़ों के धुंध...
25 हमला रेवा देखती है कि उसने सामने रेहान हाथ में बैग उठाए खड़ा हैI ...
पाठकीय प्रतिक्रिया पुस्तक –डायरेक्टर(उपन्यास )लेखक-प्रफुल्ल प्रभाकर ,प्रकाशक-दीप...
खोए हुए हम – एपिसोड 18नई राहों की तलाशऋत्विक के जेल जाने के बाद निशा की ज़िंदगी...
आर्यन आलिया को बोलता है, "तुम्हे बुरा लगा मुझे नैना बिरला के साथ देख कर"।तब आलिय...
आरव और ज़ोया एक-दूसरे का हाथ थामे सुरंग के अंदर बढ़े। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ रहे थ...
(भाग 8) जान बची तो लाखों पाए! सिटपिटाया-सा मैं रूम पर लौट आया। लगातार सोचता रहा...
अब आगे "अबीर डरा सहमा अपने बिस्तर पर था तभी सेजल उसके रूम में आई तो उसने अबीर क...
रश्मि अपने घर में बैठी अपनी फैमिली के साथ खाना खा रही थी। खाना खाते समय रश्मि अप...
------------------------ दिल्ली दूर नहीं -------------------- ...
डिस्को का माहौल गर्म था, म्यूजिक की तेज़ धुन में लोग मस्ती के रंग में रंगे हुए थे। लेकिन एक लड़की थी, जो बाकी सब से बिल्कुल अलग दिख रही थी। उसका नाम था सनजना, और वो किसी अप्सरा जैस...
आज शनिवार की शाम दिल्ली के कनॉट प्लेस की सड़कों पर जहाँ ट्रैफिक जाम था, वहीं क्लब पैराडाइस में अमन भी अपने दोस्तों के साथ जाम से जाम टकरा रहा था I उसके दोस्त, नयन, रोहि...
पागल खाना पर पाठकीय प्रतिक्रिया याने समय का एक नपुंसक विद्रोह यशवंत कोठारी राजकमल ने ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना छापा है.२७१ पन्नों का ५९५रु. का उपन्या...
अजनबी रास्तों के हमसफ़र शाम ढल चुकी थी। सड़क किनारे लगी स्ट्रीट लाइट्स अपनी पीली रोशनी बिखेर रही थीं, और ठंडी हवा हल्के-हल्के चल रही थी। मेहुल: "हेलो मिस, आप यहाँ अकेले क...
आलिया का आज कॉलेज में आखिरी दिन है। इसलिए आज वो कॉलेज में पार्टी कर रही है सभी के साथ क्योंकि अब वो कॉलेज नही आयेगी। अब वो एग्जाम देगी और उसके बाद कॉलेज से छुट्टी। पार्टी खत्म ह...
शहर से दूर, घने जंगलों के बीच एक पुरानी हवेली थी। लोग कहते थे कि वहां अजीब घटनाएं होती हैं—रात में किसी के रोने की आवाजें आती हैं, दरवाजे खुद-ब-खुद खुलते-बंद होते हैं, और कभी-कभी क...
पत्रिकाएं पोस्ट करने के लिए कईएक डाकघर के चक्कर लगाने पड़ते। क्योंकि लिफाफे अधिक होते और एक खिड़की पर पांच-सात से अधिक लिए नहीं जाते। खुश तो इसलिए हो गया कि आखिर एक काउंटर ऐसा भी म...
बात उन दिनों की है, एक मकान बना कर रहना, एक मिसाल और योग्यता थी। मकान अगर मंजिले हो, तो कया बात, बहुत अमीर समझे जाने वाला शक्श....." हाहाहा, "हसता हुँ, आपने पर.... ये दोगल...
《नमस्ते दोस्तो तो आज एक दिल टुटे हुए आशिक़ की कहानी बताने जा रहा हू गौर से सुनियेगा और जानियेगा》एक बार विजय अपने दोस्तो से मिलने गया था कॉलेज वहा पे आज उसका पेहला दिन भी था सारे क...
ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो साथ, समर्पण और त्याग की मसाल कायम करती है जो वास्तव मे प्रेम किसे कहते है वो सिखाती है। " ये कहानी स्कूल के उन दिनों की है जब मे स्कूल मे कक्षा ग्या...
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