अतीत के पन्ने - भाग 34 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 34

अतीत के पन्ने कुछ ऐसे होते हैं जो सदियां बीत जाने पर भी निशान जाती नहीं है।

बाबू ओ बाबू उठ ना ।
आलेख उठ बैठा और अपने सिरहाने राधा मासी को देखते ही खुश हो गया।
आलेख ने कहा क्या मासी सपना देख रहा था पर अधूरा रह गया।
राधा ने कहा अब बस कर सपना देखना तू अब सर्जन बन गया है और अभी तक उसके पीछे पड़ा है।
आलेख ने कहा हां, क्या करूं प्यार किया है सच्चा वाला।।
राधा ने कहा चल अब तैयार हो जा मार्केट चलते हैं।।
आलेख ने कहा पर क्यों? राधा ने कहा कल जीजा जी की सालगिरह है।भुल गए ना।।
आलेख ने कहा हां, हां चलो।
फिर दोनों तैयार हो कर निकल गए मार्केट।
खरीदारी बहुत ज्यादा हो गई इस बार।।
फिर हंसते हुए दोनों वापस हवेली आ गए।
काव्या कोचिंग सेंटर बड़े पैमाने पर चलने लगा था आलेख का मेहनत रंग लाया।
काव्या कोचिंग सेंटर बहुत ही जल्दी प्रसिद्ध हो गया।।
रात को राधा और आलेख मिलकर आलोक की पसंदीदा स्टडी रूम गुब्बारे और लाल पीली लाईटों से रुम को सजा दिया।।
फिर केक सजा कर बारह बजने का इंतजार करने लगे।।

राधा और आलेख अब आलोक के कमरे में जाकर दोनों ने एक साथ कहा हैप्पी बर्थडे। हैप्पी बर्थडे।।
आलोक ने हंसते हुए कहा अरे मुझे तो याद नहीं!
राधा ने कहा अरे बाबा इसलिए तो मैं आ गई।आप अब चलिए।।
आलोक ने कहा अरे बाबा अब कहां!
आलेख ने कहा बस यहां तक।
आलोक ने देखा कि उसके स्टडी रूम को पुरा गुब्बारा सजा हुआ था।
आलोक ने कहा अरे वाह क्या बात है! तुम लोगों ने तो यहां मेरे कालेज के वो दिन याद दिला दिया।
पता है आलेख तुम्हारी छोटी मां तो पुरे कालेज में माल पुरे और पुरी छोले खिलाती थी और पता है कालेज के टीचर्स और स्टूडेंट्स को लेकर सारे वर्कर्स को भी यह सब खिलाती थी बड़े प्यार से, ये कहते हुए आलोक रोने लगे।।
राधा ने अब जल्दी से केक काट कर सबको केक खिलाएं जीजू।
आलोक ने कहा हां, हां।
फिर आलोक ने केक काटा और आलेख और राधा को खिलाया और फिर दोनों ने आलोक को भी केक खिलाया।

फिर कुछ देर वहीं पर सब बैठ कर बातें करने लगे।
आलोक ने कहा क्या क्या सोचा था कि आलेख और पिया बेटी की शादी देकर मैं शान्ति से मर सकूं।
राधा ने कहा हां, जीजू पर क्या सच में पिया शादी करेंगी?
आलोक ने कहा अरे पिया थी सर्व गुण संपन्न।।।
पर किस्मत को कुछ और मंजूर था।
राधा ने कहा हां पर कोई और लड़की।।
आलेख ने कहा नहीं,मासी मुझे किसी और से शादी नहीं करनी है।।
मैंने पिया में छोटी मां की परछाईं देखी है।।

फिर शाम को घर में एक पार्टी रखी थी।
सब जाने पहचाने लोग भी आएं थे
आलोक ने कहा अरे वाह मेरे सारे दोस्तों को बुलाया है।
राधा ने कहा हां ये तो आलेख ने किया।
आलोक ने कहा अब बस जिंदगी से कुछ नहीं चाहिए मुझे अब मर भी गया तो कोई ग़म नहीं।
आलोक अपने दोस्तों के साथ बहुत खुश नजर आ रहे थे।।
खाना पीना करने के बाद सब जाने लगें।।

आलोक ने कहा बेटा तूने मुझे आज जो खुशी दी है वो मै कभी।
आलेख ने कहा हां पापा ठीक है।
अब चलिए चलकर सो जाते हैं।
आलोक ने कहा हां बेटा आज मुझे बहुत खुद को गुनहगार महसूस कर रहा है कि मैंने तेरी छोटी मां से अन्याय किया है।।
शायद इसीलिए तो तेरी जिंदगी बसते बसते उजड़ गई।
आलेख ने कहा अरे पापा अब सो जाईए ना।
आलोक ने आंखें बंद कर दिया और फिर देखा कि काव्या खड़ी हुई थी और हंसते हुए बोली अरे आलोक जी अब सिंदूर तो पहना दिजिए।।।

क्रमशः