Atit ke panne - 28 books and stories free download online pdf in Hindi

अतीत के पन्ने - भाग 28

फिर शाम को पिया और जतिन हवेली पहुंच गए।
आलोक ने कहा आइए जतिन जी।
और मेरी घर की लक्ष्मी आओ।
पिया थोड़ी शरमाते हुए बोली अरे अंकल आप कब आए?
आलोक मुस्कान लिए बोलें कि अरे बाबा आप की बेटी को जितना देख रहा हूं उतना हैरान भी हो रहा हूं कि आजकल की लड़कियां तो ऐसी कभी नहीं होगी। और फिर काव्या की झलक मुझे हमेशा पिया की मुस्कान में उसकी नियत और उसकी सादगी मिल रही है ये भगवान का कोई अद्भुत चमत्कार ही है।।
जतिन ने हाथ जोड़कर कहा कि ये आपका बड़प्पन है जो आप ऐसा मानते हैं और हां कहीं न कहीं मैं भी ये मानता हु कि पिया में काव्या के गुण है वो इसलिए क्योंकि जब पिया की मां अर्चना गर्भवती थी तो काव्या ने हर तरह से अर्चना की देखभाल और उसे हर तरह सहायता करती और फिर उसे बहुत कुछ सिखाई थी जिससे यह सब अपने आप अच्छे गुणों का विकास पिया में हो गया था और फिर दुर्भाग्यपूर्ण अर्चना भी नहीं रही और इधर काव्या भी नहीं रही।।
ये सारी बातें आलेख ने दरवाजे के पास खड़े हो कर सुन लिया और फिर रोने लगा।
सीसकियो की आवाज से पिया उठकर देखने गई और फिर आलेख को लेकर बैठक में आ गई।
आलोक ने कहा आओ बेटा। देखो तुमने अपनी जीवनसंगिनी को चुनने में कोई गलती नहीं की है ये तुम्हारी छोटी मां की छाया है।
आलेख ने कहा हां, पापा ठीक कहा आपने।।
जतिन ने कहा हां मेरा भी सपना था कि मैं काव्या के बेटे के साथ ही अपनी बेटी का विवाह करवाऊंगा।।
और मेरा सपना पुरा हो रहा है।

मुझे पुरा यकिन है कि पिया इस हवेली को फिर से रौनक और वही अपनापन महक सब कुछ लौटा देंगी।
आलोक ने कहा हां और फिर मैं अपनी बेटी के पास आकर रहुगा।।

पिया ने कहा हां, अंकल एक बार मैं आ जाऊंगी तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।।

आलेख ने कहा हां पापा इसके बाद आप यहां पर रहोगे।
आलोक ने कहा हां, ठीक है।
चलो अब चाय नाश्ता हो जाएं।
पिया ने कहा हां मैं छाया जी के साथ कर लेती हुं।
फिर पिया किचन में जाकर छाया के साथ मिलकर चाय और नाश्ता लगाने लगी।
छाया ने कहा हां दीदी आप आती हो तो हवेली में रोशनी आ जाती है।
पिया ने मुस्कुराते हुए कहा हां छोटी मां भी यही कहती हैं ना।।
फिर बैठक में लेकर रखा और फिर सबको देने लगी।
जतिन ने कहा अरे वाह समोसे।

फिर सब मिलकर चाय और नाश्ता करने लगे।

आलेख ने कहा अरे अंकल छोले लिजिए ना।
जतिन ने कहा हां,बस हो गया। रात को डिनर भी है ना?
आलोक ने कहा हां, और क्या?
आलोक ने कहा अब अगले महीने से कोचिंग का काम शुरू हो जाएगा।
पिया ने कहा हां, बहुत अच्छा।
आलेख ने कहा पिया कालेज मेडिकल टूरिज्म कब है?
पिया ने कहा अगले हफ्ते ही है।
आलेख ने कहा हां अच्छा हुआ पहले नहीं हुआ।
पिया ने कहा अरे पता है इस हफ्ते ही था वो तो सर से कहा मैंने कि आलेख नहीं आ सकता उसकी तबीयत खराब है।तो क्या अगले हफ्ते हो सकता है?
फिर सर ने कहा हां, हां क्यों नहीं।

आलेख ने कहा अरे वाह क्या बात है पिया।। थैंक यू।
सब हंसने लगे।
जतिन ने कहा अब धीरे धीरे शादी की तैयारी करनी चाहिए।
आलोक ने कहा हां और क्या जो है हमें ही करना है वैसे काव्या ने सब कुछ रखा है अपनी बाबू की पत्नी के लिए।


आलेख ने कहा हां, पापा छोटी मां को हमेशा से मेरी शादी की चिंता थी।।

पर उन्हें क्या पता कि उनकी परछाईं ही मेरी जिंदगी बन गई।
पिया थोड़ी सी शर्मा गई।।
फिर सब छत पर पहुंच गए।
आलोक सब कुछ बताने लगे।
आलेख और पिया अपने पौधों को पानी देने लगें।

और फिर आपस में बात करने लगे।।
जतिन और आलोक भी भुली बिसरी याद करते हुए टहलने लगे।
सर्दी का मौसम था ठंडी -ठंडी सर्द हवाओं का झोंका सा चल रहा था।

पिया ने कहा कितनी सर्द मौसम है और फिर मिट्टी की भीनी भीनी सी महक।।
आलेख ने कहा हां, बहुत ही अच्छा लग रहा है।
आलोक ने कहा हां पर तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है तो हम अब नीचे चलते हैं।
जतिन ने कहा हां, ये बिल्कुल ठीक कहा आपने।
फिर सब नीचे आ गए।
आलोक ने कहा चाय अदरक वाली बना दो ।।
छाया ने कहा हां, ठीक है बाबूजी।
सब बैठक में आ गए और फिर बात करने लगे।
पिया ने पुछा आलेख क्या कर आ रहें हैं आप कालेज?
आलेख ने कहा हां,अब बोर हो गया हुं।
जतिन ने कहा हां जो पढ़ाई करते रहते हैं वो घर में नहीं रहना चाहते हैं।
आलोक ने कहा हां मैं तो अभी यहां पर हुं तुम चले जाओ कल ।
वैसे भी कल से तुम्हारी छोटी मां का सपना भी पूरा होने जा रहा है।
आलेख ने कहा हां, पापा ठीक है।
फिर सब मिलकर खाना खाने बैठे।
खाने में बहुत कुछ बना था।
सरसों का साग,मटर की पुरी,पुलाव,भाजी,पनीर के कोफ्ते,दम आलू, प्याज के पकौड़े।
जतिन ने कहा इतना कुछ बना है क्या बात है।।
आलोक ने कहा अरे खाइए गरमा-गरम।।
फिर सब मिलकर खाना खाने लगे।
आलेख बार बार पिया की थाली में देख रहा था क्योंकि उसकी थाली में कुछ था नहीं।।
आलेख ने एकाएक पुछा अंकल पिया क्या डाइटिंग कर रही है?
जतिन ने कहा हां और क्या पुछो मत। गर्म पानी पी रही हैं और पता नहीं क्या क्या।।
आलेख ने कहा ये ग़लत बात है मुझे मोटी ही अच्छी लगती हैं।सब ये सुनकर हंसने लगे पर पिया एकदम से शर्मा गई।
आलोक ने खाना खाने के बाद जतिन को आराम करने को कहा।
जतिन ने कहा आलोक जी बस , इतना सत्कार न किजिए।
आलोक ने कहा अरे नहीं नहीं आप तो काव्या के परम मित्र हैं और अब मेरे सम्बंधी।।
जतिन हंसने लगे और फिर बोलें हां काश काव्या जिन्दा होती।
आलोक ने कहा हां और क्या वो तो बस चली गई अभिमान करके।।
आलोक के आंखों में आसूं झलक रहे थे।
आलोक ने कहा क्यों नहीं रात का भोजन कर के जाइए।
जतिन ने कहा अरे बाबा अब आप रात को भी खिलाएंगे।
क्रमशः

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