महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 48 - केतकी की हमशक्ल Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 48 - केतकी की हमशक्ल

अभय अपनी यूनिट से छुट्टी पर आ रहा है । ट्रेन में एक युवती को देखकर अभय ने केतकी का नाम लेकर उसे पुकारा .. वह युवती अभय को देखने लगी और उसने अपने पीछे मुड़कर देखा ..उसे लग रहा था यह व्यक्ति उसे नही किसी ओर को पुकार रहा है । लेकिन अभय उसे ही देखे जा रहा है ..वह युवती गंभीर होकर ..ए मिस्टर ! आप ! मुझे कुछ कह रहे हो ? मेरा नाम केतकी नही है, समझे ।
अभय बड़बड़ाकर अगल बगल झांकते हुए बोला ..यह कैसे संभव है ?
अभय समझ गया था यह केतकी नही है उसकी हमशक्ल है । दोनों ही सीट पर आमने सामने बैठे हैं । अभय थोड़ा साहस जुटाकर बोला .. माफ करना मै अभी भी असमंजस में हूँ.. आप केतकी की हमशक्ल हैं .. आपको यकीन न हो पर ..मेरे पास केतकी का फोटोग्राफ है । आप देखना चाहेंगी ..
उस युवती को भी जिज्ञासा हुई पर उसे यह भी लगा कि इसने मेरा फोटो ले लिया होगा ।
अभय ने अपने पर्स से एक फोटो निकालकर उसे दिखाया । फोटो मे उनकी शादी की फोटो थी । वह युवती गंभीर हो गयी और बोली ..आपने यह फोटो कब बनवाया ?..मै सब समझती हूँ ..
अभय ने अपना आई कार्ड दिखाया ..मै आर्मी में हूँ और अभी छुट्टी आया हूँ । उसके पास बैठी एक अधेड़ उम्र की महिला ने कहा ..यह सही कह रहा है ..एयरपोर्ट से हम एक ही टेक्सी से स्टेशन आये थे ।
इस तरह से शंका समाधान चलता रहा पर उस युवती को यकीन नही हुआ .. उसने कहा प्लीज आप इस विषय पर अब बात न करे ।

सभी चुप हो गये ...
अभय जानता है कि इसकी शक्ल व कद काठी केतकी से मिलती है । लेकिन वह इसी उधेड़बुन मे लगा है कि इसे कैसे यकीन दिलाएं कि सिर्फ हमशक्ल होने से भ्रम हुआ है ।

मानव का स्वभाव है जब वह अपने स्थान पर सही हो और उसे गलत समझ लिया जाये तो, वह अपने आपको सही साबित करने का यत्न करता है । उसका दिमाग एक तरफा चलने लग जाता है । अभय सोच रहा है ..अभी कोई केतकी को जानने वाला आ जाये और वह भी इसे केतकी ही कहे तो ..इसे मेरी बात का यकीन हो जाये ..
अभय सोच रहा है यह कौन है ? कहां रहती है ? इसका नाम क्या है ?
थोड़ी देर में एक अधेड़ उम्र की महिला आई ..उसे देखकर वह युवती बोली .. इधर आजाओ मम्मी बहुत देर लगा दी आपने !
युवती अपने बैंग को हटाकर अपनी मम्मी को बैठने के लिए कहती है ...
युवती की मम्मी बोली .. वेदिका तुम इधर बैठो मैं खिड़की के पास बैठूंगी..
अभय को नाम का पता चल गया कि युवती का नाम वेदिका है । अभय के पास बैठी अधेड़ ऊम्र की महिला बोली ..बहिन जी ! आपकी बेटी की बात कर रहे थे । यह फौजी भाई इसे किसी का हमशक्ल बता रहा था .. युवती की मम्मी बोली ..अच्छा ..कहां है हमशक्ल ?
दोनों महिलाएं अभय को देखने लगी ..अभय ने वह फोटो दिखाया .. यह है । किन्तु इसकी मौत हो गयी है । ..
युवती की मम्मी ने फोटो देखकर कहा ..काफी मिलती है .. कहां रहती थी ?
अभय ने कहा मुम्बई में । मुम्बई नाम सुनकर उसने वह फोटो अभय को थमा दिया और बोली ..दुनिया मे एक सी शक्ल के सात आदमी होते हैं .. अभय ने देखा मुम्बई का नाम सुनकर इसका चेहरा उतर गया है ..
अभय ने बात पलटते हुए कहा ..अभी आप कहा रहते हैं ? उसने कोई जबाब नही दिया ..
अभय ने फिर पूछा ..वह महिला झल्लाकर.. तुम तो पीछे ही पड़ गये .. मै क्यों बताऊं तुम्हें हम कहा रहते हैं ... यह मेरी बेटी है ..इतना बता दिया यह कम है क्या ? अपनी मम्मी को घबरायी हुई देखकर वह युवती बोली ..क्या हुआ मम्मी ?