दह--शत - 1 Neelam Kulshreshtha द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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दह--शत - 1

दह--शत

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ]

एपीसोड - १

जैसे ही नीता व अनुभा ने बड़े गेट से अंदर जाकर कालीननुमा लॉन के बीच के बने दोनों तरफ़ गमलों से सजी कतारों से सजे रास्ते को पार कर तीन सीढ़ियाँ चढ़ बरामदा पार कर ऑफ़िसर्स क्लब के हॉल में कदम रक्खा, सुन्दरबाई ने तभी छत के बीच में लगे विशाल शेंडलियर्स व चारों दीवारों पर लगे लैम्पपोस्ट के स्विच ऑन कर दिए। हॉल की क्रीम कलर की दीवारें मुस्कराने लगीं। दरवाज़े व खिड़कियों के रेशमी पर्दे इस राजसी रोशनी में नहाते इतराने लगे।

हॉल में कुछ महिलायें कुर्सियों पर बैठीं थीं,कुछ दो -दो,चार -चार के दलों में खड़ी गप्पें मार रहीं थीं। तभी समिधा मुख्य द्वार से एक छोटे कद की महिला के साथ अंदर आई। नीता ने उसे देखकर हाथ हिलाया। समिधा नीता की तरफ़ बढ़ आई। नीता ने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया,"हाय !तू पिछले महीने मीटिंग में क्यों नहीं आई थी ?"

"देसाई इंस्टीट्यूट से एग्ज़ाम्स की कॉपीज़ आ गईं थीं। एज़ यू नो दिस इज़ टाइम बाउंडिंग वर्क। बस उसी में व्यस्त थी। फिर तेरी लच्छेदार बातों को सुनकर एक दो दिन काम में मन नहीं लगता इसलिए नहीं आई। "

"हा ------हा----हा। "नीता अपने बेलौस अंदाज़ में हंस पड़ी,"मक्खन लगाना तो कोई तुझसे सीखे।  अनुभा मीनल से थोड़ी दूर पर बात कर रही थी। समिधा ने उसे आवाज़ देकर अपने पास बुला लिया,"इनसे मिलो,ये हैं कविता हमारे पड़ौस में रहने आईं हैं।"

"नमश्कार जी। "कविता ने बड़ी अदा से तहज़ीब से नमस्ते की।

"नमस्ते। "नीता व अनुभा ने चहककर अभिवादन किया। वैसे भी महिला समिति की मीटिंग के दिन उत्साह छलक छलक पड़ता है। इन तीनों को ये महिलानुमा दिन बेहद भला लगता है। ये कुर्सी पर बैठे हुए हल्की फुल्की बातें करते हुए आस पास बैठी सजी हुई महिलाओं के लेटेस्ट ड्रेसेज़ का जायज़ा लेतीं रहतीं हैं। समिधा व अनुभा की बच्चों के ट्यूशन्स लेने की बोरियत हवा हो जाती है। नीता अपने को बहुत मुक्त पाती है। उसके ऑफ़िस में अधिकतर पुरुष हैं। उसका दिमाग़ ऑफ़िस ऊँची ऊँची बातों में उलझा रहता है। वैसे भी हर समय मुस्कराने की या अपने व्यवहार की सीमायेँ तय करते रहो कि कहीं सामने वाला ये न समझ ले कि वह फ़्लर्ट है। लाख वह एक व्यक्ति की तरह जीने की कोशिश करे किन्तु स्त्री की चौखट में कैद कर दी जाती है.

वह व अनुभा कविता को तोलतीं हैं। गहरे मेकअप में गहरे रंग की महिला थोड़ी आकर्षक भी लग रही है। चेहरे पर है गज़ब का आत्मविश्वास।बिना मेकअप इसे देखना भी मुश्किल हो। समिधा उत्साह में बताती है,"कविता के परिवार से हमारी दो पीढ़ियों की जान पहचान है। इनके पति बबलू जी के एक डॉक्टर चाचा अभय के दोस्त थे। "

"बबलू जी ?"नीता व अनुभा ज़ोर से हंसने लगतीं हैं।

समिधा स्पष्ट करती है,"कविता के पति का ये निक नेम है। मैंने इनको मैंने अनमैरिड देखा था इसलिये ये ही नाम मुंह से निकलता है. बरसों मिलना नहीं हुआ। बाद में जब ये न्यूली वेड थे तब मिलना हुआ था । "

"ओ -----."

"बबलू जी का ट्रांसफ़र मुम्बई हो गया तो ये शहर के दूसरे कोने में रहने लगीं। कभी मिलना नहीं हो पाता था क्योंकि ये शहर के दूसरे कोने में रहती थीं। "

"आप हमारे यहां हमारे बेटे की बर्थडे में आईं थीं। "कविता कहती है।

' 'हाँ --याद आया। तुम्हारे यहां इतनी दूर जाने का मतलब था 'एडवेंचर 'करना। "

कविता की आँखें भावुक हो गईं,"मैं लकी हूँ जो आपके पड़ौस में आ बसी। ये हमेशा कहते थे कि जब भी बंबई से इनका यहां ट्रांसफ़र होगा ये इस कॉलौनी में ज़रूर रहेंगे। "

."बबलू जी की मंशा पूरी हो गई। "

"हाँ। "वह भरपूर मुस्कराहट से मुस्कराई। नीता व अनुभा ने नोट किया कि मुस्कराहट में एक अलग कशिश है,बड़ी सुन्दर मुस्कराहट है।

तभी अध्यक्ष श्रीमती गुप्ता व उपाध्यक्ष चतुर्वेदी क्लब के मुख्य द्वार से अंदर दाखिल हुईं। सब अपनी अपनी बातचीत बंद कर उनके सम्मान में खड़ी हो गईं। उनके बीच के आलीशान सोफ़े पर बैठते ही अभिवादन के बाद सचिव ने बोलना आरम्भ किया,"वैलकम टु आल ऑफ़ यू लेडीज़। आज कोई नई सदस्य आई हो तो परिचय दें। "

समिधा ने अपने पास बैठी कविता को इशारा किया। वह खड़ी होकर अपना परिचय देने लगी,"जी मैं कविता वर्मा। मेरे पति मुम्बई में थे।अभी ट्रांसफ़र होकर यहाँ आये हैं। "

सभी ने ताली बजाकर उसका स्वागत किया। देश जनतंत्र में चाहे कितने चुनाव करवाता रहे लेकिन इन अर्द्धसरकारी संस्थानों की महिला समितियों के डिक्टेटरनुमा नियम हैं। सर्वोच्च अधिकारी एम डी की पत्नी अध्यक्ष बनेगी, उपाध्यक्ष डिप्टी एम डी की पत्नी. सचिव किसी ब्रांच ऑफ़िसर की पत्नी बनाई जाएगी। अध्यक्ष समिति की सदस्यायों को बहुत स्नेह से बांधे रखतीं हैं। इस समिति को चलाने में पति जैसी कड़क अफ़सरी काम में नहीं लातीं। ये एग्ज़ीक्युटिव्स कुछ भी निर्णय लें या किसी सदस्या को काम सौंपें,सब काम फटाफट होते चलते हैं। यहाँ शहर की आम स्त्री संस्थाओं की तरह सदस्यायें काम करने के लिए टालमटोल नहीं कर सकतीं। "

सचिव ने घोषणा की,"आज तीज के कार्यक्रम पर चर्चा होगी। आप लोगों में से जो अपने प्रोग्राम के लिए नाम देना चाहें श्रीमती भाटिया को दे दे। "

"मैम !अभी सोचा नहीं है। "

"मैम !मैने तो पहले ही से गाना' सिलेक्ट' कर लिया है। "

"गुड। "नई अध्यक्षा ने अपने कंधे पर पड़े बालों को झटकते हुए कहा,"देखिये आप लोग कोई फ़ोक डांस ज़रूर करें जैसे गुजरात का गरबा,पंजाब का गिद्धा या भांगड़ा या राजस्थान का घूमर। "

"मैडम ! ये गुजरात है इसलिए यहाँ गरबा कार्यक्रम के अंत में रक्खा जाता है जिससे हमारी दर्शक महिलायें भी गरबा कर सकें । "सीमा ने कहा।

"इट 'स गुड लेकिन हमारी बहुत सी सदस्य दूसरी स्टेटस कीं हैं। वे गरबा कैसे करेंगी ?"

"जी ऑफ़िस में एक क्लर्क रोमिला बेन है, वह हर वर्ष फंक्शन से पंद्रह दिन पहले गरबा सिखाने आती है। "

सावन में उधर काले काले बादल उमड़ कर घरघराते हैं,कभी रिम झिम बरसते हैं। उधर कॉलोनी में लगे लम्बे पेड़,छोटे पौधों की हरी चिकनी पत्तियाँ झूमने लगतीं हैं। इधर कोयल पेड़ों पर फुदकती कूकने लगती है। हवायें बादलों से अपने आँचल में पानी भर भर कर धरती के तन मन को भिगोती चलतीं हैं। मोर अपने पंख फैलाकर 'पीयु',पीयु 'बोलने लगता है तो समझ लीजिये क्लब में घुंघरू बंधे पैरों के थिरकने का मौसम आ गया. तीज के फ़ंक्शन की तैयारी शुरु हो जाती है।एक महीने रिहर्सल क्या होती है कि एक महीने की किट्टी पार्टी जैसी मस्ती चलती रहती है। हर वर्ष कार्यक्रम का आरमभ एक तीज के गीत से होता है। अध्यक्ष बीच में माइक के सामने बैठतीं हैं। उनके आजू बाजू अन्य महिलायें। इस गीत का रिहर्सल पहले ही, ढोलक, तबले, हारमोनियम बजाते वाद्यकारों के साथ कर लिया लिया जाता है। जिन्हें डाँस करना है उसकी रिहर्सल म्यूज़िक सिस्टम पर चलती है। प्रत्येक दिन एक मेंबर बढ़िया सा नाश्ता बनवाकर लाती है। चाय तो क्लब के किचन में बनवा ली जाती है जिससे पार्टी का लुत्फ़ मिलता रहे।

सब मेम्बर्स रोज़ नए नए सुंदर कपड़े पहनकर आतीं हैं । साथ में ऑक्सीडाइज़्ड या पर्ल्स या बीड्स या एथनिक ज्वैलरी की जैसे बहार आ जाती है। क्लब के दरवाज़े के एक तरफ़ महंगे चप्पल्स,सैंडिल्स,बेलीज़ का ढेर लगा रहता है। लेटेस्ट डिज़ाइन के महंगे पर्सेज़ का सोफ़ों पर ढेर लग जाता है। कभी 'म्हारी घूमर छे नखराली 'गीत पर आठ दस महिलायें घूमर की प्रेक्टिस कर रही होती है।कभी गिद्धा या भाँगड़ा कभी दो महिलायें 'रेशमी सलवार कुर्ता जाली का 'पर. कभी कम उम्र की लड़कियाँ 'केसरियो है रूप म्हारो झिलमिलावे 'पर द्रुत गति से डांस की प्रेक्टिस करतीं हैं।

कॉलौनी में सावन का दूसरा रूप नज़र आता है। कोई आऊट हाऊस वाली [किसी बंगले के नौकर के कमरे में रहने वाली ]सामने के वाली को बारिश में भीगे अपने कपड़ों में आवाज़ लगाती है,"अली ! दवाख़ाने बाजु एक पेड़ गिर गयो छे। "

दूसरी उत्तेजित हो अपने पहले वाले माले के कमरे से निकलकर पूछती है,"तने जोयो ?[तूने देखा ?] "

"मने जोयो छे,चल जल्दी निकड़। "दोनों भागती कुल्हाड़ी लेकर पहुंच जातीं हैं। बारिश में गिर गए पेड़ की लकड़ियां काट काट कर उन्हें ऑटो रिक्शे में लादकर बंगले के पीछे वाले कम्पाउंड में इकठ्ठा कर लेतीं हैं। इनसे उनके दो ढाई महीने के ईंधन के पैसे की बचत हो जायेगी। ये सोच उनका भी मन मयूर नाचने लगता है।

उधर मीटिंग में कोई सुझाव देती है,"'मैं जारे कारे बदरा 'गीत पर ग्रुप डाँस करवाना चाहतीं हूँ। "

"श्योर। "कुछ महिलायें हाथ उठातीं हैं,"हम ये डाँस करेंगे। "

युवा प्रेरणा खड़ी होकर कहती है,"मैडम !मैं भी एक ग्रुप डाँस में ज़रूर भाग लूंगी। शादी से पहले मेरे घर मेरे में में पापा के डर से कोई घर में डाँस या गाने नहीं नाम नहीं ले सकता था। मैं 'लकी हूँ जो मैंने इस समिति में मेम्बर बनी। अब मैं डाँस कर पाऊंगी। "

उपसचिव शर्मा भी कह उठतीं हैं,"मैडम ! शादी से पहले हमने भी कभी डांस नहीं किया था, यहाँ आकर सीख गये ।

नीता के पास बैठी प्रमुख सुरक्षा अधिकारी की पत्नी मीनल उससे धीमे स्वर में कहतीं हैं,"शादी के बाद मैं जिस शहर में रहीं हूँ वहां मैं देखती आ रहीं हूँ 'कारे कारे बदरा 'पर ज़रूर ग्रुप डांस होता है या ग्रुप सांग प्रस्तुत किया जाता है।. "

"मैं अपनी उम्र की लेडीज़ इस गाने को देखतीं हूँ तो ऐसा लगता है समय बढ़ा ही नहीं है,'फ़्रीज़ 'हो गया है। जैसे नेशनल एंथम होता है वैसे ही इस गीत को तो 'हमारे विभाग को 'तीज सांग 'की तरह पेटेंट करवा लेना चाहिए--ही ---ही --। "कहते कहते नीता हंस पड़ी।

समिधा भी ये बात सुन रही थी,उसकी भी हंसी निकल गई। मीनल अपनी हंसी रोकती खड़ी हो जाती है," मैडम !मैं एक कॉमेडी फ़ैशन शो करवाना चाहतीं हूँ।"

" श्योर। "अध्यक्ष पूछतीं हैं," ये किस तरह होगा ?"

"बैक ग्राउंड में अलग अलग फ़िल्मी गाने बजेंगे व मॉडल्स कॉमेडी ड्रैस पहनकर कैट वॉक करेंगी। "

" वंडरफ़ुल। "

"मैडम !पहली कैट वॉकआप ही करेंगी। "

"ओ ----नो---। "मैडम इठलाईं। "

"ओ यस। "आप गार्डन साड़ी के लिए मॉडलिंग करेंगी। गाना बजेगा -'परी हूँ मैं ---मुझे न छूना। 'आप प्लेन ग्रीन साड़ी पर असली फूलपत्तियां टाँककर गार्डन साड़ी की मॉडलिंग करेंगी। "

"ही -----ही--- -ही। "सब हंस पड़तीं हैं।

"और डॉक्टर देशपांडे आप अस्सी कली का घाघरा रे गाने साधारण लहंगा पहनकर कैट वॉक करेंगी। "मीनल और उत्साहित होकर बोलती हैं,"चौदह कैरेट ज्वैलरी के लिए गाजर के चौदह टुकड़ों की ज्वैलरी पहनकर कोई लेडी कैट वाक करेगी। "

"और ?"

"एक लेडी 'बोट ब्लाउज़ ' की मॉडलिंग में एक कागज़ ब्लाउज़ पर लगा लेगी। एक मशरूम कट हेयर स्टायल में मशरूम बालों में सजा लेगी। 'हेयर बंस स्टायल 'में ब्रेड पाँव आगे बालों में फ़िट कर लेगी। "

"हा ---हा ---हा --वॉट अबाउट यू मीनल ?"

"मैं गोल्ड प्लेटेड ज्वैलरी की पहनूँगी। गले में,हाथों में,बालों में गत्ते पर चिपकाए सुनहरी कागज़ की ज्वैलरी पहनूंगी।गाना बजेगा -'फिर भी न देखे मेरी कैट वॉक। "

"हा--- हा ---हा---ऐसी ज्वैलरी पहनोगी तो कौन तुम्हारी कैट वॉक देखेगा ?"

"ही ----ही ---ही ---."

"शी इज़ यंग एन्ड चार्मिंग। इसे ज्वैलरी की क्या ज़रुरत है ?"

"हा ----हा ----हा --."

समिधा घर लौटकर सलवार सूट पहन पाती है की फ़ोन की घंटी बज उठती है। दूसरी तरफ़ बहिन सोहिला है,"और दीदी !सुनाइये आपके क्लब की तीज की तैयारियां किसी चल रहीं हैं ?"

"बस अभी मीटिंग से आ रहीं हूँ। आज अच्छे प्रोग्राम डिस्कस हुए थे। "

"वाऊ। "

"तू इस बार तीज पर यहाँ आने का प्रोग्राम बना ले। "

"इस बार तो नहीं आ पाऊँगी। आरुल एक महीने की ट्रेनिंग पर गए हुए हैं। "

"तेरे चुन्नू मुन्नू कैसे हैं ?"

"बस शैतानी में लगे रहतें हैं। मैं उन्हें बता रही थी कि तुम्हारी मौसी तीज पर डाँस करतीं हैं। वे पूछने लगे तीज क्या होता है ?मैंने बताया तीज पर लेडीज़ खूब सजतीं हैं फिर उनके पति उन्हें झूला झुलाते हैं। तो विकी कहने लगा आपके पति टूर पर गए हैं,हम दोनों भाई मिलकर आपको झूला झुला देंगे। "

"ऐसा ?"

"हाँ,फिर छोटा निकी बोला बस एक प्रॉब्लम है कि कहीं गार्डन में लोग हम दोनों को आपका पति न समझ लें। "

"हा ----हा ---हा."

सोहिला इस हंसी से और उत्साहित हो जाती है,"एक बार निकी पूछ रहा था भगवान ने आदमी लोग को ठीक बनाया है लेकिन मम्मी !उन्होंने औरतों के आगे भी पॉटी बना दी है और पीछे भी पॉटी बना दी है। "

अब समिधा अपनी हँसी कैसे रोक सकती है ?

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नीलम कुलश्रेष्ठ

ई -मेल----kneeli@rediffmail.com