अतीत के पन्ने - भाग 37 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 37

फिर हवेली पुरी तरह से दुल्हन की तरह से सज गया था।
आलेख ने अपनी छोटी मां की अलमारी में से सारे गहने निकाल कर सोनार को दिया और कहा कि एक अच्छी पालिश करवा लेने को कहा।।

सोनार ने कहा अरे वाह कब है शादी तुम्हारी?
आलेख ने कहा नहीं, नहीं मेरी शादी नहीं मेरी दोस्त की शादी है।
फिर आलेख मायुस होकर वहां से चला गया।
हवेली पहुंच कर देखा तो सब काम बहुत जोर तोड़ से हो रहा था।
आलेख ने छोटी मां और पापा की तस्वीर के सामने पहुंच कर बोला कि आज आप दोनों का सपना पूरा हो गया है पर हां शादी हो रही है पर वो दूल्हन किसी और की है।।
इसी तरह शादी का दिन भी आ गया।
हवेली में शोर गुल, रिश्तेदार का आना ।।जाना।।
पिया भी इधर उधर घुम रही थी अपने दोस्तों के साथ।
कुछ देर बाद ही पंडित जी भी आ गए।
उनके कहे अनुसार ही सब सामान रख दिया था आलेख ने।।

पिया बार बार आलेख को जलाने के लिए बिना मतलब के हंसे जा रही थी।
पिया क्या आप ठीक हो?
ये बात आलेख ने कहा।।
पिया ने कहा हां, मुझे क्या होगा। आलेख ने कहा हां, ठीक है पर कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही हो?. पिया ने कहा हां, मेरी खुशी तो देखी नहीं जाती तुमसे?
आलेख ने कहा अरे ऐसे मत बोलो, तुम्हारी खुशी के लिए ही ये सब कर रहा हूं बस मुझे कुछ नहीं चाहिए तुमसे, खुश देखना चाहता हूं बस।।
फिर पिया की सहेलियां आ गई साथ में मेहंदी लगाने वाली भी आ गई।

आलेख ने कहा हां, हां ये दुल्हन है बहुत ही अच्छी तरह से मेहंदी लगा दो , और हां हाथों में आ लिख देना।
जैसे ही पिया ने सुना तो बोल पड़ी अरे अब सपने देख रहे हो मेरे पति का नाम वीर है हां तो व लिखना होगा।।

आलेख ने कहा ओह ओह मैं यह क्या बोल गया।
आलेख वहां से चला गया।
और फिर छोटी मां के कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया और रोने लगा और बोला आप दोनों लोग मुझे अकेले छोड़ कर चले गए ना?देख लूंगा आप लोग को।।
मैं ऐसे नहीं मरने वाला ।।
मैं कायर नहीं हु। और ना ही बुजदिल हुं।।।

और मुझे तो खुश रहना है हर हाल में।।

कुछ देर बाद ही सोनार आ गया और सारे ज़ेवर देकर चला गया।


आलेख ने सारे जेवर को अच्छी तरह से अलमारी में रख दिया।

बस फिर क्या था इस तरह दुल्हन भी सज गई थी। पिया को पुरी गहनों से लदी हुई थी एक महारानी लग रही थी।
आलेख ने कहा पापा मैंने आपका सपना पूरा कर दिया।जैसा आपने कहां था मैंने वैसा ही किया।
पिया को खुशी खुशी विदा करना होगा।
बस बहुत काम बाकी है।
कुछ देर बाद ही बाराती भी आ गए थे।
सबका स्वागत बहुत ही अच्छी तरह से किया गया।
आलेख ने देखा वीर को।
फिर वीर घोड़े पर सवार होकर मुस्कुरा रहा था।।


फिर दुल्हा को समीर की बहन ने आरती उतारी और फिर मिठाई खिलाकर अन्दर लेकर गई।

वीर इधर उधर देखने लगा।
आलेख ने कहा लगता है दुल्हन को ढूंढ रहे हो?
वीर ने कहा नहीं अब क्या होगा जब वो मेरी हो रही है।
कुछ देर बाद ही शादी मंडप में दुल्हन और दुल्हा आ गए।
फिर एक दूसरे को वर माला पहनाकर कर सात फेरे लेने लगें।
आलेख ने मन में सोचा क्या कहुं पिया तुमने तो कई बार सात फेरे लिए थे मेरे साथ पर मैं ही ना समझ पाया।।
फिर वीर ने पिया को सिन्दूर पहना कर अपना बना लिया।
पिया बार बार आलेख को देख रही थी कि वो कुछ कहेगा पर आलेख तो एक सन्न रह गया था उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी क्या बोले।
उसका प्यार किसी और का हो गया।
छोटी मां देखो आज मैं भी आपकी तरह अकेला रह गया इस हवेली में।
यह अतीत के पन्ने कैसे हो जाता है शायद हमारे जिंदगी बन जाती है।

फिर सब हंसी मज़ाक खाना पीना सब और फिर नाच गाना शुरू हो गया करीब दो बजे तक सब कोचिंग के बच्चे खुब मज़ाक मस्ती करने के बाद चले गए।
फिर पिया और वीर भी सब रिश्ते दार सो गए।।।


आलेख पुरी रात अपनी पलकें झपकाए बिना जाग कर बिता दिया।
और फिर दुसरे दिन सुबह विदाई।
किसकी विदाई जो इस हवेली में बहु होकर आने वाली थी वो कैसे विदा हो सकती है।।


क्रमशः