अतीत के पन्ने - भाग 15 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 15

आलेख खाना खाने के बाद ऊपर छोटी मां के कमरे में जाकर बैठ गया और फिर अलमारी में से वो डायरी निकल लिया और फिर पन्ने पलटते हुए एक जगह देखा लिखा था कि आलेख की जब शादी हो गई उसकी बहू के लिए मैंने अपने सारे गहने और साड़ी रखा है। आलेख बेटा तुम मेरी इस इच्छा को पूरा करेगा ना?
आलेख रोने लगा और वो वहां पर सो गया।
आंधी रात आलेख को लगा जैसे कि उसके बालों को उसकी छोटी मां सहलाने लगी और फिर आलेख सो गया।
सुबह जब उठा तो खुद को छोटी मां के बिस्तर में पाया।
आलेख उठकर अलमारी में डायरी रख दिया और फिर अपने कमरे में जाकर तैयार हो कर नीचे पहुंच गया।
छाया ने कहा अरे आपके चाय मैं ऊपर ला रही थी।
आलेख ने कहा हां मैं नीचे आ गया आज का अखबार लाओ।
छाया ने कहा वो बैठक में है आप जाओ मैं चाय देती हुं।
आलेख बैठक में जाकर बैठ गए और फिर अखबार पढ़ने लगा।
छाया चाय लेकर आई और बोली अब नाश्ता करके ही निकलना।।
आलेख ने कहा अरे कल रात आप छोटी मां के कमरे में आई थी क्या?
छाया ने कहा नहीं नहीं मैं तो सो गई थी।
सुबह आपको देखा तो आप कमरे में नहीं थे।
आलेख ने कहा हां मैं छोटी मां के कमरे में सो गया।
छाया ने कहा क्यों क्या हुआ?
आलेख ने कहा कुछ नहीं।।
कुछ देर बाद आलेख नाश्ता किया और फिर कालेज के लिए निकल पड़ा।
बस स्टैंड पर इन्तजार करने लगा और फिर पिया भी आ गई।
आलेख पिया को नजर भर कर देखने लगा।
पिया ने हस कर कहा अरे कैसे हो?
आलेख ने कहा हां ठीक हुं।
फिर बस में दोनों एक-दूसरे के साथ बैठ गए।
पिया ने कहा कुछ कहना चाहते हो तो कहो।
आलेख ने कहा हां तुम आज बहुत ही खूबसूरत लग रही हो और सादगी भरा।।
पिया हंसते हुए बोली अरे तुम भी ना रोज नहीं लगती हुं क्या?
आलेख ने कहा हां पर आज ज्यादा ।।
पिया ने कहा हां ठीक है तबीयत ठीक है ना।।
आलेख ने कहा हां पर कल रात छोटी मां आई थी। और फिर मुझे सुलाने लगी।।
पिया ने हर एक बात बहुत ही ध्यान से सुना और फिर बोली अरे छोटी मां तुम्हे बहुत प्यार करती है इसलिए तुम्हारी जहन में रहती हैं और हमेशा रहेंगी।
आलेख ने कहा हां सच कहा तुमने।।
मेरी मन की बात समझ गई।
कुछ देर बाद ही मेडिकल कॉलेज आ गया और हम दोनों उतर गए।
कालेज कैम्पस में जाकर दोनों बैठ गए और किताब और नोट्स दिखाने लगें।
आलेख ने कहा ये वाला अध्याय हो गया है।
पिया ने कहा हां ठीक है मेरा भी हो गया और आज रसायन विज्ञान में जमा करना होगा।
फिर दोनों क्लास रूम में पहुंच गए।।
फिर एक एक लेक्चर होने लगा।

फिर सारे कासेज होने के बाद पिया और आलेख कैंटिन में जाकर बैठ गए और वहां पर दोनों ने लंच किया।
आलेख के मुंह में पिया ने एक कौर बेसन का पराठा खिलाया।
आलेख ने खाते ही कहा अरे छोटी मां।।
पिया ने कहा हां ये छोटी मां बनाती थी और मुझे ये पापा ने सिखाया है।
आलेख की आंखें भर आईं थीं और फिर पिया से कहा पता है एक बार के लिए मुझे लगा कि छोटी मां ही खिला रही है।
पिया ने कहा देखो आलेख तुम छोटी मां को दुखी हो कर याद मत करो वरना उनको भी तकलीफ़ होगी,उनको हंस कर याद करो उनको यकीन दिलाओ कि तुम एक अच्छे डाक्टर जरूर बनोगे।
आलेख ने कहा हां, हां पिया तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो।
पिया ने कहा हां चलो खा लो फिर चलते हैं।
तभी पिया को ढुढते हुए उसकी सहेली कंचन आ गई और फिर बोली अरे पिया कालेज टूर पर जाना है कि नहीं।।
पिया ने कहा हां ठीक है पर कहां? कंचन ने कहा रमेश सर ने कहा कि दो दिन के लिए अलीगढ़ से दूर है।
पिया ने कहा हां पापा से पुछती हुं।
आलेख ने कहा हां जाना चाहिए मेडिकल रिलेटेड आर्टिकल्स पर भी होगा।
पिया ने कहा हां तुम तो लिखते रहते हो।
आलेख ने कहा हां लिखा है बहुत पर।
पिया ने कहा हां ठीक है अब चलो बस पकड़ना होगा।
फिर दोनों वहां से निकल कर सीधे बस स्टैंड पर इन्तजार करने लगे।
कुछ देर बाद ही बस आ गई दोनों चढ़ गए और पास, पास बैठ गए।
आलेख ने कहा कल पापा आ रहे हैं मैं भी पुछ लेता हूं।
पिया ने कहा हां ठीक है अगर तुम जाओगे तो मेरे पापा जाने देंगे।
आलेख ने कहा हां ठीक है तुम भी बात कर लेना।

फिर कुछ देर बाद दोनों अपने बस स्टैंड पर उतर गए।
आलेख किसी तरह घर पहुंच गए और उधर पिया भी घर पहुंच गई।
हवेली पहुंच कर आलेख बहुत ही खुश हो कर सीधे छोटी मां के कमरे में जाकर बैठ गया और फिर बोला अरे छोटी मां वो पिया है ना बिल्कुल आपकी छवि है उसका हंसना,उसको बोलना, और उसका स्पर्श भी आपकी तरह है छोटी मां आज आप होती तो कहती बाबू तेरी शादी मैं पिया से करवा दुंगी। आपका सपना पूरा करने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं छोटी मां।।
छाया ने कहा अरे भाई जल्दी हाथ मुंह धोकर तैयार हो कर नीचे आ जाईए खाना लगाती हूं।
आलेख ने कहा हां ठीक है मैं आता हूं।
कुछ देर बाद आलेख नीचे पहुंच गए और खाना खाने के बाद दुकान पर चले गए।
दुकान पहुंच कर आलेख ने कहा अरे काका कैसे हो?
कन्हैयालाल ने कहा बाबू बेटा कैसे हो।आज आ गया है तो हिसाब लेकर जाना।
आलेख ने कहा हां ठीक है काका।
फिर हिसाब करके पैसे लेकर आलेख हवेली पहुंच गया और फिर देखा तो पिया आ चुकी थी।
आलेख ने कहा अरे मैं तो बस।
पिया ने कहा अरे बाबा ये क्या मैं कोई भूत हुं या फिर टीचर।
आलेख और पिया दोनों ही खिलखिला कर हंसने लगे।
छाया ने कहा वाह बरसों बाद आज इस हवेली में हंसी की आवाज सुनकर बहुत अच्छा लगा।
फिर पिया और आलेख पढ़ाई करने बैठ गए।
कुछ देर बाद छाया ने दोनों को नाश्ता और चाय पीने को दिया।
आलेख चाय पीने लगा और वो बोला अरे पिया आज क्या लाई हो? पिया ने कहा हां कुछ तो लाई हुं ये लो साबूदाने का पापड़।
आलेख ने कहा हां,हां ज़रूर दो मुझे बहुत पसंद हैं।
पिया ने कहा हां खाओ।
फिर छः बज गए और फिर पिया ने कहा हां चलो अब चलती हूं तुम भी जल्दी खाना खा कर सो जाना और हां सोने से पहले अपनी छोटी मां को नमन करते हुए कहना कि छोटी मां आप जहां भी हो खुश रहो, मैं भी खुश रहुगा।
आलेख ने कहा हां ठीक है चलो।
पिया अपने घर चली गई।
जैसे पिया ने कहा था वैसे ही आलेख ने कहा और फिर सो गया।
दूसरे दिन सुबह एक नई दिशा एक नई पहचान के साथ आलेख उठ गए और फिर वही सोचने लगा कि पिया ने जैसे ही कहां मैंने वो ही किया


क्रमशः।