अतीत के पन्ने - भाग 31 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 31

कुछ देर बाद ही दोनों एक पुलिस स्टेशन पर पहुंच गए।
कुछ देर बाद ही आलोक के मित्र डी एस पी सिंह आ गए।
और फिर आलोक ने सारी बात बताई।
एस पी सिंह ने दोनों का पुरा डिटेल लिए और बोलें की बेफिक्र हो कर घर जाओ।
आलोक ने कहा हां मुझे पुरा विश्वास है तुम्हारे ऊपर।
फिर दोनों वहां से वापस हवेली पहुंच गए।
आलोक ने कहा पता नहीं किसकी नजर लग गई।
जतिन ने कहा आप परेशान मत होइए सब कुछ ठीक हो जाएगा।
आलोक ने आंख बंद करके कहां हां, काव्या सब कुछ ठीक कर देंगी।
छाया ने कहा ख़ाना खा लिजिए।
फिर दोनों खाना खाने बैठ गए।
हवेली में मजदूर का काम जोरों से चल रहा था।
आलोक ने कहा जतिन जी मैं क्या सोच रहा था कि अब काम बंद करवा देता हूं।
जतिन ने कहा अरे नहीं ऐसा मत किजिए काम चलने दिजिए।
मुझे एक जरूरी बात पुलिस को बतानी चाहिए।
आलोक ने कहा अरे फिर आप वहां क्यों नहीं बोलें?
जतिन ने कहा आप अभी फोन लगा दिजिए।
आलोक ने जल्दी से फोन लगाया और फिर जतिन ने अपनी पुरी बात बताई।
सिंह ने कहा हां, धन्यवाद ये अच्छा किया आपने।।
फिर खाना खाने के बाद जतिन ने कहा मैं घर चलता हूं।
आलोक ने कहा कुछ दिन आप यहां रूक जाते तो अच्छा होता।
जतिन ने कहा हां ठीक है मैं रूक जाता हूं।

और फिर पुलिस की खोजबीन शुरू हो गई।
आखिर पिया और आलेख गए कहां??
एक कारखाना में सब मिलकर ताश खेल रहे थे।।
कुछ देर बाद ही एक रूम में आलेख और पिया की आंखों में पट्टी बंधी थी और दोनों का हाथ पैर भी बंधा हुआ था।

आलेख ने कहने की कोशिश किया मु, मुझे पानी चाहिए।
कुछ देर बाद ही एक आदमी ने आकर आलेख के मुंह से पट्टी हटाकर कर पानी पी लाने लगा।

आलेख पानी पीने के बाद ही बोल पड़ा कि क्या चाहते हो? कौन हो?
वो आदमी बोला सब समझ जाओगे।।
फिर आलेख के मुंह पर पट्टी बांध कर चला गया।।
आलेख ने कहा पता नहीं पिया किस हाल में होगी?
कुछ देर बाद ही पिया की चीख-पुकार आने लगी।
ओह मां ये कैसा अन्याय है?
पिया के साथ कुछ ग़लत मत करना।
फिर कुछ देर बाद पिया के रोने की आवाज ने आलेख को ये समझने पर मजबूर कर दिया कि उसके साथ बहुत बुरा हो गया और मैं कुछ नहीं।।
आलेख खुद को उन रस्सी से आजाद करने के लिए जद्दोजहद करने लगा।
पर कोई फायदा नहीं हुआ।



आलोक को बार बार फोन आ रहा था पर वो काट रहे थे फिर जाकर आलोक ने उठाया तो आवाज आया हेलो पापा मैं।
आलोक ने कहा हां,बोलो पैसे तो भेज दिया।
नीरज ने कहा अरे पापा मम्मी ने आलेख को किडनैप करवाया है प्लीज़ आप जितना जल्दी हो सके।
आलोक ने कहा क्या बोल रहा है तू?
नीरज ने कहा मैं बिल्कुल ठीक बोल रहा है। फिर फोन कट गया।।

आलोक ने दुबारा फोन किया पर बन्द बताया ।
आलोक ने कहा रेखा ये क्या किया तुमने?
मेरी गलती की सजा मेरे बेटे को।।
तभी जतिन ने कहा अरे क्या बात है बहुत परेशान हैं।
आलोक ने सब बातें बताई।
जतिन ने कहा ओह माय गॉड अब तो जल्दी से कुछ करना होगा।

फिर जतिन और आलोक पुलिस स्टेशन पर पहुंचे और फिर आलोक ने सारी बात बताई और फिर बोलैं कि यह है मेरी दूसरी पत्नी रेखा कि तस्वीर और यह रहा पता।
पुलिस अधीक्षक ने कहा हां, ठीक है मैं कुछ करता हूं।
वहां से पुलिस फोर्स निकल गई दिल्ली के लिए।।
आलोक और जतिन हवेली वापिस आ गए।
फिर एक दिन और गुजर गया था दूसरे दिन सुबह आलोक के मित्र डी एस पी सिंह ने फोन पर कहा कि आज हम दोनों को रेस्क्यू करने जा रहे हैं।।
तुम्हारी पत्नी रेखा का कहना है कि वो काव्या से बदला लेना चाहती थी इसलिए ये सब किया उसने। और उस हम हिरासत में ले लिए हैं।
चलो ठीक है मैं बाद में फोन करता हूं।
आलोक ने खुद को कोसते हुए कहा देखा काव्या तुम्हारी बहन नागिन निकली, तुमने इस के लिए मुझे ठुकरा दिया था।
दोपहर को डी एस पी सिंह का फोन आया और उन्होंने कहा कि देखो हम उन दोनों को रेस्क्यू कर लिए पर दोनों हालत बहुत गंभीर है इस लिए इनको अस्पताल भर्ती करवाने जा रहा हूं। चाहो तो आ जाओ।
सिटी अस्पताल दिल्ली।।
आलोक ने कहा हां, ठीक है हम आते हैं।
फिर जतिन को सारी बात बताई और फिर दोनों ही दिल्ली के लिए निकल पड़े।
बाई रोड ही निकल गए।
कुछ घंटे बाद ही सिटी अस्पताल पहुंचे।
एस पी सिंह वहां ही खड़े मिल गए।

आलोक ने हड़बड़ाहट में पुछा कि कैसे हैं दोनों?
सिंह ने कहा डाक्टर की टीम है अभी ट्रिटमेंट चल रहा है।
कुछ देर बाद ही एक डाक्टर ने आकर कहा कि लड़का तो ठीक है बस कुछ चोट लगी है पर लड़की की हालत गंभीर है।
जतिन ये सुनते ही कहा क्या हुआ मेरी पिया को?
डाक्टर ने कहा उसका रेप हुआ है और बहुत ही ख़राब हालत है। सदमे में हैं वो ।। आलोक ने कहा क्या हम मिल सकतें हैं?
डाक्टर ने कहा नहीं अभी नहीं।
आलोक ने कहा किसी को भी मत छोड़ना यार!
सिंह ने कहा हां, दोस्त तुम चिंता मत करो।।
कुछ देर बाद डाक्टर ने आलेख से मिलने की अनुमति दे दी।
सिंह और आलोक और जतिन अन्दर पहुंच गए।
आलेख ने कहा पापा पिया कैसी है?
सिंह ने कहा आलेख तुम पुरी घटना बताओं।
फिर आलेख ने बताना शुरू किया उसका बयान रिकॉर्ड कर लिया गया।
उसने बताया कि दोनों को अलग अलग कमरे रखा गया था।
मुझे पिया की सिर्फ चीखें सुनाई देती थी।
सिंह ने कहा हां, ठीक है अब तुम आराम करो।
जतिन ने कहा किस बात की सजा मिली मेरी बेटी को।उसका क्या कसूर था?
आलोक भी रोने लगे।
फिर नर्स की आवाज पिया के रूम से आने लगी डाक्टर डाक्टर प्लीज़ जल्दी आइए।
आलेख ने कहा क्या हुआ पापा!
आलोक ने कहा कुछ नहीं बेटा।
फिर डाक्टर और पुलिस अन्दर गए।।
नर्स ने कहा ये देखिए मरजी ने अपनी नसें काटी है।
डाक्टर ने कहा ओह माय गॉड प्लीज़ जल्दी इसे ओ टी पर ले चलो।

फिर डाक्टर पिया को स्ट्रेचर पर लेकर चले गए।
कुछ देर बाद पिया को बेड पर शिफ्ट कर दिया गया।
सिंह ने कहा ओह!कल मैं आता हूं।
आलोक ने अपने दोस्त को गले लगाया और फिर बोला कि आज तुमने मुझे बहुत बड़ा अहसान किया।
आलेख के पास जाकर बैठ गए आलोक ने कहा बेटा कैसा है तू?
आलेख ने कहा मैं तो बस ठीक हुं पर पिया कैसी है?
आलोक ने कहा डाक्टर देख रहे हैं उसे।।
पिया बेहोश पड़ी थी बेड पर।
जतिन उसके पास बैठ कर रो रहे थे और फिर बोले किस बात की सजा मिली है मुझे? क्या कोई गलती कर दी मैंने काव्या के बेटे के साथ पिया की शादी तय कर के?
क्या आलेख स्वीकारेंगा उसे।
कुछ देर बाद नर्स आईं और बोलीं कि आप पिया के पास ही रहिए डाक्टर ने कहा है।
जतिन ने कहा हां, हां मैं यहां से कहीं नहीं जाऊंगा।
कुछ देर बाद ही पिया को होश आया और वो बोली पापा मुझे मु क्यों बचाया? मुझे और नहीं जीना है। आलेख के काविल नहीं रही मैं।
जतिन ने कहा बेटा तू खुद को मत कोस तेरी क्या गलती वो तो काव्या की बड़ी बहन ने किया है यह सब। पुलिस ने सबको पकड़ लिया है उनको सजा मिलेगी।
पिया रोने लगी और फिर बोली नहीं पापा अब मैं कैसे खुद को सम्हाल पाऊंगी पापा मैं मैं बस मर जाना चाहती हुं।
जतिन ने कहा मरते कायर है हां तुम तो मेरी बहादुर बेटी हो!
फिर किसी से जतिन ने पिया को सूप पिला दिया।
फिर नर्स ने आकर दवा पिलाई।
और पिया सो गई।
कुछ देर बाद ही आलोक आ गए और बोले चलिए कुछ खा लेते हैं।
जतिन ने कहा भूख प्यास सब चला गया। कितना बदनसीब हुं मैं मेरी फुल सी बच्ची मुरझा गई।
आलोक ने कहा अरे पापा अगर टूट जाएंगे तो पिया को कैसे सम्हाल पाएंगे और हम सब हैं उसके साथ!
जतिन ने कहा क्या आलेख इसके साथ शादी करेगा?
आलोक ने कहा अरे कैसी बात कर रहे हैं? पिया की कोई गलती नहीं है और आलेख तो ऐसा है ही नहीं।
हम बहुत जल्दी इनकी शादी करवा देंगे।
जतिन रोते हुए आलोक के गले लग कर रोने लगे।
जतिन ने कहा ऐसा है आप खाकर आइए मैं हुं यहां।।
आलोक ने कहा ठीक है फिर कुछ नाश्ता मैं लेकर आता हूं। ये कह कर आलोक चले गए।

जतिन पिया के सिर पर हाथ सहलाने लगे।
कुछ देर बाद आलोक कुछ समोसे और चाय लेकर आ गए।
फिर दोनों ने समोसे और चाय पी लिए।
इस तरह से एक हफ्ते गुजर गए।
आज डाक्टर ने दोनों को डिस्चार्ज कर दिया।

पिया ने कहा पापा मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रही मुझे घर नहीं जाना है।
आलेख ने कहा कैसी बात कर रही हो तुम हां! प्लीज़ इतना मत सोचो।
पिया ने कहा तुम कौन हो मैं तुम्हें नहीं जानती!
आलेख ने कहा क्या हो गया है तुम्हें? कुछ मत सोचो सब ठीक हो जाएगा।
पिया बेटा हम है सब आलोक ने कहा।
फिर सब अस्पताल से निकल गए।
जतिन ने कहा अच्छा हम फिर चलते हैं।
आलोक ने कहा हां, ठीक है हम शाम को आएंगे।
फिर दोनों अपनी अपनी कार में बैठ कर निकल गए।
आलेख ने कहा अरे पापा मैं कुछ भी नहीं कर सका अपनी पिया को उन दरिंदों से।।
आलोक ने कहा किस्मत में जो लिखा होता है वो होता है।
जिसने यह करवाया है उसको सजा मिलेगी जरूर।
आलोक ने अब तुम लोग अपनी पहले वाली जिंदगी में वापस आ जाओ।
आलेख ने कहा हां, मैं पुरी कोशिश करूंगा।
जतिन भी पुरी तरह से पिया को समझाते हैं कि उसे सब कुछ भुलना होगा और आगे बढ़ना होगा।

क्रमशः