अतीत के पन्ने - भाग 22 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 22

आलेख ने कहा हां पापा सब कुछ ठीक है।।
अब हमारी रेजल्ट का इंतजार है देखो ।
आलोक ने कहा हां मुझे यकीन है कि तुम अव्वल दर्जे में पहुंच जाओगे।।
आलेख ने कहा हां बस अब एक पेपर बचा है पापा।।
आलोक ने कहा बेटा तुम विदेश में जाकर पढ़ना चाहोगे?
आलेख ने कहा नहीं नहीं बिल्कुल नहीं यहां रह कर डाक्टर बनना है और फिर छोटी मां के सपने पूरे करने है बस!
आलोक ने कहा हां ठीक है पहले सोच रहा था कि शादी करवा दूं तुम दोनों का ।।
आलेख ने कहा नहीं, पापा पहले मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे एमडी भी करना है।
आलोक ने कहा हां, ठीक है बेटा मैं तुम्हारे साथ हुं।
फिर दोनों बैठ कर बातें करने लगे।
रात का खाना खाने के बाद सब सो गए।
इस तरह से दो दिन बीत गए और फिर सोमवार को हमेशा की तरह आलोक ने आलेख को बस स्टैंड पर उतार दिया और फिर बोलें all the best!
आलेख ने कहा थैंक यू पापा।
फिर आलोक चले गए और फिर कुछ देर बाद पिया आ गई और फिर दोनों बस में बैठ कर पहुंच गए मेडिकल कॉलेज।।
फिर सब अपने अपने रोल नंबर पर बैठ गए और फिर exam हो गया।
पिया ने कहा तो चले मिस्टर पढ़ाकू घर चलें।

आलेख ने कहा हां ठीक है चलो।
फिर दोनों पिया के घर पहुंच गए और फिर जतिन ने कहा तो अब क्या करना है?
आलेख ने कहा एक हफ्ते की छुट्टी है इस बीच रेजल्ट निकल जाएगा और फिर बस।।
जतिन ने कहा हां,हा हा
चलो ये लो पकौड़े खाओ।
आलेख ने कहा वाह आलू के पकौड़े छोटी मां बनाया करती थी।
पिया ने कहा हां, बाबा उन्होंने ही सिखाया था पापा को!
फिर सब मिलकर खाने लगे।
फिर इधर उधर की बातें हुई और फिर आलेख ने कहा अब मैं चलता हूं।
फिर आलेख अपने हवेली आ गया तो शाम बाहर खड़ा था।
आलेख ने कहा अरे भाई अन्दर क्यों नहीं जाकर बैठ गया।
शाम ने कहा अरे नहीं कोई बात नहीं है।
आलेख ने कहा आओ आज रात का खाना खा कर जाना।।
शाम के कहा अच्छा ठीक है।
फिर दोनों अन्दर जाकर बात करने लगे और फिर बोला छाया जी चाय पकोड़े बना दो।
छाया ने कहा हां अभी देती हुं।
फिर दोनों बैठ कर बातें करने लगे।
आलेख ने कहा अरे शाम अब शहर से यहां रहने आ जाओ।
मेरी हवेली पुरी खाली पड़ी है।।
शाम ने कहा हां ठीक है पर भाई एक बात कहूं तुम क्यों नहीं इस हवेली में एक कोचिंग क्लास चला सकते हो?कम फीस में !
आलेख ने कहा अरे वाह क्या बात है शाम।
तुम भी पढ़ाओगे?
शाम ने कहा हां क्यों नहीं।।
आलेख ने कहा हां उन गरीब बच्चों को जो कम्प्यूटर नहीं सिख पाते हैं उनके लिए भी एक क्लास करवाया जा सकता है मैं पापा से बात करता हूं।
फिर दोनों चाय और पकौड़े खाने लगे।
आलेख ने कहा अब जब पापा आएंगे तो मुझे बात करनी है।
शाम ने दुकान का सारा हिसाब दिया और फिर दोनों एक साथ खाना खाते हुए बात करने लगे और फिर शाम चला गया।
आलेख ने पैसे लेकर जाकर छोटी मां के अलमारी में रख दिया और फिर छोटी मां की डायरी लेकर बैठ गया।
आज फिर से उन्हीं अतीत के पन्ने पलटते हुए देखा तो एक पेज पर लिखा था कि मैं हमेशा से कोचिंग क्लास चलाना चाहती थी पर कभी ये सब सपना पूरा नहीं कर पाई।
पर मुझे पता है कि आलेख मेरा यह सपना जरूर पुरी करेगा।।
आलेख ने कहा अरे छोटी मां ओ मां मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा था कि आप ऐसा चाहती थी अब मैं आपके सारे सपने पूरा करूंगा।
आपका बाबू।।
फिर आलेख ने वो डायरी वापस छोटी मां के अलमारी में रख दिया और फिर जाकर सो गया।
फिर दूसरे दिन रिया को फोन कर के सब कुछ बताया।
रिया ये सब सुन कर बोली कि अब बहुत ही अच्छे सोचा है ऐसे ही होगा तो क्या बात है। हवेली में भी बहुत चहल-पहल रहेगी। और फिर बच्चे शहर में जानें से बच जाएंगे।कंप्यूटर का जमाना है तो वो भी अच्छा रहेगा।
ज्यादा फीस नही लेना।
आलेख ने कहा हां, छोटी मां हमेशा कहती थी कि बाबू यहां पर बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो पढ़ना चाहते हैं पर पढ़ नहीं पाते क्योंकि उनके मां बाप मजदुरी करते हैं इस वजह से उनके बच्चे नहीं पढ़ पाते।।
पिया ने फोन रख दिया और फिर आलेख भी चाय और नाश्ता करने लगे ।

उसके बाद इस तरह दो दिन बीत गया और फिर पिया का फोन आया कि जल्द ही कालेज के लिए निकल पड़े आज रेजल्ट निकल गया तो मैं पहुंच गई हुं।
आलेख भी जल्दी से तैयार हो कर निकल गए।
बस स्टैंड पर इन्तजार करने के बाद बस में बैठ कर मेडिकल कॉलेज पहुंच गए।
पहुंच कर ही देखा तो भीड़ लगी थी बहुत।
बहुत ही मुश्किल से ही अन्दर पहुंच पाया आलेख और फिर आगे बढ़ कर देखा नोटिस बोर्ड पर।
आलेख ने अपने नोट बुक में से रोल नंबर निकाल कर देखा तो वो पुरे कालेज में फर्स्ट क्लास आया था और रेंक होल्डर साथ ही गोल्ड मेडल जीता था।
वह खुशी के मारे रोने लगा और फिर वहां से अपने क्लास में पहुंच गया तो उसे सब ने एक साथ घेर लिया था और फिर तालियों से स्वागत किया।
पिया भी आकर आलेख को एक फुल दिया।
आलेख ने पुछा अरे बाबा तुम अपना बताओ?
पिया ने कहा हां मैं भी फर्स्ट क्लास आई हुं पर तुम्हारे जैसे टाप नहीं कर पाईं पर मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं।।

क्रमशः