अतीत के पन्ने - भाग 12 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 12

आलोक शहर पहुंच कर अपने दूसरे घर में रहने गया और वहां से आलेख को फोन किया और कहा बेटा मुझे तुम्हारी चिंता है अब तो छोटी मां नहीं रही अब किस के लिए वहां रहोगे?
आलेख बोला पापा मैं यहां से नहीं जा सकता हूं कुछ अधूरा काम है उसे पूरा करना है।

ये सोचते हुए आलेख अपनी दुकान पर पहुंचा।

किशन लाल जी अरे आलेख बेटा आओ बड़े दिनों बाद।
आलेख बोला हां चाचा अब रोज आया करूंगा।

किशन लाल ने कहा पर बेटा तुम्हारी छोटी मां तो चाहती थी कि तुम खुब पढ़ो लिखों।

आलेख बोला हां चाचा पर अब छोटी मां तो चली गई।
मुझे बेसहारा छोड़ कर।

किशन लाल ने कहा आलेख बेटा अपनी अधुरी पढ़ाई पूरी करो तभी छोटी मां को शांति मिल जाएगी।

आलेख ने कहा हां ठीक कहा आपने मुझे आज ही डिग्री कालेज जाना होगा।
एडमिन लेना होगा। छोटी मां चाहती थी कि मैं एक डाक्टर बनूं पर मैंने ही सब कुछ छोड़ दिया।
किशन लाल ने कहा अब कुछ बिगड़ा नहीं है बेटा चाहो तो सब कुछ कर सकते हो।
आलेख ने कहा हां ठीक है मैं अभी निकल जाता हूं हां।
किशन लाल ने कहा हां मैं शाम को घर आता हूं।
आलेख वहां से सीधे डिग्री कॉलेज आफ मेडिकल।
अलीगढ में बहुत ही अच्छा कालेज है।
वहां पहुंच कर सबसे पहले काउंटर पर जाकर सब जानकारी ले ली और वहां पर फार्म भी ले लिया।
फिर वहां पर प्रोफेसर राव से जाकर मिला और फिर सारी बातें बताई।
प्रोफेसर राव ने कहा तुम जैसे होनहार और काबिल छात्र की जरूरत है हमारे कालेज को।

आलेख ने कहा सर मै पुरी मेहनत करूंगा।
प्रोफेसर राव ने कहा मुझे विश्वास है बेटा।।
आलेख ने कहा ठीक है सर मैं चलता हूं।ये कह कर वो निकल गया।
घर पहुंच कर एक दम थक गया था और फिर सीधे छोटी मां के कमरे में जाकर बैठ गया और फिर वो सारी बात बताई तो आज उसके साथ हुआ।।।

फिर आलेख एक दम से सो गया। शाम हो गई थी और आलेख को छाया चाय देने पहुंच गई।
आलेख ने कहा अरे बहुत देर हो गई क्या?
छाया ने कहा ये चाय लिजिए।

आलेख ने कहा अरे बाबा छोटी मां कहां है उनको भी तो दे दो।
छाया ने कहा चलिए हम बैठक में जाकर बैठ कर बातें करते हैं।
फिर आलेख और छाया बैठक में जाकर बैठ गए।
किशन लाल भी आकर चाय नाश्ता करने के बाद सारा हिसाब किताब समझा कर घर को चले गए।
कुछ देर बाद हवेली में दस्तक हुई। छाया जाकर दरवाजा खोला तो सामने जतिन और एक लड़की खड़ी थी।
जतिन ने कहा आलेख से मिलना था।
छाया ने अन्दर आने को कहा।
दोनों अन्दर बैठक की तरफ बढ़ गए।
आलेख ने कहा अरे जतिन जी आइए।
फिर जतिन और वो लड़की बैठ गए।
जतिन ने कहा ये मेरी बहन है पिया।
आलेख ने कहा अच्छा।
जतिन ने कहा ये कल तुम्हें मेडिकल कॉलेज में देखी थी।
आलेख ने कहा हां कल मैं दाखिला लेने गया था।
जतिन ने कहा पिया भी एक होनहार मेडिकल छात्रा है। हमेशा गोंडल मेडल्स जीता है। जैसा कि तुम ने भी जीता है।
पिया ने कहा आप कल से कालेज आ रहे हैं ना?
आलेख ने कहा हां मेरी छोटी मां का सपना पूरा करना है तो।।


जतिन ने कहा कल से तुम दोनों साथ ही कालेज चले जाना।।
आलेख ने कहा अच्छा ठीक है।
पिया ने कहा कल ९बजे में तुम्हारा बस स्टैंड पर इन्तजार करूंगी।
आलेख ने कहा हां ठीक है।
छाया ने सबके लिए चाय नाश्ता बना कर दिया।
जतिन ने कहा हां आलेख अच्छी तरह पढ़ाई कर लो।
फिर दोनों चलें गए।
आलेख फिर ऊपर अपनी छोटी मां के कमरे में जाकर बैठ गए।।

और फिर सारी बातें बोलने लगा। ऐसा क्या करूं जो तुम वापस आ जाओ छोटी मां।।इतनी नाराजगी जताई कि छोड़ कर चली गई आप ।।


दुनिया छोड़ कर जाने की क्या जरूरत थी।।


अब मैं अकेले कैसे जी पाऊंगा छोटी मां बोल कर खुब रोने लगा।
कुछ देर बाद ही आलोक आ गए।बेटे की चाहत ने खींच लाया।।
आलोक ने कहा अरे आलेख चल कुछ लाया हुं तेरे लिए।
आलेख ने आंख पोछते हुए कहा हां पापा।
आलोक ने कहा चल दिखाता हूं।
आलेख को बैठक में ले जाकर उसको दिखाने लगा।
ये देख तेरे लिए मेडिकल की सारी किताबें और अब से खुद को बदलने का प्रयास कर और फिर देख जिंदगी कितनी अच्छी लगने लगेगी।
तेरी छोटी मां भी ये चाहती थी कि तुम एक डाक्टर बने।
आलेख ये सब देख कर अपने पापा के गले लग गया और फिर जतिन और उसकी बहन की बात भी बताई।।

आलोक ने कहा आज तुम्हारा कोई साथी नहीं है इसलिए ये सब कुछ हो रहा है।अब पिया से दोस्ती कर लो और उसके साथ सारी बात शेयर करो। फिर देखो जिंदगी कितनी आसान हो जाएगी।
आलेख ने कहा हां मैं कोशिश करूंगा।
छोटी मां जैसा चाहती थी वैसा ही होगा। और फिर गोल्ड मेडल भी मिलेगा मुझे।।
आलोक ने कहा शाबाश बेटा ये उम्मीद ही थी तुमसे।।
क्रमशः