अतीत के पन्ने - भाग 20 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 20

आलेख इधर उधर पिया को ढुढते हुए एक्जाम हाॅल में पहुंच गया और फिर अपना रोल नंबर देख कर बैठ गए और फिर सोचने लगा कि पिया अभी तक पहुंची नहीं अब क्या होगा।
कुछ देर बाद सारे मेडिकल छात्र छात्राएं अपने अपने रोल नं पर बैठ गए और कुछ देर बाद ही पिया आ गई और हांफते हुए कहा अरे मेरा एडमिट कार्ड तो दो।
आलेख ने जल्दी से बैग में से निकल कर दिया और फिर पिया भी जल्दी से एडमिट कार्ड दिखाते हुए बैठ गई।
फिर दोनों कुछ बात भी नहीं कर पाएं।
एक्जामिनर सर आ गए और उन्होंने कहा जो ,जो किताब,कापी लेकर बैठा है वो बाहर रख दें।
आलेख ने अपनी कलम निकल लिया जो पापा ने दिया था।
फिर सब को उत्तर पुस्तिका दे दिया गया और फिर एक बेल बजने के बाद ही पेपर भी दे दिया गया।
आलेख को पेपर मिलते ही अपनी आंख बंद करके छोटी मां को याद किया और फिर पेपर पढ़ने लगा और फिर उत्तर पुस्तिका में लिखने लगा।
उधर पिया भी लिखने लगीं।
आलेख ने दूसरी पुस्तिका भी ले लिया और फिर इसी तरह तीन घंटे कैसे निकल गए।
आलेख ने पुरा पर्चा कर लिया था और फिर उत्तर पुस्तिका से मिलान भी कर लिया था तो उसने अपनी कापी जमा कर दिया।
और फिर कुछ देर बाद ही बेल बज गई थी और फिर सब ने उत्तर पुस्तिका जमा देकर ॅहाल से बाहर निकल आए।
आलेख दूर खड़ा इन्तजार करने लगा और फिर पिया आ गई।
पिया ने कहा चलो कैंटीन चलें।
आलेख ने कहा हां ठीक है पर क्या बात है चहरे पर मुस्कान कहां गया?
पिया ने कहा हां मैं सब बताती हूं।
कैंटिन पर जाकर दोनों बैठ गए और पिया ने चाय और समोसे का आर्डर देने को कहा।
पिया ने कहा क्या हुआ कि बुआ जी बिमार हो गई थी और फिर जब हम पहुंच गए तो सब कुछ ठीक हो रहा था कि अचानक बुआ जी के देवर का बेटा आ कर सब कुछ गरबड़ कर दिया।
आलेख ने कहा हां पर क्या हुआ?
पिया ने कहा अरे उसने प्रस्ताव दिया कि अगर उसका विवाह मेरे साथ कर देंगी तो बुआ जी का जो घर उनके पास गिरवी है वो छोड़ देगा।
पर वो जानवर है जानवर।
आलेख ने कहा पिया उसने तुम्हारे साथ कुछ।
पिया ने कहा अरे हिम्मत होगी क्या उसकी मैं तो बैल्ट हुं।
पापा ने ये सब बातें अपने दोस्त आई पीएस कार्तिकेयन कुमार को बताया तो फिर उन्होंने अपने हाथ सबकुछ ले लिया और फिर बुआ का घर जो जबरन ले लिया था वो वापस मिल गया और फिर उसे जेल हो गई।
किसी तरह से ये सब निपटने के बाद हम यहां आ पाए वरना मेरा पेपर छूट जाता।
आलेख ने कहा हां वही तो जो भी हो तुम सही समय पर आ गई।
लो चाय और समोसे आ गए।
फिर दोनों समोसे और चाय पीने लगे और फिर आलेख ने अपना मोबाइल चेक किया तो देखा कि पापा का मिस कॉल था तो तुरंत आलेख ने फोन मिलाया और फिर बोला पापा हां एग्जाम बस बहुत ही अच्छा हुआ। हां मैं ठीक हूं और आप कैसे हो?
आलोक ने कहा हां ठीक हुं मै बेटा तुम बस ध्यान से पढ़ाई करो।
आलेख ने कहा हां पापा मै इन्तजार करूंगा आपका।
फिर फोन रखते हुए कहा चलो अब घर चलें।
पिया ने कहा आज मेरे घर चलो वहां पर आज पापा खाना बना रहे हैं। "कढ़ी चावल!"
आलेख ने सुनते ही कहा अरे वाह चलों फिर।
मैं छाया को बता देता हूं। फिर दोनों बस में बैठ गए जगह मिल गई और फिर दोनों आपस में बात करते हुए सीधे अपने स्टांप पर पहुंच गए।
पिया के घर पहुंच कर ही आलेख ने छाया को फोन कर दिया और कहा कि देर होगी आने में।
छाया ने कहा हां ठीक है मैं रात के खाने में क्या बनाऊं? आलेख ने कहा हां ठीक है जो बनाना है बना देना।
फिर पिया ने कहा आलेख ये लो शर्बत पी लो। आलेख ने कहा हां ठीक है वैसे अंकल किधर है?
पिया ने कहा हां चलो दिखाते हैं कि पापा कहां है?
फिर दोनों किचन की तरफ गए।
आलेख ने कहा अरे वाह अंकल आप तो बेहतरीन कुक हो?
जतिन ने कहा हां ठीक कहा तुमने पर बिना खाएं कैसे बोल रहे हो?
आलेख ने हंसते हुए कहा सुना हुं अंकल।
फिर तीनों हंसने लगे।
पिया ने कहा पापा आप भी ना, लगें हुए हैं किचन में!
मैं फे्श हो कर आती हूं।
जतिन ने कहा हां ठीक है आओ आलेख हम बैठक में चले।
फिर दोनों बैठक में जाकर बैठ गए और फिर जतिन ने कहा और आलोक जी कैसे हैं?
आलेख ने कहा हां ठीक है पापा।
जतिन ने पूछा कैसे हो रहा है मेडिकल की पढ़ाई?
आलेख ने कहा हां अच्छा और उम्मीद है कि अव्वल आऊंगा।
जतिन ने कहा हां हमें भी विश्वास है बेटा।
कुछ देर बाद पिया आ गई और फिर बोली मैं खाना टेबल पर लगाती हुं।
फिर सब मिलकर खाना खाने बैठ गए और फिर आलेख ने बहुत तारीफ भी किया कि अंकल आपके हाथ का कढ़ी बहुत ही स्वादिष्ट बना है।
पिया ने कहा हां मैंने कहा था ना?
आलेख ने पेट भर खाना खा लिया और फिर बोला अब कुछ देर पढ़ाई कर लेते हैं अब परसों पेपर है।
पिया ने कहा हां ठीक है तुम बैठक में जाकर बैठ जाओ मैं आती हूं।
जतिन भी अपने कमरे में जाकर आराम करने लगे।
पिया और आलेख में बहुत ही सादगी और ईमानदारी थी उसका प्यार सच्चा था इसलिए कोई जबरदस्ती भी नहीं था।
बैठक में आराम से बैठ कर आलेख पढ़ाई करने लगे और फिर पिया भी आकर बैठ गई और फिर पढ़ाई करने लगीं।
दोनों काफी देर तक पढ़ाई करते रहे और फिर आलेख ने कहा अब मुझे जाना चाहिए।
पिया ने कहा हां ठीक है आलेख हम कल मिलते हैं।
आलेख ने कहा हां ठीक है शाम को आ जाना।
फिर आलेख अपने घर को निकल गए।
हवेली पहुंच कर ही आलेख ने अपनी छोटी मां के फोटो के पास दीपक जलाकर पुजा किया और फिर बोला छाया जी चाय पिलाइए।
फिर छाया चाय लेकर आई और फिर आलेख ने कहा कोई खबर आई क्या कन्हैयालाल जी की?
छाया ने कहा नहीं छोटे मालिक।
आलेख ने कहा आज एक हफ्ते से दुकान बंद पड़ा है, पता नहीं क्यों ऐसा किया कन्हैयालाल जी ने।

छाया ने कहा हां पता नहीं क्यों कुछ हुआ होगा? वरना इतने सालों से कभी ऐसा नहीं हुआ।
आलेख ने कहा हां पर दुकान पर किसे बैठा दु?
नुकसान भी हो रहा है।समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं।
छाया ने कहा छोटे मालिक आप चिंता मत करिए मैं रोज सुबह दुकान बैठ जाया करूंगी वैसे भी आप कालेज चले जाते हो उसके बाद मेरा काम नहीं रहता है।
आलेख ने कहा हां ठीक है छाया जी कुछ दिन सम्हाल लिजिए।
मैं पढ़ाई करने जा रहा हुं ये कहते हुए आलेख छोटी मां के कमरे में चला गया और फिर वहां जाकर रोज की तरह बात करने लगे कि यह सब हुआ कालेज में, परिक्षा बहुत ही अच्छा हुआ। अच्छा छोटी मां आपकों पिया पसंद है ना?
मैंने तो कहा था कि बस आपकी छवि हो और फिर पिया को जब मैं देखता हूं तो मुझे उसमें आप दिखाई देती हो छोटी मां,आपकी तरह हंसना, समझाना,मनाना,सब कुछ ऐसा क्यों होता है छोटी मां?सब कुछ है पर आप ही नहीं हो कहीं?
आप होती तो पिया को सबकुछ सिखा सकती थी। वैसे तो वह खाना बहुत अच्छा बनाती है वो जतिन अंकल ने आपसे सिखा था वो पिया को सिखा दिए और फिर पिया एकदम आपके हाथ का बना लेती है वहीं स्वाद।।आप कहीं गई नहीं है आप हमारे साथ है ये पिया कहती हैं। मैं आपका सपना पूरा करने जा रहा हुं मेडिकल की पढ़ाई में पहला भाग का एग्जाम हो रहा है।
आपका आशीर्वाद रहा तो मैं सबकुछ आसानी से कर लुंगा। और फिर आप जैसा चाहती थी मैं अलीगढ़ से ही डाक्टरी करूंगा।
आप देखना छोटी मां।
फिर कुछ देर बाद ही खाना खाने के बाद आलेख जाकर सो गया।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर आलेख नाश्ता करने लगा और फिर छाया ने कहा छोटे मालिक मैं अब दुकान पर जा रही हुं।
यहां का सारा काम हो गया है।
आलेख ने कहा हां ठीक है मैं तो घर पर ही रह कर पढ़ाई करूंगा।
छाया दुकान की चाबी लेकर चली गई दुकान खोलने।
आलेख नाश्ता करने के बाद बैठक में जाकर पढ़ाई करने लगा।
काफी देर तक पढ़ाई करता रहा और फिर फोन की घंटी बजने लगीं और आलेख ने फोन उठाया और उधर से आवाज आई आलेख बेटा मैं कन्हैयालाल काका बोल रहा हूं।
आलेख ने कहा हां काका सब ठीक है ना? कन्हैयालाल ने कहा नहीं, नहीं कुछ ठीक नहीं है।
आलेख ने कहा हां पर हुआ क्या?
कन्हैयालाल ने कहा अरे मेरे बेटी को सांप ने काटा है और फिर इसी से परेशान हैं। डाक्टर ने कहा कि जहर निकाल दिया है पर कोई फायदा नहीं हुआ है जान बचेगी या नहीं?
आलेख ने कहा आप चिंता मत करो आप उसे शहर लेकर आईए सब ठीक हो जाएगा।
कन्हैयालाल ने कहा हां मैंने भी कहा था पर बेटा बहु नहीं मान रहे हैं।
अच्छा चलो रखता हूं। ये कह कर कन्हैयालाल जी चले गए।
आलेख ने कहा ओह बहुत मुसीबत आ गई कन्हैयालाल जी के घर में।
अब क्या करना चाहिए मुझे?
क्रमशः