Atit ke panne - 33 books and stories free download online pdf in Hindi

अतीत के पन्ने - भाग 33

गीता को पिया ने देखते ही देखते बोल पड़ी अरे आप को कैसे सब पता।
गीता ने कहा मैं तुम्हारे साथ रह कर तुम्हें कुछ समझाना चाहती हुं।

फिर जतिन चाय लेकर आ गए।
पिया ने कहा पापा ये क्या यहां रहेगी?
जतिन ने कहा हां, बेटा तुम्हारी दोस्त।
फिर सबने मिलकर चाय पिया।
शायद अब पिया को भी जीने का आसरा मिल जाए जैसे एक प्यासे को कुएं की याद आती है।
इस तरह से जिंदगी चलने लगी थी और फिर पिया अब हंसने, बोलने और गुनगुनाते हुए रहती थी।
पता नहीं पिया का अतीत उसको क्या सिखाएगी।
पर हर रोज आलेख अपनी जिम्मेदारी करते नहीं भुलता वो रोज गुलाब की फुलों से पिया का घर सजा जाता था।
आज पांच साल बीत गए। आलेख एक बहुत ही नामी डाक्टर बना गए और फिर डाक्टर से सर्जन बनते देर न लगी।
आलेख ने छोटी मां का सपना पूरा कर दिया उस हवेली को एक काव्या कोचिंग सेंटर के नाम से जानने लगे क्योंकि यहां पर बच्चों से कोई भी फीस नहीं ली जाती।किताब ,कापी सब मुफ्त में मिलता था।
आलोक भी अब उम्र के उस दहलीज पर खड़े था जहां से सिर्फ और सिर्फ आंखे बंद करने की समय था।।

आलेख ने रोज की तरह पापा को एक अच्छी सी मालिश करने के बाद एक साथ चाय पीने के बाद नाश्ता करने की जल्दी में।।
आलेख ने कहा पापा आज मैंने छोटी मां का सपना पूरा तो कर लिया पर अपना सपना पूरा ना कर सका।
आलोक ने कहा बेटा मेरे जाने से पहले तू शादी कर लेता तो।
आलेख ने कहा अब शादी नहीं होगी मुझसे।उसी के आसरे जिंदगी बिताना होगा। और फिर छोटी मां ने भी तो शादी नहीं कि थी।।
आलोक ने कहा बस कर बेटा मैं उस चीज के लिए खुद को माफ नहीं कर सका।
आलेख ने कहा पापा ऐसा नहीं है। पिया को मैं दिल से चाहता हूं।
उसके बिना ये जिंदगी अधुरी है। आलोक ने कहा अच्छा अब नाश्ता कर लो।
छाया ने कहा बाबू बच्चे आ गए हैं।
आलेख ने कहा ठीक है सबको ऊपर जाने को कहो।

पिया खुद को सिलाई कढ़ाई में इस तरह से व्यस्त कर ली थी कि उसके दिल में आलेख के लिए कोई जगह नहीं थी।उसे अब जिंदगी जीने का सही अर्थ समझ आ गया था और फिर गीता ने उसे अपने चैम्बर में भी काम दे दिया कहते हैं खुद को जितना व्यस्त रखोगे तो नाकारात्मक विचार आना बंद हो जाएगा।

जतिन को एक चिन्ता बनी हुई थी कि उसके बाद कौन साथ देगा?
आलेख का उसके घर पर आना और गुलाब के फुलो को सजाना बस यही एक रिश्ता रह गया था।
पिया देख कर भी अनदेखा कर देती थी और आलेख भी अपने दिल को मना कर चला जाता।
कौन मानेगा इनका प्यार जो कभी मिसालें दिया करता था अब क्या एक तरफा बन गया?
क्या हुआ अतीत के पन्ने में जो इनको भी दुःख ही नसीब होगा?
काव्या का प्यार अधुरा था तो उसके बाबू का प्यार भी अधुरा रह जाएगा।
नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता है मेरे बाबू को उसका प्यार ज़रूर मिलेगा?
पिया के दिल में आलेख ही है ऐसे कैसे हो सकता है मेरे बाबू को उसका हक मैं जरूर दिलवा दुंगी।


क्रमशः

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