अतीत के पन्ने - भाग 41 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 41

आलेख पुरी रात न सो पाया।
और सुबह होते ही छाया से जाकर बोला कि कुछ कोचिंग का सामान लेने जाना होगा दिल्ली।।
छाया ने कहा अच्छा ठीक है सब खाना बना कर रख देती हुं आते हुए रात होगी।।
आलेख ने कहा अरे ऐसा करना कल सुबह जल्दी आ जाना।

छाया ने कहा हां, ठीक है मैं अपने घर हो आऊंगी।

आलेख ने कहा हां ठीक है।
आलेख ने मन में सोचा हे भगवान मैंने शायद झुठ बोला।।।

फिर छाया सब काम करके चली गई।

कुछ देर बाद ही पिया हवेली आ गई।।
और आते ही बोली कि वकील साहब आए नहीं?
आलेख ने कहा हां,आ रहे हैं।
क्या जरूरत है कागजात बनवाने का।।
पिया ने कहा जरूरत है कल को आकर अपना बच्चा मांग बैठो तो सारे किए कराए पर पानी फेर दिया तुमने तो।।।
आलेख ने कहा हां, एक पढ़ी लिखी होकर ऐसी बात कर रही हो तुम।
कुछ देर बाद ही वकील साहब आ गए।
पिया ने कहा फाइल दिखाइए।
पिया ने फाइल लेकर पुरा पढ़ लिया और फिर साइन कर दिया।
आलेख से कहा लो साइन कर दो।
आलेख ने बिना पढ़े ही साइन कर दिया।
वकील साहब ने कहा दो कापी है आप दोनों अपने पास रख लीजिए।
फिर वकील साहब पैसे लेकर चले गए।


आलेख ने कहा आओ बैठो चाय पी लो।
पिया ने इधर उधर देखा और फिर बोली अरे छाया कहां है?
आलेख ने कहा मैंने तो उसे दिल्ली भेज दिया।
पिया ने कहा अच्छा तो सब इंतजाम कर लिया तुमने।।

आलेख ने कहा मैं क्या ही करूं।। कुछ सही नहीं लग रहा है।।
तुम कब वापस जाओगी? पिया ने कहा बड़ी जल्दी से मुझे भेजने का ! पर जब तक कोई खुशखबरी न हो मैं यहां से कैसे जाऊंगी।।
आलेख ने बस करो तुम!
पिया ने कहा क्या ग़लत कहा मैंने।।
मैं भी एक लड़की हुं मुझे भी दर्द होता है मुझे भी कुछ चाहिए, कोई चाहत है क्या तुम्हारा मन नहीं करता है कि, क्या मेरी चाहते तुमसे कुछ कम है।।
आलेख ने कहा मुझे क्या हक है? शादी किसी और से बच्चा किसी और का!
पिया ने कहा हां क्या करूं मेरा पति मुझे वो नहीं दे सकता जो तुम मुझे दे सकते हो।।
तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि जिससे तुमने प्यार किया था वो खुद तुम्हारे पास आई है।।
आलेख ने कहा ठीक है अब नाश्ता कर लो।
पिया ने कहा हां, ठीक है।
फिर दोनों नाश्ता करने लगे।
आलेख को सब कुछ अच्छा नहीं लग रहा था काश की कुछ ऐसी बात हो जाएं।
पिया ने कहा हां ठीक है जल्दी आओ मैं जा रही हुं।।
आलेख ने सोचा कितनी सहज हो कर बोल रही है ये! मैं तो बिल्कुल नहीं चाहता था पर वो।।
मुझे फर्क पड़ता है मैं कोई खराब व्यक्तित्व वाला नहीं हूं।।
पर क्या करूं उसे किसी के पास जाते हुए नहीं देख सकता।।


फिर आलेख के पैर उसे ऊपर जाने के लिए मजबूर कर दिया।
ऊपर पहुंच कर देखा तो एक नयी नवेली दुल्हन की तरह पिया बेड पर बैठी थी।
मेरे जाते ही वो बोली अब और देर ना करो।।जो मैं चाहती हूं मुझे दे दो।।
आलेख ने कहा ये सब क्या बोल रही हो तुम?
पिया ने कहा और अब रहा नहीं जा रहा है मैं तपीस में जल रही हुं कैसे मैंने करवट बदल बदल कर राते गुजारी है।।
मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए बाबू
ये कहते हुए पिया खुद को अपने बाबू से लिपट गई और फिर सब्र का बांध फट गया और आलेख भी पिया को कस कर पकड़ लिया और उसे चूमने लगा।।
पिया ने कहा हां, मैं बस इस दिन का ही इंतजार कर रही थी।
तुम खुद को रोको मत आज हम दोनों का मिलन होना ही है।
आलेख ने कहा भगवान ये पाप मुझसे ही करवा रहे हो।।
पिया ने कहा ये पाप नहीं हम दोनों का प्यार है बस।।
कुछ मत बोलो प्लीज़।
फिर दोनों एक दूसरे से लिपट कर पलंग पर लेट गए।
पिया ने लाईट बंद कर दिया।
फिर सारी लाज हया का विसर्जन दे दिया पिया ने।
खुद को पुरी तरह से आलेख को समर्पित कर दिया।
बस फिर कब सुबह हो गई पता नहीं चल पाया।।
आलेख ने कहा अरे तुम अंकल को क्या बोलोगी?
पिया मुस्कुरा कर बोली अरे बाबू मै सम्हाल लुंगी।
पर हां वादा करो कि कभी तुम मुझसे कुछ नहीं मांगोगे।

आलेख ने कहा तुमको जो चाहिए वो ले लिया ना।। मुझे कुछ नहीं चाहिए, तुम खुश रहना।।
कुछ देर बाद पिया नहाकर आ गई।
और फिर बोली मैं जा रही हुं हमारे बीच जो भी हुआ ये किसी को पता नहीं चलना चाहिए।

आलेख ने कहा हां ठीक है इतना तो भरोसा कर सकती है।।
पिया ने कहा हां ठीक है।
फिर पिया चली गई।
आलेख की आंखे नम हो गई थी और फिर वो भी तैयार हो कर अपने अस्पताल चला गया।
इस तरह से एक महीना बीत गया।
आलेख ने सोचा शायद पिया वापस चली गई होगी?
कुछ देर बाद ही आलेख के मोबाइल पर फोन आया और फिर कुछ देर बाद ही आलेख निकल गया।
अस्पताल पहुंच कर देखा तो पिया खड़ी थी। आलेख घबरा कर देखने लगा पर पिया मुस्कुरा रही थी और बोली डाक्टर साहब खुशखबरी है।।
आलेख को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
पिया ने धीरे से आलेख के करीब जाकर उसके कान में कहा डाक्टर साहब आप बाप बनने वाले हो पर बिना शादी किए।
आलेख खुशी के मारे रो पड़ा और बोला अरे वाह!
पिया ने कहा हां, ठीक है इतना खुश मत हो ये तो पाप है।
आलेख ने कहा ये क्या बोलें जा रही है।।
पिया ने कहा अब चलो कुछ टेस्ट दिए हैं।
फिर कुछ देर तक वहां रहने के बाद दोनों लौट आए।
पिया ने कहा अब और नौ महीने तक मुझे यहां रहना होगा।
आलेख ने कहा हां, ठीक है हवेली में रह सकती है तुम।
पिया ने कहा हां, शर्त याद है ना।

आलेख ने कहा हां मुझे याद है।
पिया ने कहा कल एक वकील को बुलवा लेना।
आलेख ने कहा पर क्यों?
पिया ने कहा हां, तुम्हारा कोई भरोसा नहीं है कल को अपने बच्चे को लेने का दावा करो।।
आलेख ने कहा अरे बाबा नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।
फिर हवेली पहुंच गए।
आलेख ने कहा छाया जी अब से पिया यहां रहेंगी उसकी देखभाल करना होगा।
छाया ने कहा अरे पिया दीदी पेट से है क्या?

पिया ने कहा हां,अब सूजी का हलवा बना दे।
छाया ने कहा हां ठीक है।
आलेख ने कहा छाया देसी घी का बना देना।

आलेख ने कहा तुम आराम करो मैं आता हूं।।

पिया ने कहा हां ठीक है।
पिया आराम करने लगी।
सब कुछ ठीक था पर एक चीज गलत हो गई थी जो आलेख के साथ हुआ। आज तो पिया आलेख की पत्नी ही बन जाती और ये बच्चा भी तो पर कहते हैं ना कि होनी को कौन टाल सकता है।
इसी तरह से दो महीने बीत गए।
आलेख एकदम वैसा ही कर रहा था जैसे कि एक होने वाले पिता करते हैं पर क्या कभी उसको अपने बेटे का प्यार मिलेगा।
क्यों कुछ अतीत ऐसे होते हैं लाख पीछा छुड़ा लो पर।।।
आलेख ने कहा आज तो डाक्टर के पास जाना होगा।
पिया ने कहा हां, तुम ही जाओगे आखिर मेरे सबसे अच्छे दोस्त हों।
आलेख ने कहा हां पर एक बार वीर को बता दो।
पिया ने कहा अरे बाबा उसे बता कर कोई फायदा नहीं है।
रिश्तेदार ये जानते है कि मैं माईका इसलिए जा रही हुं कि बच्चा अच्छे से हो जाएं बस।।
आलेख ने कहा हां, कितना बदल गई है तुम!
एक मां होने के साथ साथ बच्चे के पिता को भी तो सब देखना होता है।।
पिया ने कहा हां, तो बच्चे का पिता तो देख ही रहा है। तुम ज्यादा सोचो मत।
चलो अब।
आलेख के ना चाहते हुए भी पिया उसके साथ ही चैम्बर गई।


डाक्टर ने कहा सब कुछ ठीक है।
फिर घर वापस आते ही वीर का फोन आया।
और घंटों तक सलाह मशवरा करती रही।

आलेख को तो सिर्फ एक मोहरा बनाया गया था असली खेल तो पिया ने खेला।
कुछ देर बाद ही आलेख वहां से बाहर निकल गया और फिर एक चाय के दुकान पर जाकर पागलों कि तरह चिल्लाने लगा।


शाम ने दुकान बंद करके देखा तो उसको विश्वास नहीं हुआ तो वो बोला कि अरे आलेख चलो हवेली।
मैं तो हवेली ही जा रहा था।
आलेख ने कहा हां, हां चलो।

फिर हवेली पहुंच कर देखा तो पिया आराम से बैठ कर हलवा खा रही थी।
फिर शाम ने चाबी देकर चला गया।
पिया ने कहा अरे आज देवदास कैसे बन गए!
आलेख ने कहा हां ये खेल खेला तुमने?. अब क्या चाहती हो?
चली क्यों नहीं जाती तुम।
पिया ने कहा अरे बाबा ऐसे कैसे सब कुछ तो तुमने किया है पुरा तो करोगे ना?
मैं तो तुम्हें तड़पते हुए देखना चाहती हुं।।
आलेख ने बिना कुछ बोले वहां से चला गया।।
खुद को कमरे में बंद कर दिया।

क्रमशः