अतीत के पन्ने - भाग 29 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 29

आलोक ने कहा हां, और क्या क्यों घर जाकर फिर से बनायेंगे?
जतिन ने कहा हां,आदत हो गई है आपको पता है काव्या ने मुझे खाना बनाना सिखाया था उसकी जैसी गुरु और दोस्त मुझे कभी नहीं मिल पाया खुद को मैं बहुत भाग्यशाली मानता हु।
आलोक ने कहा यह तो आपका बड़प्पन है।
जतिन ने कहा हां पर साथ निभाने का जब समय आया तो काव्या चली गई उम्र ही क्या थी!
आलोक ने कहा हां, सही कह रहे हैं ये अफसोस हमेशा रहेगा कि वो अकेली ही चली गई।
आलेख ने कहा हां पर मैं भी तो चला गया था उनको छोड़ कर।
पिया ने कहा देखो पुरानी बातें याद करो पर अच्छे दिन याद करना क्योंकि वो पल अगर तुमको तकलीफ़ देती है फिर सोचो उस इंसान कितना तकलीफ़ होगा जिसके लिए तुम दुखी हो।
आलेख ने कहा हां,शायद तुम ठीक कह रही हो।
फिर सब छत से नीचे उतर आए और फिर छाया ने चाय और पकौड़े खाने को दिया।
कुछ देर बाद जतिन और पिया जाने लगें।
आलोक ने कहा अरे छाया इनका टिफिन दे दो।
छाया ने एक बैग पिया के हाथों में दे दिया।
पिया ने हंस कर कहा अरे बाबा ये कितना भारी है।
आलेख ने कहा अरे मुझे दो मैं गाड़ी में रख देता हूं।

आलेख ने खाने का बैग गाड़ी में रख दिया।
और फिर सब चले गए।
आलोक ने कहा हवेली कितनी रोशनी लग रही थी जब तक पिया थी।
आलेख ने कहा हां ठीक कहा पापा।
आलोक ने कहा चलो अब खाना खा कर सो जाते हैं,कल से शुरू हो जाएगा।
आलेख ने कहा हां, अब यकीन हो रहा है कि छोटी मां का सपना पूरा हो जाएगा।

आलोक ने कहा हां आज वो होती तो क्या बात होती।।
फिर दोनों ही अपना दर्द छुपाते हुए खाना खाने बैठे।
छाया ने थाली परोस कर दे दिया।
आलेख ने कहा अरे मीठे में क्या है?
छाया ने कहा अरे बादाम का दूध और गाजर का हलवा।।
आलोक ने कहा अरे वाह ये तो पिया ने बनाया होगा?
छाया ने कहा हां और क्या वो बना कर लाई थी।
आलोक ने कहा अरे बाबा अब जल्दी से दो।
छाया ने दो कटोरी हलवा लाकर दिया।
और साथ में दो गिलास गर्म गर्म बादाम दूध।
फिर दोनों ने मिलकर गाजर का हलवा खाया।
आलोक ने कहा वाह जाड़े के मौसम में गाजर का हलवा वहीं स्वाद तुम्हारी छोटी मां के हाथों का।
फिर खाना खाने के बाद दोनों कुछ देर टहलने लगे।
फिर आलेख ने पिया को फोन करके धन्यवाद दिया और कहा कि लाजवाब था हलवा।
पिया खुब हंसने लगी और फिर बोली हां, अच्छा लगा। इसलिए तो लाई थी।


फिर फोन रख दिया।
आलेख और आलोक दोनों सो गए।

दूसरे दिन सुबह उठकर आलेख जल्दी तैयार हो गया।
आलोक भी चाय और नाश्ता करने लगें।
आलेख ने कहा पापा मुझे जाना होगा आज एक्स्ट्रा क्लास है।
आलोक ने कहा हां ठीक है।
आलेख भी रोज की तरह बस स्टैंड पर इन्तजार करने लगा और फिर पिया भी आ गई और फिर दोनों बस में बैठ गए।
हवेली में सारे मजदूर आ गए और फिर आलोक ने सब कुछ समझा दिया और फिर जो,जो सामान लगेगा वो सब कुछ आ गया और फिर आलोक ने सब कुछ समझा कर काम में लगा दिया।।
सारे मजदूर काम शुरू कर दिया।
जहां, जहां मरम्मत की जरूरत है आलोक ने कहा ये हवेली को पुरा नया बनना है ‌, पेंट करवाना है।
फिर सब शाम तक काम खत्म करवा कर दिया और मजदूर लोग मजूरी लेकर चले गए।।
कुछ देर बाद ही आलेख आ गया ।
और फिर बोला कि तीसरे माले पर काम शुरू हो गया?
आलोक ने कहा नहीं नहीं आज तो नीचे का मरम्मत हुआ।
और फिर तेरा कमरे में भी कुछ नया करवाना होगा नयी बहु आएगी।

आलेख ने कहा हां ठीक है।
कुछ अलमारी और फिर बेड, श्रंगार दान, सोफ़ा,टेबल ये सब।
आलोक ने लिस्ट पढ़ कर बताया।।

आलेख ने कहा हां पापा बस ये तो बहुत है।
और कोचिंग क्लास के लिए क्या क्या लिस्ट बनाएं?
आलोक ने कहा ये देख।
फिर सब देखने के बाद दोनों सो गए।
सुबह सुबह आलेख उठकर पढ़ाई करने लगा।
छाया ने चाय बनाकर दिया और फिर आलेख ने कहा अरे वाह आज ठंड कुछ ज्यादा ही है तो चाय तो पीना होगा।
आलोक ने कहा हां, मुझे भी जल्दी से एक प्याली चाय पिला दो।

छाया ने कहा हां, जरूर।
फिर अखबार के सुर्खियों के साथ चाय पीने में व्यस्त हो गए आलोक।
इतने में आलेख तैयार भी हो गया और फिर कालेज के लिए निकल गया।
आलोक ने कहा अरे बाबा नाश्ता।।
आलेख ने कहा अरे वो पिया लाएगी आज।।
आलोक मुस्काते हुए फिर अखबार में खो गए।
कुछ देर बाद मजदूर काम पर आ गए।
आलोक ने कहा आप लोग समय के पक्के हो।
रामानुज ने कहा हां,सहाब काम करना है तो जल्दी ही करते हैं।
आलोक ने कहा हां ठीक है।
फिर सब मजदूर काम में जुट गए।
फिर इस तरह से एक हफ्ते बीत गए और फिर अब हवेली में काफी काम हो गया था और फिर मरम्मत का काम ज्यादा होने की वजह से आलोक ने और दिहाड़ी मजदूर को बुलाया ताकि जल्द से जल्द काम हो जाएं।।
फिर इस तरह से आलोक अपना सब काम छोड़कर यहां रह कर सब कुछ करवाने लगा।
आलेख ने कहा कल हमें टूर के लिए निकल जाना होगा और सब सम्हाल लेना पापा।

आलोक ने कहा हां ठीक है तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो मैं सब कुछ सम्हाल लुगा।
आलेख ने कहा हां ठीक है।
फिर रात को खाना खाने के बाद आलेख ने अपना एक छोटा सा बैग पैक कर लिया।
आलोक ने कहा स्वेटर और जैकेट सब रख लो हां।
जहां जा रहे हो जंगल पहाड़ है वहां जरूरत होगी।
आलेख ने कहा हां, पापा सब ले लिया।
आलोक ने कहा ये ATM कार्ड भी रख लो ।

आलेख ने कहा हां ठीक है। आलोक ने कहा अपना बटुआ तो देना?
आलेख ने कहा हां ये लिजिए।
आलोक ने बटुआ खोल कर देखा तो काव्या की एक तस्वीर थी और फिर आलोक ने कुछ रूपया और रख दिया और फिर कहा, बाबू मुझे लगा था कि तेरे बटुए में मुझे पिया की तस्वीर मिलेगी पर वहां तो छोटी मां है।
आलेख ने कहा हां, पापा वो जगह सिर्फ छोटी मां की है ये सबको पता है।
आलोक ने कहा हां पर यह देख मेरे बटुए में?
आलेख ने कहा हां, दिखाएं।
आलेख ने बटुआ खोला तो देखा छोटी मां की तस्वीर थी।
दोनों ही एक-दूसरे को देखते हुए रोने लगें।
फिर दोनों बातें करने लगे और फिर सो गए।
आलेख जल्दी से जल्दी तैयार हो कर नाश्ता करने बैठ गया।
आलोक ने कहा बेटा वहां पहुंच कर एक फोन कर देना।
आलेख ने कहा हां ठीक है।
फिर दोनों नाश्ता करने लगें।
आलोक ने कहा तुम गाड़ी लेकर बस स्टैंड तक निकल जाओ।
आलेख ने कहा हां ठीक है।
फिर आलेख एक बैग लेकर आ गया। बैठक में जा कर सबसे पहले नानी मां को और फिर छोटी मां को प्रणाम किया और फिर बोला कि बाबू आज मेडिकल कॉलेज टू पर जा रहा था।
फिर बाबू ने आलोक के पैर छुए और फिर आलोक ने खींचा और उसे गले लगा लिया।।
आलेख ने कहा हां ठीक है।
आलोक ने कहा all the best.
आलेख ने कहा थैंक यू।
फिर वहां से सीधे गाड़ी में बैठ गए।
आलेख पहली बार ऐसे जा रहा था तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था।
कुछ देर बाद ही बस स्टैंड पर पहुंच गए।
आलेख अपना बैग लेकर बस स्टैंड पर इन्तजार करने लगा।
कुछ देर बाद ही पिया आ गई और फिर दोनों ही कैब में बैठ गए।
और फिर कालेज भी पहुंच गए।

कालेज में जब सब मेडिकल स्टूडेंट आ गए तो उनकी एक टीम कार्ड बनाई गई और फिर सब बस में बैठ गए।
आलेख और पिया एक साथ बैठ गए।
फिर सर और टीचर्स भी बैठ गए।

फिर बस निकल पड़ी काफी कोहरे की वजह से ड्राइवर को बस चलाने में दिक्कत हो रही थी।
आगे हाईवे तक तो काफी ट्राफिक था।
आलेख ने हवेली में फोन करके बताया कि वो बस में बैठ चुका है। आलोक मजदूरों को काम समझाने में लगे थे इस लिए फोन नहीं उठा सकें तो आलेख ने फोन बैठक पर लगें टेलीफोन पर किया तो छाया ने फोन उठाया और फिर आलेख ने बताया।। छाया ने कहा आलोक बाबू वो भैया का फोन आया था।
आलोक ने कहा अच्छा ठीक है।

आलोक ने कहा आज नीचे का पुरा काम हो जाएगा।
मजदूर ने कहा हां,सहाब सब हो जाएगा।

फिर सब दोपहर को खाना खाने चले।।
आलोक भी खाना खाने के बाद कुछ देर बरामदे में जाकर बैठ गए।
और फिर आलेख को फोन मिलाया तो बात हो गई।
आलेख ने कहा हम अभी एक होटल में पहुंच गए हैं।
लड़कियों को अलग रहने को कहा गया है और लड़कों को अलग।
आलोक ने कहा हां ठीक है बेटा पर तुम पिया का ख्याल रखना हां।।
आलेख ने कहा हां ठीक है कल से हम लोगों का सर्वे शुरू हो जाएगा।

आलोक ने कहा ओके बेटा।
फिर आलोक फोन रख कर थोड़ी देर आराम करने लगे।

फिर शाम की चाय के बाद सभी मजदूर अपना पगार लेकर चले गए।

आलोक भी कुछ देर टीवी देखने लगे।
सर्दी के मौसम में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया और फिर जल्दी अंधेरा भी हो गया।
छाया ने नाश्ते में गोभी के पकौड़े बना दिया।
आलोक ने कहा वाह क्या बात है एक दम वहीं स्वाद और फिर धनिए की हरी चटनी।
छाया भी मुसकाराने लगी।
और फिर बोल पड़ी। अरे सहाब मैं तीस साल पहले जब काम खोजने में यहां इस हवेली में आई थी तो रेखा दीदी ने मुझे भगा दिया था अगर काव्या दीं ने मुझे उस समय सहायता न किया होता तो आज मैं मर ही जाती। एक सोलह साल की जवान लड़की को कौन भला रखना चाहेगा।वो तो मेरे कुछ अच्छे कर्म था तो काव्या दी जैसी इन्सान ने मुझे सहारा देकर मुझे खाना पीना रहने तक का बंदोबस्त किया।।
आलोक ने कहा हां ठीक कहा जिसके अच्छे कर्म होते हैं भगवान उन्हें जल्दी बुला लेते हैं।
फिर इस तरह से एक हफ्ते बीत गए।
आलेख का मेडिकल टूर भी बहुत ही अच्छी तरह से ही गया।
हवेली का काम भी जोर शोर से चल रहा था।
शनिवार को आलेख आने वाला था।
आलोक ने छाया को कहा कि सारी पसंद की चीजें बनाओ।
दोपहर हो गई थी पर यह क्या अभी तक आलेख नहीं आया?
एक अजीब सी बैचैनी हो रही थी आलोक ने बहुत बार फोन भी किया पर फोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर बताया।
इसी तरह रात हो गई और अब आलोक को डर सा लगने लगा।।

क्रमशः