बाल वाटिका DINESH KUMAR KEER द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बाल वाटिका

बाल वाटिका

एक सुदूर गाँव में एक विद्यालय था। वहाँ ग्रामवासियों का मुख्य कार्य खेती और दिहाड़ी मजदूरी का था। माता - पिता के काम पर जाने के बाद उनके छोटे - छोटे बच्चे वहीं मोहल्ले में खेलते रहते थे।
एक दिन उन पर स्कूल के अध्यापक की नजर पड़ी। यह देखकर उन्होंने सोचा कि बच्चों के माता - पिता से बात की करनी चाहिए।
विद्यालय में अध्यापक - अभिभावक बैठक बुलाई गयी। विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा गाँव के लोगों को समझाया गया कि - "अब सरकार तीन साल से छ: साल तक के बच्चों को भी विद्यालय में पढ़ाने और खेल - कूद की व्यवस्था नई शिक्षा नीति के आधार पर कर रही है। जिसमें गाँव की आँगनबाड़ी को स्कूल से जोड़कर छोटे - छोटे बच्चों को खेल - खेल में शिक्षा के साथ - साथ ताज़ा भोजन भी प्रदान कर रही है।"
यह सुनकर सभी ग्रामीणों को बड़ी प्रसन्नता हुई और सभी ग्रामीणों ने मिलकर यह फ़ैसला लिया कि कल से हम बच्चों को विद्यालय जरूर भेजेंगे।
बैठक में आये सभी लोगों ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक और सभी अध्यापकों का सह्रदय धन्यवाद किया।
और इसका परिणाम यह हुआ कि अगले ही दिन से विद्यालय में छोटे - छोटे बच्चों की चहल - पहल शुरू हो गयी। उनको खेल - खेल में शिक्षा के साथ - साथ भोजन भी दिया जाने लगा, जिससे बच्चे सुरक्षित वातावरण में अपने भविष्य की तैयारी करने लगे।

संस्कार सन्देश :- विद्यालय में उपस्थित सभी बच्चों को अपने छोटे - भाई बहनों को विद्यालय तक लाने हेतु प्रेरित करें।

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एक सुदूर गाँव में एक विद्यालय था। वहाँ ग्रामवासियों का मुख्य कार्य खेती और दिहाड़ी मजदूरी का था। माता - पिता के काम पर जाने के बाद उनके छोटे - छोटे बच्चे वहीं मोहल्ले में खेलते रहते थे।
एक दिन उन पर स्कूल के अध्यापक की नजर पड़ी। यह देखकर उन्होंने सोचा कि बच्चों के माता - पिता से बात की करनी चाहिए।
विद्यालय में अध्यापक - अभिभावक बैठक बुलाई गयी। विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा गाँव के लोगों को समझाया गया कि - "अब सरकार तीन साल से छ: साल तक के बच्चों को भी विद्यालय में पढ़ाने और खेल - कूद की व्यवस्था नई शिक्षा नीति के आधार पर कर रही है। जिसमें गाँव की आँगनबाड़ी को स्कूल से जोड़कर छोटे - छोटे बच्चों को खेल - खेल में शिक्षा के साथ - साथ ताज़ा भोजन भी प्रदान कर रही है।"
यह सुनकर सभी ग्रामीणों को बड़ी प्रसन्नता हुई और सभी ग्रामीणों ने मिलकर यह फ़ैसला लिया कि कल से हम बच्चों को विद्यालय जरूर भेजेंगे।
बैठक में आये सभी लोगों ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक और सभी अध्यापकों का सह्रदय धन्यवाद किया।
और इसका परिणाम यह हुआ कि अगले ही दिन से विद्यालय में छोटे - छोटे बच्चों की चहल - पहल शुरू हो गयी। उनको खेल - खेल में शिक्षा के साथ - साथ भोजन भी दिया जाने लगा, जिससे बच्चे सुरक्षित वातावरण में अपने भविष्य की तैयारी करने लगे।

संस्कार सन्देश :- विद्यालय में उपस्थित सभी बच्चों को अपने छोटे - भाई बहनों को विद्यालय तक लाने हेतु प्रेरित करें।