महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 46 Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 46

दामिनी अपने पति अभय के साथ सीकर में आने के बाद अभय के परिवार वालों को समझने का प्रयास कर रही है । वह जानती है केतकी के स्थान पर उसे देखकर घरवाले उसे पचा नही पा रहे हैं । अभय का पापा खुश है वह रात में भी खुशी के कारण जागता ही रहा । अपने रूम के कुंदी लगाकर नोट गिनता रहा । वह सोच रहा था कि इन्हे कहां लगाए । संभवतः अभय के पापा ने इतने नोट देखे नही थे । अपनी पत्नी कस्तुरी से बोला ..अपने इस मकान को शान्तकर एक नया मकान बनवा दूं । कस्तुरी ने कहा आप जैसा ठीक समझे ..
अभय का पापा फिर कहने लगा ..नहीं नहीं ,बने बनाये मकान को क्यों ढहायें.. जमीन लेकर डाल देता हूँ , उसमे ही मकान बनवा लेंगे .. रात के बारह बज रहे थे ..अभय के पापा ने अपनी बिरादरी के व्यक्ति को फोन किया .. उसने फोन उठाया ..बोला हेलो .. हांजी पत्रकार जी आज कैसे याद आ गयी हमारी ..सब ठीक तो है न . अभय का पापा बोला .. आप सो गये थे क्या ? नही नही सोने की तैयारी मे हूँ । आप हुकुम करो .. अभय के पापा ने कहा आप प्लाट काट रहे हो मैने सुना है .. हां हां काट रहा हूँ । हमारा तो काम ही यही है ।बोलो आपको चाहिए क्या ? ..हां एक प्लाट चाहिए था कार्नर का .. ठीक है आप कल आकर देख लो .. ठीक है मैं कल आता हूँ .. कितने गज का चाहिए..? बीच मे ही बात काटकर पूरण सिंह ने पूछा ..क्या रेट है ? तीन का भाव लगा दूंगा .. कार्नर का लोगे तो 10 हजार अतिरिक्त लगेंगे .. ठीक है कल आकर लोकेशन देखकर बताता हूँ ।
अभय के पापा ने फोन रख दिया । अपनी पत्नी से बोला कल देखकर फाइनल कर दूंगा । वैसे मेरा देखा हुआ तो है पर खरीदने के हिसाब से नही देखा था ।
अगले दिन सुबह दामिनी नहा धोकर रसोई में चाय बना रही थी । दामिनी की सास रसोई मे पहुंची ही थी कि दामिनी ने कहा मम्मी आपको चाय में मीठा कितना चाहिए..? और पापाजी को कितना ? कस्तुरी बोली अरे बेटा हम तो पी लेते हैं जैसी भी बन जाये .. देखो मम्मी ज्यादा मीठी चाहिए तो दो चम्मच एक कप के हिसाब से डालूं ,नही तो एक चम्मच डालूं ..कस्तुरी ने कहा देखो बहु मै तो अंदाज से ही डालती हूँ .. अभी तो'..तेरे हिसाब से बना ले ..यह कह कर कस्तुरी रसोई से बाहर आ गयी । बाहर बुआ जी व फूंपा जी भी आकर बैठ गये थे ,वे भी चाय का इंतजार करने लगे । कस्तुरी मन ही मन अपने आप से बाते करने लगी .. छोरी की बोली तो मीठी है ..सुनने में बड़ी अच्छी लगती है । मेरी बोली तो आदमियों जैसी है ..भगवान ने इसे सोहणी के साथ कोयल सी मीठी बोली भी दी है ..ओर तो ओर ..सरकारी नौकरी भी दी है..मेरे मा बाप ने मुझ भी पढाया होता तो.. मै भी पुलिस मे होती ..खैर किस्मत की बात है.. कस्तुरी की नजर अपनी नणद पर पड़ी ।नणद को देखकर ..बाइसा ! आप तो एक दो दिन रूककर जावोगे,या आपने भी तैयारी करली ? ..हां भाभी चाय नास्ता करके निकलेंगे..ठीक है आप भी जल्दी मे ही आये थे । ....
दोपहर का समय ...
अभय का पापा मुस्कुराता हुआ घर मे प्रवेश करता है । अपनी पत्नी से ..अरे भागवान ! कहां हो ? अच्छी खबर लाया हूँ .. 200 गज का प्लाट खरीद लिया है ..सभी मुस्कुराने लगे ..दामिनी ने कहा ..पापा जी बधाई हो... हां बेटा आप सबको बधाई हो .. बरसों का सपना आज पूरा हुआ ... अभय अपने पापा को आश्चर्य से देख रहा है ...मन मे सोच रहा है 'दामिनी के पैसों से ही खरीदा होगा । कस्तुरी से ज्यादा खुश पूरणसिंह हो रहा है ..