Dah-Shat book and story is written by Neelam Kulshreshtha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dah-Shat is also popular in थ्रिलर in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दह--शत - उपन्यास
Neelam Kulshreshtha
द्वारा
हिंदी थ्रिलर
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] जैसे ही नीता व अनुभा ने बड़े गेट से अंदर जाकर कालीननुमा लॉन के बीच के बने दोनों तरफ़ गमलों से सजी कतारों से सजे रास्ते को पार कर तीन सीढ़ियाँ चढ़ बरामदा पार कर ऑफ़िसर्स क्लब के हॉल में कदम रक्खा, सुन्दरबाई ने तभी छत के बीच में लगे विशाल शेंडलियर्स व चारों दीवारों पर लगे लैम्पपोस्ट के स्विच ऑन कर दिए। हॉल की क्रीम कलर की दीवारें मुस्कराने लगीं। दरवाज़े व खिड़कियों के रेशमी पर्दे इस राजसी रोशनी में नहाते इतराने लगे। हॉल में कुछ महिलायें कुर्सियों पर बैठीं थीं, कुछ
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -1 जैसे ही नीता व अनुभा ने बड़े गेट से अंदर जाकर कालीननुमा लॉन के बीच के बने दोनों तरफ़ गमलों से सजी कतारों से सजे रास्ते को पार कर तीन सीढ़ियाँ चढ़ ...और पढ़ेपार कर ऑफ़िसर्स क्लब के हॉल में कदम रक्खा, सुन्दरबाई ने तभी छत के बीच में लगे विशाल शेंडलियर्स व चारों दीवारों पर लगे लैम्पपोस्ट के स्विच ऑन कर दिए। हॉल की क्रीम कलर की दीवारें मुस्कराने लगीं। दरवाज़े व खिड़कियों के रेशमी पर्दे इस राजसी रोशनी में नहाते इतराने लगे। हॉल में कुछ महिलायें कुर्सियों पर बैठीं थीं, कुछ
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -2 समिधा ने समिधा इतवार को दरवाज़ा खोला, देखा कविता हाथ में रुमाल से ढकी प्लेट लिए खड़ी है, सुन्दर साड़ी में ऊपर से नीचे तक सजी धजी। वह सकुचा जाती है। आज ...और पढ़ेहै सारा घर और वह सुबह ग्यारह बजे तक अलसाये हुए से हैं। ये बनी संवरी तारो ताज़ा आई है। वह कहती है, "आओ --आओ। " "नमश्का---र जी."कहते हुए कविता अंदर आ गई। वह उसे ड्राइंग रूम में से होते हुए अंदर बरामदे में ले आई। कविता डाइनिंग टेबल के सामने की कुर्सी खींचकर बैठ गई, "आप तो हरियाली तीज
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --3 अभय के समझ में नहीं आया कि समिधा कविता पर क्यों गुस्सा हो रही है ? उसने कमीज़ के बटन खोलते हुये पूछा "क्यों क्या हुआ ?" "अपने ड्राइंग रूम में मेरे ...और पढ़ेकी की नक़ल कर वैसी ही चीज़ें लगाकर बैठ गईं।" अभय ने हेंगर पर अपनी कमीज लगाते हुये कहा, "तुम्हें तो खुश होना चाहिये, तुम्हें अपनी च्वॉइस पर नाज़ है। वह तुम्हारी नक़ल कर रही है। " "लेडीज़ ऐसी चीज़ों से घर सजातीं हैं जो किसी के पास नहीं हों और ये कुशन्स पर लेस तक मेरे घर जैसी लगाकर
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -4 एक दिन अनुभा नहाकर सूर्यमंत्र पढ़ते हुए सूरज को जल चढ़ा रही है केवल अपने आउटहाऊस के दरवाज़े पर खड़ा बहुत ध्यान से उसे देख रहा है उसकी पूजा समाप्त होने पर ...और पढ़ेहै, “ आँटी ! आप पानी क्यों बर्बाद कर रही हो? गामड़ा में तो पानी नहीं है तो आप पानी क्यों डोल (गिरा) रही हो? ” वह उसकी बात से झेंप जाती है सूरज को जल चढ़ाना बंद कर देती है। पर्यावरण जागरण के अध्यायों ने आज बाई के बेटे को भी पानी की बर्बादी की चिंता लगा दी है।
एपीसोड ---५ महिला समिति की तरफ़ से कभी बच्चों के शेल्टर होम जाना हो या अस्पताल में सामान बाँटने समिधा कविता को बुला लेती है, बिचारी घर में पड़ी-पड़ी बोर होती रहती है । समिधा वहाँ जाते समय गाड़ी ...और पढ़ेकविता को बताती जाती है, “जैसे-जैसे दुनियाँ प्रगति कर रही है, महिलायें अच्छी शिक्षा पा रही हैं ये महिला समितियाँ भी बदल रही हैं । ये अब कोई रेसिपी या व्यंजन बनाना सीखने की जगह नहीं रही है । केम्पस में सुधार, आस-पास के गरीब बच्चों में सुधार आरम्भ हो जाता है । यदि कोई पदाधिकारी साहित्यिक अभिरुचि की होगी