महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 47 - क्या केतकी मरी नही जिंदा है ? Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 47 - क्या केतकी मरी नही जिंदा है ?

दामिनी व अभय की गृहस्थी बहुत अच्छे से चल रही थी । इनको एक पुत्री भी हो गयी थी ।
कजरी ने भी एक हष्ट-पुष्ट पुत्र को जन्म दिया था ।
पुत्री का जन्म होने के बाद उसके मम्मी पापा बहुत खुश रहते थे ।
एक दिन दामिनी ने अपनी सास से पूछ ही लिया ..मम्मी ! आपको तो ' पोता चाहिए था न ? कस्तुरी ने कहा ..सही बात तो यह है बहु ! हम तो पोती ही चाहते थे । क्योंकि हमारे बेटे तो जन्मे कन्या नही जन्मी । 40 साल के बाद घर मे कन्या आई है । तुम्हारी बुआ के बाद अब कन्या जन्मी है । दामिनी मुस्कुराकर चली गयी ..
दामिनी के पिता ने दामिनी की पोस्टिंग सीकर ही करवा ली थी । दामिनी ने अपने व्यवहार से अपने सास ससुर का दिल जीत लिया था । कस्तुरी पहले सशंकित थी कि पुलिस वाली है तो इज्जत नही करेगी । किन्तु ऐसा नही हुआ । कस्तुरी की एकबार तबयत खराब हुई तो दामिनी ने घर बैठे ही डाक्टर का इंतजाम कर दिया और अपनी सास के साथ ही सो गयी थी तबसे कस्तुरी व दामिनी घुल मिल गये थे । दोनों हंसी ठंठौली भी करते रहते थे ।

अभय भी अफसर बन गया था अभय अब कैप्टन था । उसकी पोस्टिंग गुरेज सेक्टर में भारत पाकिस्तान सीमा पर थी ।
सर्दियों में 9000 फिट ऊंची पहाड़ियों मे तापमान माइनस 20° तक जाता था ।

वहां जमकर बर्फबारी हो रही थी । आसमान बादलों से ढका हुआ था । सभी तरह से सम्पर्क टूटा हुआ था । आर्मी की खुद की फोन व्यवस्था चालू थी । मोबाइल फोन वहा काम नही करते थे । एक बीएसएनएल का टावर जो तलहटी मे गुरेज गांव मे था । वह भी अधिकतर खराब रहता था । उसकी रैंज बहुत कम खोलकर रखी थी , ताकि नेटवर्क पाकिस्तान मे न जा सके । आर्मी ने एक डीएसपीटी सैटेलाइट फोन सुविधा चालू कर रखी थी । उसमे भी फोन लगने मे बहुत टाइम लगता था । वहां पर रहते घर बात किये महिना भी बीत जाता था । इस लिए वहां से संवाद चिट्ठियों से होता था । बर्फबारी मे वह भी बंद रहता था जब आसमान साफ होगा तो हेलीकॉप्टर आता और उसी मे डाक व छुट्टी वाले जवान आते जाते ।

अभय को छ महिने हो गये थे । एक दिन सीओ ने अभय से कहा ...अभय अबकी बार हेलीकाप्टर आये तो तुम छुट्टी निकल जाना । पोस्ट का चार्ज जेसीओ को दे देना , जब कोई अफसर आयेगा तो वह चार्ज लेलेगा ।
अभय की खुशी का ठिकाना नही था । अभय ने अपना बैग जमाकर रख लिया .. शाम को ही छुट्टी के कागज मिल गये । छुट्टी ट्रांजिट कैंप की मोहर या एयर पोर्ट की मोहर के अगले दिन से शुरू होती थी ।
अगले ही दिन हेलीकॉप्टर आ गया ..अभय वहा से रवाना हो गया । श्रीनगर से हवाई जहाज से दिल्ली पहुंचा .. वहां से ट्रेन में अपनी सीट पर बैठा ही था कि उसकी नजर सामने बैठी युवती पर पड़ी ..उस युवती को देखकर वह चौंक गया ... अभय के मुख से निकला ..केतकी ! तुम ?