अतीत के पन्ने - भाग 19 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 19

आलेख ने जोर से कहा कौन है जो बार बार नम्बर गलत मिला रहा है।
उधर से आवाज आई अरे बाबा गाड़ी में बैठ गए हो तो ठीक है।
आलेख ने कहा ओह माई गॉड लगता है कोई मुवी देखने में व्यस्त हैं तभी तो यह सब बातें कर रहे हो हां।। ओह भाई अब फोन मत मिलाओ।
छाया ने कहा क्या हुआ बाबू परेशान हो गए इस मशीन से?
पता है काव्या दीं को भी जरा भी पसंद नहीं था खट-पट।
इसका नाम दिया था एक बार तो आलोक बाबू ने कहा कि ये फोन देता हूं।
काव्या दी ने मना कर दिया कि ये सब ना दे ये जी का जंजाल है।
आलेख ने कहा हां ठीक है कहा था छोटी मां ने पर क्या करूं आजकल का दस्तूर ही हो गया है।
तभी पिया का फोन आया।
आलेख ने सब कुछ बताया तो पिया हंसने लगी और फिर बोली पता है कि इसमें हम एक-दूसरे को देख सकते हैं।
आलेख ने कहा हां पर छू नहीं सकते हैं। पिया हंसने लगी और फिर बोली कि सन्डे तक आएगी।
आलेख ने कहा हां ठीक है पर सोमवार से परिक्षा शुरू हो रहा है।
पिया ने कहा हां पता है मैं तो यही पर पढ़ाई कर रही हुं।
और तुम भी करो।
आलेख ने कहा हां आदत खराब कर के कह रही हो कि पढ़ाई करो।
पिया ने कहा हां ठीक है ना हर तरह का आदत होनी चाहिए।
आलेख ने कहा हां एक बार आओ फिर बताता हूं।
पिया ने कहा आलेख अपनी छोटी मां को याद करो वो तुम्हारे लिए भगवान है मां सरस्वती का रूप है फिर देखना कैसे अव्वल आते हो।
शाम को कन्हैयालाल आ गए और फिर बोलें बेटा दो दिन के लिए गांव जाना होगा।
आलेख ने कहा चचा क्या हुआ।
कन्हैयालाल ने कहा बहु बीमार है।
आलेख ने कहा हां ठीक है।
कन्हैयालाल ने पैसे लेकर आलेख को दिया और फिर बोलें बेटा आज का हिसाब।
आलेख ने गिना दस हजार रुपए थे और फिर रेजिस्टर में साइन किया।
छाया ने लाकर चाय नाश्ता रख दिया।
आलेख ने पांच हजार रुपए देते हुए कहा चचा ये लो आपके काम आएंगे।
कन्हैयालाल ने कहा अरे बाबू इतना मत करो।
आलेख ने कहा अरे काका आपको तो पता है छोटी मां नहीं है तो क्या उनकी हर बात और तालिम का मैं भक्तिपूर्वक सम्मान करता था करता हूं करता रहुगा।
कन्हैयालाल रोने लगे और फिर बोलें जुग जुग जियो।
और फिर कन्हैया लाल चाय नाश्ता करने के बाद चले गए।
आलेख ने बाकी पैसे छोटी मां के अलमारी में रख दिया और फिर वहां से बैठक में जाकर टीवी देखते हुए चाय नाश्ता करने लगे।
कुछ देर बाद आलोक का फोन आया और उसने हालचाल पूछा।
आलेख ने कहा हां ठीक है सब पर आज एक फोन कॉल ने परेशान कर दिया है ।
आलोक ने कहा कि ऐसा होता है कभी कभी वैसा कैसे चल रहा है परिक्षा की तैयारी हो गई।
आलेख ने कहा हां पापा सब कुछ ठीक है।
आलोक ने कहा बेटा इस बार मैं नहीं आ पाऊंगा वो कुछ काम से लखनऊ जाना है।
आलेख ने कहा हां ठीक है पापा परीक्षा के बाद हम घुमने जाएंगे ना?
आलोक ने कहा हां ज़रूर जाएंगे, जतिन जी से बात किया था मैंने।
आलेख ने कहा हां ठीक है टिकट बुक करवाना होगा।
गर्मी में शिमला कैसा रहेगा?. आलोक ने कहा हां बेटा तुम्हारी छोटी मां का बड़ा मन था कि वह शिमला घुमने जाएं।
आलेख ने कहा हां सच कहा आपने इस बात का जिक्र डायरी में भी किया है।

फिर आलोक ने फोन रख दिया और फिर आलेख रात का खाना खाने के बाद फिर पढ़ाई करने लगा और उसे हर पल छोटी मां का एहसास होने लगा और फिर वो बोला कि एक साल का बरसी कराने से वो इन्सान की आत्मा जो अपने प्रियजनों को देखने आती है वो फिर चली जाती हैं हमेशा के लिए कभी नहीं आती।।
ऐसे कैसे हो सकता है मेरी छोटी मां अगर चली गई तो मैं कैसे जी पाऊंगा उनको नहीं जानें दे सकता हूं।
फिर कब पढ़ते पढ़ते आंख लग गई पता नहीं चल पाया।
और सुबह भी हो गई आलेख ने कहा अरे आज तो लाइब्रेरी में जाना होगा कुछ नोट्स लिखने है फिर जल्दी से तैयार हो कर नीचे पहुंच गए और फिर बोला छाया जी आज मैं नाश्ता वापस आ कर करूंगा।
छाया ने कहा अरे बाबा ये क्या कह रहे हो जिस समय आओगे खाना खाने का समय हो जाएगा।।

आलेख ने कहा ओह ठीक है मैं चलता हूं।
फिर बस स्टैंड पर इन्तजार करने के बाद एक बस आ गया और फिर पहुंच गए मेडिकल कॉलेज में।
और फिर पहले लाइब्रेरी पहुंच गए और कुछ किताबें लेकर बैठ गए।
ओह अब याद आया कि पिया ने कहा था कि लाइब्रेरी में फोन साइलेंट मोड पर रखना है। आलेख ने जल्दी से मोबाइल को साइलेंट मोड पर रख दिया और फिर किताब पढ़ने लगा और उससे नोट्स लिखने लगें काफी समय तक ये पढ़ाई करने के बाद बुक वापस रखने के बाद केंटिन में जाकर बैठ गया।
बस बहुत भुख लगी है तो समोसे और चाय पी लिया जाए।
तभी किसी लड़के की आवाज आई वो शायद मदद मांग रहा था आलेख उठकर जाने लगा तो वहां जो छात्र छात्राएं उपस्थित थे सबने कहा मत जाओ फंसोगे।
आलेख ने कहा हां सही कहा पर किसी की मदद करना गुनाह है तो वो ही सही। आलेख बढ़ गया और फिर बोला एक निहत्थे को मार रहे हो अगर हिम्मत है तो आओ।
तीन लड़के थे वो सब आलेख की तरफ बढ़ने लगे और आलेख भी बिना डरें अपना बेल्ट निकल लिया और फिर खुब जम कर पिटाई कर दी एक दो डडे आलेख पर भी पड़ा था पर उसने बहादुरी दिखाई और फिर पीछे से किसी ने पुलिस को फोन कर दिया। कुछ देर बाद पुलिस आ गई और उन सब को पकड़ लिया।
वो लड़का एक दम अधमरा सा था आलेख ने पानी पिलाया और फिर पास ही एक अस्पताल में भर्ती कराया।
पुलिस आलेख से भी पुछताछ किया तो पता चला कि वो सब फेलियर स्टूडेंट्स है और सबसे हफ्ता वसूली करने आएं थे।
आज तक किसी ने भी आवाज नहीं उठाई बहादुरी नहीं दिखाई जो आलेख ने कर दिखाया।
पुलिस ने आलेख की पीठ थपथपाई और कहा ऐसे बहादुर हर जगह हो क्या बात है।

आलेख ने अस्पताल में अपने पैसों से उसका इलाज करवाया।

और जब उसको होश आया तो वो आलेख को बहुत बहुत धन्यवाद दिया और फिर बोला कि कोई भी आगे नहीं आया मैं तो शायद मर जाता ही जाता किसी तरह मेडिकल की पढ़ाई कर रहा हूं स्कालरशिप मिला और टुयशन पढा कर अपना गुजारा कर लेता हूं।
आलेख ने कहा हां तुम चिंता मत करो आज के बाद ये सब कुछ नहीं होगा यहां पर।
मैं चलता हूं सोमवार को परीक्षा है ना।
वैसे तुम्हारा नाम क्या है।
वो लड़का बोला कि शाम।। तुम मेरे कान्हा हो।
आलेख हंसने लगा।
फिर आलेख घर वापस आ गया और फिर फोन पर पिया को सारी बात बताई तो पिया ने कहा वाह वाह बहादुर जांबाज सिपाही पर फोन क्यों नहीं उठाए।
आलेख ने कहा हां लाइब्रेरी में था और फिर भुल गया।
पिया ने कहा हां ठीक है चलो फिर सोमवार को मिलते हैं।

आलेख भी थक गया था और फिर जाकर सो गया।
दूसरे दिन रविवार था तो आंख भी देर से खुली तो देखा कि दो प्लायी चाय रखी थी ओह छोटी मां हमेशा गुस्सा करती थी पर वो ये आदत नहीं बदल पाईं।।

फिर नहा धोकर नीचे पहुंच गया और छोटी मां और नानी मां की तस्वीर के आगे दिया जलाकर हाथ जोड़कर प्रार्थना किया और फिर बोला छाया जी चाय नाश्ता दे दो।
छाया ने कहा हां बाबू दो बार चाय रख छोड़ा था।
आलेख ने कहा हां ये आदत गई नहीं आपकी।
छाया ने आकर चाय और आलू के परांठे दे दिया।
आलेख ने मन से खाना खाने के बाद सोचा कि थोड़ी पढ़ाई कर ली जाए।
एमबीबीएस की पढ़ाई बहुत ही कठिन होता है।
फिर आलेख पढ़ाई करने लगा और फिर दोपहर हो गई।

आलेख ने घड़ी देखा तो दो बजे थे ओह भुख लगी है चल कर खा लेता हूं।।
खाने के टेबल पर बैठ गए और फिर बोला छाया दी खाना लगा दो।
छाया ने कहा हां अभी लगाती हुं।
आलेख ने थाली देखते हुए कहा वाह कटहल की सब्जी और चप रखी है?
छाया ने कहा हां भैया रखी हुं।
आलेख हंसने लगा और फिर खाना खाने लगा।
फिर बड़े आराम से जाकर सो गए आलेख जैसे लगा कि बरसों से नहीं सोया आज जाकर सो गया।
सपने में छोटी मां उसके सिरहाने सर मै में हाथ रखती नजर आईं।
फिर उठ ही गया आलेख और देखा कि पुरी हवेली वीरान है जल्दी से चारों तरफ रोशनी करके नीचे आ गया और फिर टीवी खोल दिया कुछ देर बाद ही फोन बजने लगा और जल्दी से फोन उठाया तो आलोक ने कहा अरे बेटा घर में नहीं हो?
आलेख ने कहा सो गया था और फिर अभी उठा हुं।
आलोक ने कहा हां ठीक है माइंड फ्रेश होना जरूरी है अच्छा कल सुबह का पेपर है।
आलेख ने कहा हां पापा।
आलोक ने कहा आॅल दी बेस्ट।
आलेख ने कहा थैंक यू पापा।
कुछ देर बाद घंटी बजने लगीं और फिर आलेख ने दरवाजा खोला तो छाया खड़ी थी।
आलेख ने कहा सामान दे नहीं गया क्या वो नत्थू ?
छाया ने कहा हां, सब्जी मंडी चली गई थी।
आलेख ने कहा ओह अच्छा।
हां चाय के साथ कुछ बना दो।
छाया ने कहा हां अभी लाती हूं।
कुछ देर बाद चाय और पापड़ लेकर आ गई।
आलेख ने कहा हां ठीक है फिर टीवी देखते हुए चाय और पापड़ खाकर पढ़ने बैठ गए।
काफी देर तक पढ़ाई करने के बाद आलेख सो गया और फिर सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गया छः बजे तक निकलना होगा अपना एडमिट कार्ड, छोटी मां के कमरे में जाकर कुछ देर तक बैठ कर छोटी मां से बोला देखो आज तुम्हारा सपना पूरा करने जा रहा हुं मेडिकल की पढ़ाई और एक्जाम।।

आज मैं आपको एक बार देखना चाहता हूं फिर आलेख ने अपना आंख बंद करके छोटी मां को याद किया और फिर जल्दी अपना बैग चेक करके दही का छाछ पीने के बाद निकल गया और फिर बस स्टैंड पर इन्तजार करने लगा आज कितने दिनों के बाद पिया को देखुगा।
पर पिया नहीं आई और आलेख थोड़ा सा मायुस हो कर बस में बैठ गए।
और सोचने लगा कि पिया नहीं आई आखिर क्या हुआ।।
फिर मेडिकल कॉलेज पहुंच गया और फिर इधर उधर देखने लगा।
क्या पिया नहीं आएगी। आखिर क्या हुआ उसे।
क्रमशः