महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 53 - केतकी के घर मे बद्री काका Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 53 - केतकी के घर मे बद्री काका

पुलिस थाने में अभय और दामिनी के लिए चायवाला चाय लेकर आता है । दामिनी की मेज पर दो चाय के गिलास रखते हुए चाय वाला बोला लीजिए दो चाय ..साथ मे कुछ ओर लाऊ मेडम ...कचोरी समोसा ? अभय ने कहा ..हां आप गर्म समोसे है तो दो ले आवो । चाय वाले के जाने के बाद सिपाही ने बाहर से कहा ..मेडम ! समोसे के लिए बोल आऊं .. दामिनी मुस्कुराकर अंदर से आवाज दी ..आपको खाना है क्या ? आप इधर आइए ..! सिपाही तुरंत अंदर आ गया ..जी मेडम ! दामिनी ने कहा ..चाय कितनी लाये ? मेडम चार आई हैं .. ठीक है आप सबके लिए चाय पकोड़े बोल दो .. । सिपाही ने उस चाय वाले को आवाज देकर इशारे से बुलाया .. उसके आने पर ..उसे कहा आप पांच चाय और सबके लिए पकौड़े ही ले आवो ..पकौड़े कितने सर ? 500 ग्राम ले आना .. कोई पेट थोड़े ही भरना है ।
कुछ देर बाद ही चाय पकौड़े आ जाते है ।
अभय दामिनी से कहता है ..दामिनी ! तुम्हे क्या लगता है ? केतकी जिंदा है ? दामिनी ने चाय की घूंट मारी चाय खत्म की गिलास रख दिया ..पकौड़ी की जूंठी कागज की प्लेट डस्टबीन मे डाली और अपने हाथ साफ करते हुए बोली ..अभय केतकी को तो उसके मा बाप ही नही समझ सकते..हम क्या चीज हैं ? उसकी बेस्ट फ्रेंड कजरी.. वह है तो थोड़ी साफ दिल की ..पर वह भी इसके साथ रहकर नौटंकीबाज हो गयी ..हो सकता है इन दोनों ने मिलकर साजिस रची हो ... एक बार की बात है गणित के टीचर ने भरी क्लास मे केतकी को डांटा और क्लास से बाहर कर दिया ..उस समय केतकी ने कहा सर .. आपको यह बर्ताव भारी पड़ेगा .. गणित टीचर ने कहा .. मै प्रिंसीपल से तुम्हारी शिकायत करूंगा । तुम क्लास मे सबको डिस्टर्ब करती हो ..न खुद पढती हो ..न पढने देती हो.. मेरे कालांश मे तुम बाहर रहोगी ।
अगले दिन केतकी व कजरी कॉलेज नही आई .. उसके एक परिचित डाक्टर है उनसे प्रेग्नेंसी की रिपोर्ट बन वाली .. और टीचर के घर पहुंच गयी ..वहां पर टीचर की पत्नी के पास रोने लगी .. अपना अफेयर बताया ..और कहा वह उसके बच्चे की मॉ बनने वाली है .. वह तुम्हे तलाक दे और मुझसे शादी करे वर्ना मैं पुलिस मे जाकर इंसाफ मांगूगी, टीचर की पत्नी ने अपने दोनों हाथ अपने मुख पर लगा लिए , वह रोती हुई अपने कमरे में भाग गयी । बेड पर औंधी लेटकर रोने लगी । उसने रोते रोते अपना बैग जमाना शुरू किया और बड़बड़ाकर बोली ..अब इस घर में मै एक पल भी नही रहुंगी, वह घर छोड़कर अपने मायके चली जाती है । केतकी ने बसा बसाया घर बर्बाद कर दिया । इतने पर भी वह नही रूकी...प्रिंसीपल को जाकर कहा .. सर ..मेथ टीचर से मेरा अफेयर चल रहा है, इसने शादी का वादा किया था .. इसने कहा था मै कुंवारा हूँ .. जबकि मेथ टीचर शादीशुदा है ... अब मै प्रेग्नेंट हो गयी तो वह मुझसे दूर भाग रहा है । कहता है बच्चा गिरा दो । प्रिंसीपल गुस्से मे भरकर मेथ टीचर को बुलाता है और कहता है... आप त्याग पत्र दे दे ..वर्ना मै पुलिस के हवाले कर दूंगा । टीचर बहुत गिड़गिड़ाया और बोला ... सर यह झूंठ बोलती है , मुझे फसा रही है । प्रिंसीपल ने कड़े शब्दों मे कहा ..आप तमासा मत करो चुपचाप यहां से चले जाओ.. आखिर टीचर ने त्याग पत्र लिखकर दे ही दिया .. टीचर के जाने के बाद केतकी ने प्रिंसीपल से मुस्कुराकर कहा .. सर यह सब झूंठ था । मेरा कोई अफेयर नही चल रहा था , मुझे सिर्फ उसे सबक सिखाना था । यह कहते हुए अपना पर्स गोल घुमाती हुई ऑफिस से बाहर आते हुए बोली ..सर आप उस पर एक्शन नही लेते तो' इस झूंठ को सच साबित करने मे मुझे कोई परेशानी नही होती । ... उस दिन के बाद सभी टीचर केतकी से कुछ नही कहते थे .. इसलिए मै कहती हूँ वह कुछ भी कर सकती है .. आप चिन्ता न करें , कल सच्चाई सामने आ ही जायेगी ..
उधर .....
बद्री काका केतकी के घर पहुंच गया ..उसने वेल बजाई.. केतकी की मा ने दरवाजा खोला .. बद्री काका ने हाथ जोड़कर राम राम कहा .. और बोला बहिन जी मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ .. आपके यहां या आसपास कोई किराये का मकान मिल जायेगा क्या ? राजस्थान का नाम सुनकर केतकी की मा संतोष बोली राजस्थान से हो राजस्थान में आप कहा से हो .. हम भी राजस्थान के ही हैं ।... अब बद्री काका राजस्थानी मे बोलने लगा .. मै गौरियां को हूँ अब सीकर रह रिह्यो हूँ ।
अपणा प्रदेश का तो रूंख भी आच्छ्या लागि हैं .. संतोष ने बद्री काका को अंदर बैठाया और कहा आप बैठो चाय पानी पीओ.. संतोष ने अपने पति को फोन किया ..वह मौहल्ले मे बाहर कही गया था ..
बद्री काका ने कहा बहिन जी ! टाबर टिंगर कोनि दिखाई दे रिह्या.. कितना टाबर हैं ? संतोष बोली .. दो जन्म्या हा पर ..अब एक बालक है .. दो साल पेल्या बेटी खत्म होगी .. बद्री काका ने कहा ..के होग्यो हो ? संतोष की आंख भर आई .. खुद को सम्भालते हुए बोली .. जिनावर काट लियो हो .. बद्री काका ने अफसोस जताते हुए कहा ..के उम्र ही ? ये ही 25 - 26 की । ओऽऽ ..शादी करदी ही के ..हां हां ..शादी का दो महिना ही हुया हा ... फेर तो पावणा को भी जीवन खराब होग्यो.. संतोष बोली नही नही .. म्हारो दामाद तो हीरा है ...हमने उनकी दूसरी शादी करवा दी ही.. अब उनके एक बच्ची भी है .. मै कब से आपकी भाई को कह रही हूँ एक बार दामाद जी को बुलाओ.. मै भी दोहेती को देखूं तो ' बद्री काका ने फिर पूछा दूसरी शादी ..अपने ही परिवार मे ...बीच मे ही बात काटकर संतोष बोली .. नही नही ..केतकी की एक फ्रेंड ही उससे करवा दी थी .. ओऽऽ ये अब कठे रहवे हैं ? ...ये भी सीकर में ही रहव हैं .. दामिनी नाम है वह पुलिस मे अफसर है ...
संतोष बोली मै चाय बनाकर लाती हूँ ... केतकी के पापा आते ही होंगे...यह केतकी ...आपकी बेटी का नाम है न ? हां हां ...संतोष चाय बनाने चली जाती है ...