Mahila Purusho me takraav kyo ? book and story is written by Captain Dharnidhar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mahila Purusho me takraav kyo ? is also popular in मानवीय विज्ञान in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - उपन्यास
Captain Dharnidhar
द्वारा
हिंदी मानवीय विज्ञान
आपने एक खेल कभी अपने बचपन मे खेला होगा दो दल बच्चो के बनाये जाते है एक दल घोड़ी बन जाता है दूसरे दल वाले उनकी पीठ पर बैठ जाते हैं फिर एक बच्चा पूछता है "धींगा ऊपर कौन चढ़ा ? चढ़े हुए बच्चे बोलते हैं "धींगा" फिर घोड़ी बने हुए बोलते हैं उतरो धींगा हम चढ़े " फिर ऊपर चढ़े बच्चे घोड़ी बन जाते हैं और वे ऊपर चढ जाते हैं । यह खेल इसी क्रम मे चलता रहता है । ठीक ऐसे ही महिला पुरूषों से इसे जोड़कर देख सकते हैं । कभी महिला पुरूषों पर भारी होगी
आपने एक खेल कभी अपने बचपन मे खेला होगा दो दल बच्चो के बनाये जाते है एक दल घोड़ी बन जाता है दूसरे दल वाले उनकी पीठ पर बैठ जाते हैं फिर एक बच्चा पूछता है "धींगा ऊपर कौन ...और पढ़े? चढ़े हुए बच्चे बोलते हैं "धींगा" फिर घोड़ी बने हुए बोलते हैं उतरो धींगा हम चढ़े " फिर ऊपर चढ़े बच्चे घोड़ी बन जाते हैं और वे ऊपर चढ जाते हैं । यह खेल इसी क्रम मे चलता रहता है । ठीक ऐसे ही महिला पुरूषों से इसे जोड़कर देख सकते हैं । कभी महिला पुरूषों पर भारी होगी
भारतीय महिलाएं पश्चिमी देशों के तौर तरीके इस लिए अपनाने लगी क्योंकि उसे अपने रहन सहन से श्रेष्ठ मानने लगी इसी तरह पुरूष भी पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ मानकर उसका अनुसरण करने लगा । मानसिकता का विभाजन -- पहली ...और पढ़ेभाग में वे लोग आते हैं जो कुछ हटकर नया करना चाहते हैं,अलग दिखाई देना चाहते हैं । वे अपने रहन सहन को जहां रहते है उससे अलग ही प्रस्तुत करना चाहते हैं । दूसरी श्रेणी - दूसरी श्रेणी उनकी है जो पहल तो नहीं करते किन्तु अनुसरण करने लग जाते हैं उसे आधुनिक दौर मानकर अपनाते चले जाते हैं
अध्याय 3 नारी भोग्या क्यों ?नारी तुम पुरूषों के समान ही थी तुम्हारे पास सारे अधिकार थे तुम समाज मे आदरणीया रही । क्यों तम्हारे शरीर को आकर्षण का हेतु बनाया गया । क्यों पुरातन काल में कवियों की ...और पढ़ेतुम पर चली क्यों तुम्हारी प्रतिभा को सौन्दर्य के प्रतिमानों से ढ़क दिया गया। कवियों ने तुम्हारे शरीर सौष्ठव को सौन्दर्य सौष्ठव मे क्यो परिणित कर दिया तुम्हारा इस तरह से वर्णन होता रहा फिर भी तुम मौन रही,और मौन समर्थन देती रही तुम्हारे इस मौन ने तुम्हे आकर्षण की वस्तु बना दिया ।हे नारी तुम्हारे लिए कवियों की कलम
लेखन तिथि 28/4/2022 कहानी 1 पात्र - 01 केतकी - आधुनिक लड़की (फैशन डिजाइनर)02 अभय सिंह- केतकी का पति (सेना मे नायक)03 विजय - केतकी का पिता एक (व्यवसायी) 04 संतोष - केतकी की माता (गृहणी)05 पूरण सिंह - ...और पढ़ेका ससुर (पत्रकार)06 कस्तुरी - केतकी की सासु (गृहणी)नारी कोमल भी है और कठोर भी है, नारी चंचल भी है और स्थिर भी है, नारी सृजन भी है और प्रलय भी है, नारी संस्कार भी है और संस्कृति भी है ।नारी करूणा है दया है श्रद्धा है विश्वास है, लज्जा है शील है नम्रता है,भोग है योग है, नारी रमणी
लेखन तिथि - 01 मई 2022 सभी का ध्यान अभय के मित्र पर .. सीएच एम बोला .. अभय को बताना वह.. नायकी केडर में पास हो गया है ...10 मई से फ़ायरिंग का इंटर कंपटीशन है ..अभय का ...और पढ़ेमें नाम है तो बता देना बची हुई छुट्टी बाद में कटवा देंगे ..टाइम से रिपोर्ट कर देगा .. हां तुम्हारा नाम नहीं है तुम अपने टाइम से आ जाना ..ठीक है सर ..रामराम सर ! सभी चुप थे..मित्र ने मोबाइल अपने कान से हटाया ..फोन काटते हुए बोला ..अभय मेरे दोस्त मुबारक हो तुम नायक बनने वाले हो ..भाभी