आदर्श गांव का भ्रमण करने आयी कजरी की टीम मे से एक चंचल लड़की ने पंडित जी से चोटी का रहस्य पूछा तो पंडित जी ने कहा ..आप सब पहले गांव के चौपाल में चले ..वहां आपको सभी जानकारी देदी जायेगी । तभी एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आया .. उसने पंडित जी को प्रणाम किया ..पंडित जी ने अपना एक हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया ..और उससे कहा अरे भोला ..इन बच्चियों को गांव दिखाते हुए ..वहां चौपाल लेकर आजाना ..हां इनको अल्पाहार करवाकर लाना ..उसी समय कजरी बोली ..अंकल .. नही नही दादोसा ..हम अल्पाहार साथ लेकर आये हैं .. मुस्कुराकर पंडित जी बोले ..कोई बात नही ..आप अपना अल्पाहार ही कर लेना ..किन्तु भोजनालय मे जाकर करना .. गांव के मेन गेट के पास बोर्ड पर कुछ नियम लिखे है उन्हें जरूर पढ लेना ..ठीक है दादोसा ..क्या आप हमारे साथ नही चल रहे ..पंडित जी बोले मैने किसी को समय दिया है ..उससे मिलकर आप से चौपाल मे ही मिलूंगा .. अगले ही पल सभी भोला के साथ मेन गेट के पास लगे बोर्ड के पास पहुंच गये ..बदली उन निर्देशो को पढकर सुनाने लगी .. आगन्तुक अतिथियों का स्वागत है ..कृपया हमारे ग्राम में कचरा न फैलाए ..ऐसा करने पर 100 ₹ जुर्माना सफाई कर्मचारी को देना होगा ।खुले मे यदि थूंकते है तो आपको 100 ₹ जुर्माने के देने होंगे । स्वागत कक्ष मे कृपया अपना नाम पता लिखवाकर और टोकन ले लेवे इसका आपको कोई शुल्क नही देना है । भोजनालय मे अल्पाहार 10 रूपये और भोजन 20 रूपये देकर कर सकते हैं । गांव में 500 घर हैं उनको देखने जा सकते है ..एक घर मे दो से अधिक के जाने की अनुमति नही है । घर देखने के लिए आपको अनुमति लेनी होगी । तालाब गैस प्लांट सार्वजनिक शौचालय देखने के लिए वहां लिखे दिशानिर्देश के अनुसार देख सकते है । कृपया अपने सामान की देखरेख स्वयं करे या विश्राम स्थल पर लगे लॉकर मे रख सकते हैं । कृपया गांव मे अच्छे शहरी की तरह व्यवहार करे ।
भोला के साथ पूरी टीम घूमने लगी वहा की साफ सफाई देखकर सभी आश्चर्य कर रहे थे । ग्राम के लोग जब भी मिले तो सब राम राम बोलकर आगे बढ रहे थे । भोला ने कहा आप भोजनालय मे चलिए वहा अपना अल्पाहार कर लीजिए.. फिर आगे बढ़ेंगे ...सभी ने अपना अल्पाहार निकाला और खाने लगे ..सभी आपस मे बात कर रहे थे ..भोला ने अपनी अंगुली होठो पर रखकर चुप रहने का संकेत किया .. थोड़ी देर बाद सभी लड़कियां बाहर आकर एक लाइन बनाकर खड़ी हो गयी ..भोला ने कहा सामने जो घर है वह मेरा है आप देखना चाहे ..हां हां जरूर देखेंगे .. भोला अपने घर ले गया ..घर बिल्कुल साफ सुथरा था घर बाहर से तो पक्का था किन्तु आंगन कच्चा लिपा हुआ था भीनी भीनी खुशबू आ रही थी ..आंगन के बगल मे एक गोल घर बना था उसमे दो चारपाई लगी थी ... भोला ने कहा मै और मेरी पत्नी दोपहर में इसमे आराम करते है पोता पोती इसमे खेलते रहते हैं ..भोला ने उस गोल घर के बीच मे आने का इशारा किया आप यहां आइए ...अभय और केतकी वहा जाकर खड़े हो गये ... भोला ने कुछ बोलने के लिए कहा ..अभय बोला क्या बोलू... फिर अभय ऊपर देखने लगा ..क्या माइक लगा रखा है ..भोला ने कहा नही ..आप जो ऊपर गुंबद देख रहे हो उससे आवाज टकराकर नीचे आती है आपको लगता है कि आप माइक मे बोल रहे है ...वाह क्या बात है ..अब सभी उसके नीचे जाकर बोलने लगे ..कोई मंत्र बोल रहा है कोई नाम लेकर बोल रहा है ..... अद्भुद नजारा है .. सबको बड़ा मजा आरहा था .. केतकी ने इसका रहस्य पूछा ..भोला बताने लगा यह गोल गुंबद फिर इसमे 3×3 का गोल गुंबद की वजह से ऐसा होता है । ध्वनि विस्तार यंत्र की तरह लग रहा है सबको बहुत अच्छा लग रहा था ..भोला ने कहा इसकी दीवार कच्ची ईंट से बनी है कच्ची ईट मे गोबर व चूना मिला है ..गोबर से लिपा हुआ है और ऊपर चूने गौंद मिलाकर पुताई कर रखी है । इसमे सर्दियो मे सर्दी कम और गर्मियो मे गर्मी कम लगती है ... रसोई गोबर गैस से चलती है गांव मे कोई लकड़ी नही जलाता ..यह सब दादोसा की चोटी का चमत्कार है .. जब फिर चोटी की बात हुई तो ..एक लड़की ने पूछा ..दादोसा की चोटी के बारे मे बताये ... भोला बताने लगा ..हमारा गांव फौजियों का गांव है आज भी हर घर मे फौजी है .. एक बार की बात है आज से 15 साल पहले गांव के लोग जमीनी पानी की वजह से खेती नही कर पा रहे थे ..जमीन के अंदर पानी ही नही रहा जिससे खेती हो ..यहां तक कि पीने का पानी भी बाहर से आता था ..गांव वाले पहले जिला कलेक्टर तक धरना दिये पर कोई हल नही निकला ..लोग गांव की जमीन घर सब छोड़कर जाने लगे ..उस समय पंडित केदार नाथ जो मंदिर की पूजा करते थे ..एकाएक इनको प्रेरणा हुई समस्या हमारी है तो समाधान भी हम खोजेंगे ..इन्होने एक योजना सुझाई ..लेकिन किसी को इन पर विश्वास नही हुआ ... इन्होने गांव के बीच अपनी चोटी खोली और घौषणा की ..अब यह चोटी तब ही बांधूंगा जब तक कुओ के अंदर पानी नही आ जायेगा ..मंदिर मे जाकर बैठ गये ..गांव वालो से कहा अब मैं अन्न भी तभी खांऊंगा जब तक पूरा गांव मेरा सहयोग करने लिए खड़ा नही हो जायेगा .. अपना घर भी एक साहुकार को बेच दिया ..उससे मिले पैसों से सामान खरीदा गैंती बेलचा फावड़ा परात टोकरी आदि.. तीसरे दिन पूरा गांव मंदिर मे आ गया .. गांव वाले बोले हम आपके साथ है पर आपकी योजना पर भरोसा नही हो रहा .. उस समय पंडित जी ने कहा था कि हम अपने गांव मे बरसने वाले पानी को बाहर बहने से रोकेंगे ..इसके लिए हमे जगह जगह पर तालाब व खाइ खोदनी होगी ..ताकि पानी जमीन के अंदर जाये ..बेमन से गांव वाले साथ खड़े हुए ..रोज श्रमदान करना वह भी कम से कम चार घंटे .. पंडित जी ने उस समय खुद ने मंदिर मे भोजन की व्यवस्था की ..उस समय लोगो ने कहा था कि हमारे बच्चो के लिए शहर मे मजदूरी के लिए जाना होगा ..यह क्रम पूरे साल चला ..बरषा हुई ..उसी एक बरषा से कुओं मे पानी आ गया ..अब लोगो को विश्वास हो गया ..तीसरे साल तो खेती लहलहाने लगी .. लोगो ने कहा अब चोटी बांध लो ..केदारनाथ जी कहा अभी गांव को एक परिवार बनाना है..मेरा सपना बड़ा है ..