Atit ke panne - 35 books and stories free download online pdf in Hindi

अतीत के पन्ने - भाग 35

और फिर आलोक ने काव्या चलो ये सब पुरा करना जरूरी है ।।
वरना मुझे तो मर कर भी शान्ति नहीं मिलेगी।
फिर कुछ ही देर बाद सब कुछ थम सा गया एक अजीब सा दर्द सीने में उठा और फिर आलोक अपने बेटे को बुला भी न सका और फिर सब कुछ शांत हो गया।।।।


दुसरे दिन सुबह काफी देर तक आलेख भी सोता रहा और राधा भी।
क्या हुआ पता नहीं चल पाया।
छाया ने ही आलोक को उठाने की कोशिश कि तो छाया को एक अजीब सा आभास हुआ और शरीर का ठंडा पड़ जाना देख कर बिना रुके चिल्लाने लगी बाबूजी ओ बाबूजी।।
आलेख जल्दी आ देख क्या हो गया।
आलेख की गहरी नींद से उठा और भागा आलोक के रूम में।। और देखा कि आलोक बेड पर लेटे हुए हैं।।
आलेख ने चेक किया तो देखा कि धड़कन बंद थी।
आलेख ने जोर जोर से हिलाया और कहा कि ये क्या हो गया पापा आप कहां चले गए?
राधा भी आ गई और बोली कि जीजा जी को क्या हुआ?
आलेख ने फिर से चेकअप किया और अपने सर पर हाथ रख कर बैठ गया।।
पुरे मोहल्ले के लोग आ गए थे।
हवेली में एक बार फिर मातम का मंजर था।।
हवेली में भीड़ बढ़ती जा रही थी।
राधा ने सबको फोन पर खबर कर दिया।
आलोक की पत्नी रेखा भी जेल से रिहा हो चुकी थी।

राधा ने सबको फोन पर बताया।
आलेख वहां पर आलोक के सिरहाने बैठ गया और बोलने लगा कि आप ने ये क्यों किया? एक बार भी नहीं सोचा कि मैं किसके सहारे रहूंगा।

फिर कुछ देर बाद ही सब कुछ तैयारी हो गई।
पंडित जी भी आ गए थे।
आज जो भी हो गया सब कुछ इस हवेली में ही हुआ एक बार फिर इस हवेली में कुछ अतीत के पन्ने ऐसे होते जो हमेशा ही कुछ अनहोनी करके जातें हैं।।


फिर आलेख ने अपने हाथों से सजा कर आलोक को अंतिम विदाई के लिए तैयार कर दिया।
राधा ने रोते हुए कहा ये लो आलेख जीजा जी को मेरा कुर्ता पहना दो जो मैं उनके जन्मदिन पर लाई थी।
कुछ देर बाद ही जतिन, पिया भी आ गए।
पिया भी उनके पैरों के पास बैठ कर रोने लगी।
आलेख ने कहा यह देखो पिया पापा ने क्या क्या सपने देखे थे तुम्हें लेकर।।
जतिन ने कहा बहुत ही अफसोस हुआ उनके जाने का ।।
फिर कुछ मौहल्ले के लोग भी आ गए थे।
कुछ देर बाद ही आलोक की पार्थिव शरीर को लेकर दाह संस्कार के लिए निकल पड़े।

कुछ देर बाद ही राधा की बाकी बहनें आ गई।
सरिता,रेखा ।।
रेखा तो आते ही बोलने लगी ये काव्या ने ही खा लिया मेरे पति को।
बेशर्म औरत।
यहां पर काव्या कोचिंग सेंटर चला है बड़ा।
राधा ने कहा तुम लोगो को बुलाया इसलिए कि यहां आकर बाबू को सम्हाल सको पर तुम तो बदली नहीं।
कहां से कहां पहुंच गई तुम।।
इतनी कड़वी बातें कैसे कर लेती हो।

फिर सब लोग आलोक के पार्थिव शरीर को लेकर श्मशान घाट पहुंचे।
आलेख ने सब कुछ बहुत ही अच्छी तरह से कर दिया।
और बोला पापा एक बार मुझे बुलाया होता।

सब काम होने के बाद सब हवेली वापिस आ गए।
आलेख के आंख तो सुख चुके थे।
राधा ने कहा छाया जाओ अब सबके लिए पानी और मिठाई लेकर आओ।
फिर छाया ने सबको मिठाई और पानी दिया।
सबको चाय पीने को दिया।
हवेली फिर से वही आकर खड़ा हो गया वापस सन्नाटा पसरा हुआ था।।
क्यों हुआ ऐसा सब कुछ तो ठीक था।
यह उम्र तो नहीं थी सिर्फ साठ साल में कोई जाता है क्या?

राधा बैठे हुए ये सब सोच रही थी।
आलेख ने कहा सब कोई मुझे ही छोड़ कर चले जाओ।
पहले छोटी मां और फिर पापा।
वाह जिंदगी क्या खेल खेला।
अब किसके लिए जीना है मुझे।
पिया भी भुल गई मुझे।
किसके कर्म की सजा सुनाई गई मुझे।।

राधा ने आलेख को गले से लगा लिया और फिर बोली बेटा अब तुम्हें अपने लिए जीना होगा।
क्यों हुआ जो कोई नहीं है।
तुम एक सफल डाक्टर हो और तुम्हारी वजह से कितनों की जिंदगी बचाई है।।


आलेख ने कहा नहीं चाहिए मुझे ऐसी जिंदगी जो कि किसी का भी नहीं हो सकता है।

इस तरह से एक एक दिन बीत गए।
सब लोग चले गए।
राधा नहीं जा पाई।
इस हालात में आलेख को छोड़ कर।
आलेख ने कहा कल से कोचिंग सेंटर शुरू हो रहा है।
राधा ने कहा हां, ये तो अच्छी बात है।
आलेख ने कहा पापा ने सब कुछ किया था पर मुझे से क्या ग़लती हो गई मासी?
राधा ने कहा नहीं, ऐसा नहीं है वो तो समय का फेर है।
तुम को अपनी जिंदगी जीना होगा पता है जीना आसान नहीं होगा पर मुश्किल भी नहीं।
पिया ही तो नहीं है इस दुनिया में और भी है बहुत सारी।
आलेख ने कहा नहीं मुझे किसी से शादी नहीं करनी है।

क्रमशः

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