महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 68 Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 68

रूम के गेट पर केतकी के पापा को आया देखकर अभय को आश्चर्य हुआ । उसके मुख से सहसा निकला ..आप ! यहां ?
अभय ने केतकी के पापा को झुककर प्रणाम किया और कहा .. पापा आप यहां ..आइए आइए बैठिए । अब सब कुछ खत्म हो गया है फिर आप यहां मेरे पास किस लिए आये हो ? ऐसा कहते कहते अभय का स्वर कठोर हो गया । यह सुुन केतकी के पापा का चेहरा मुरझा गया । चेहरे पर डर साफ साफ झलक रहा है । केतकी का पापा चेयर बैठ गया ..पर "उससे कुछ कहते ही नही बना ..वह अपने मुख का थूंक निगलते हुए बोला ..दामाद जी आप घर नही आये ..यहां होटल में रूके हो ..
अभय ने रूखे स्वर मे कहा ..अब किस लिए घर आऊंगा ? आप सबने मिलकर मुझे धोखा दिया है , मेरे साथ आप सभी ने मिलकर बड़ा खेल खेला है । अब कोई ओर खेल खेलना बाकि रह गया है क्या ?
केतकी का पापा बोला ..दामाद जी ! इसके पीछे का कारण जानेंगे तो आप ऐसा नही कहेंगे । हमे मजबूर किया गया ऐसा करने के लिए । मैं यह सब बाते आपसे यहां नही कर सकता आप मेरे साथ घर चलिए ।
अभय बोला ..अब आपके किसी झांसे मे नही आने वाला ...जरूर कोई नया षडयंत्र आपके दिमाग मे चल रहा है । आप मुझे अपना दामाद न कहे ..मैं आपका दामाद नही हूँ । आपके मुंह से दामाद शब्द सुनकर मेरे तन-बदन मे आग लग जाती है । आपको यहां केतकी ने भेजा होगा,आप यहां से चले जाइए । मै आपके साथ बेअदबी नही करना चाहता ..मेरे ऐसे संस्कार नहीं है । ऐसा कहते हुए अभय खड़ा हो गया ..उसने रूम का गेट खोल दिया .. और बोला मेरे पास अब आपके लिए समय नही है ।
केतकी के पापा ने कहा ..बस एक बात सुन लीजिए, फिर चला जाऊंगा ।
अभय ने दृढता से कहा ..मुझे कुछ नही सुनना ..आप जाइए !
केतकी का पापा बोला .. क्या यह भी नही कि आईएसआई आपको फंसाकर देश से गद्दारी करने को मजबूर करने वाली है ..
यह सुनकर अभय बोला ..क्या मतलब ?
दामाद जी यह सब बताने ही यहां आया था ..दामिनी पाकिस्तानी है ..उसी ने केतकी को फंसा रखा है ..
आप एकबार मेरी सारी बात सुन ले फिर यकीन करना न करना आप पर है ।
आईएसआई का नाम सुनकर अभय के चेहरे का भाव कुछ नर्म हो गया ..
अभय ने फिर गंभीर होकर कहा .. आप दामिनी को पाकिस्तानी बताकर भी मेरे और दामिनी के बीच मतभेद पैदा नही कर सकते । एक बात ओर साफ साफ कह देता हूँ , बिना ठोस सबूत के आप मुझसे कोई ऐसी बात नही कहेंगे । यदि कोई सबूत है आपके पास तो ही कहो !
केतकी का पापा बोला ..दामाद जी आपको वह सब मै यहां होटल मे नही बता सकता । आप घर आजाइए.. बीच में बात काटकर अभय ने कहा नही.. समुद्र के किनारे फुटपाथ पर घूमते घूमते बात कर लेंगे । आप वहीं आजाना । यह सुन केतकी के पापा ने कहा ..नही नही ..वहां खतरा हो सकता है । मुझे आपसे बात करते किसी ने देख लिया तो मेरे पूरे परिवार की जान खतरे मे पड़ जायेगी ।
अभय को केतकी के पापा की आंखो मे कुछ सच्चाई नजर आई । लेकिन फिर भी अभय ने कहा .. ऐसी बात है तो आप जोखिम क्यों उठा रहे हो । सच कहूं मुझे कोई इंट्रेस्ट नही है आपकी बाते सुनने में ।
दामाद जी यदि आप नही सुनना चाहते तो कोई बात नही ..किन्तु आप ऐसी कोई खुफिया जानकारी दामिनी को न दे । ठीक है अभी मैं चलता हूँ ..यदि आपको लगे कि मुझसे बात करनी चाहिए तो आप फोन न करके सीधे घर आजाना...अभी तो मै जा रहा हूँ ..यहां दामिनी कभी भी आ सकती है ..
केतकी का पापा चला जाता है ...
उसके जाने के बाद अभय..नये सिरे से सोचने लगा ...