महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 36 - ससुराल में केतकी की सास का गुस्स Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 36 - ससुराल में केतकी की सास का गुस्स

केतकी अपने ससुराल में आगयी है । पीहर में स्वछंद जीवन जीने वाली केतकी अब नये सांचे में ढाली जा रही है । यह साधारण बात नहीं है अपने आपको बदलना , लेकिन हर बेटी ऐसा करती है । पिता के घर का अलग माहौल होता है । उस माहौल मे रहने के तौर तरीके बदलकर ससुराल में बहु के तौर तरीके अपनाना बहुत कठिन है । केतकी को उसकी सास व बुआजी वहां के तौर तरीके सिखा रही है । कैसे बैठना है , कैसे बोलना है , किस तरह अपने कपड़े संभालकर रखना है ।
केतकी अपने पीहर में लहंगा चुनरी नही पहनती थी वहां पर अपनी मर्जी के सलवार सूट पहनती थी । केतकी बुआजी से बोली ..बुआजी ! आप लहंगा ओढणी में दिनभर कैसे रह लेते हैं । सच कहूं तो ..मुझे तो, ऐसा लगता है जैसे मुझ पर एक जाल डाल दिया हो । मैं तो ठीक से चल ही नहीं पाती, कब लहंगा संभालना है कब ओढणी ? बुआ जी मुस्कुराई..और बोली अरे केतकी यह तो अपना पहनावा है , जब तक इसकी आदत नही बनती तब तक ऐसा लगता है । अच्छा सुनो .. जब तुम स्कूल जाती थी तब ड्रेस अलग थी, जब कॉलेज गयी तब ड्रेस अलग थी न ? यह हमारी विवाहिताओं की ड्रेस है । एक दो महिने बाद तो यही ड्रेस अच्छी लगने लगेगी ।
बुआ जी ने कहा अभी रसोई मे चलो ..वहां काम करते करते बात करेंगे । केतकी बोली ठीक है चलिए .. रसोई में केतकी की सास आटा गौंद रही थी ..केतकी को देख केतकी की सास बोली ..आवो आवो बेटा .. केतकी बोली ..मा मैं कुछ हाथ बटाऊं.. नही नही बेटा तुम आज ही आई हो..आज तो मैं ही बनाके खिलाऊंगी..ऐसा करना कल सुबह की चाय तुम ही बनाना ..ठीक है न ..केतकी ने मौन सहमति दे दी । केतकी की सास कस्तुरी बोली ..खाने में क्या क्या बनाना जानती हो ?. केतकी बोली .. मा मैं तो फास्ट फूड बनाना तो जानती हूँ बाकि तो सीख लूंगी ..कस्तुरी बोली कोई बात नही मै सब सीखा दूंगी .. कस्तुरी बोली ..बहु तुम्हारा भाई अब ठीक से बोलने लग गया है ? हां पहले से काफी ठीक है केतकी ने कहा । अभी डाक्टर को दिखायेंगे वह क्या कहता है । इस तरह कस्तुरी अपनी बहु से उसके मायके की बाते पूछ रही थी तभी बाहर से आवाज आई ..हट हट ..
वह अभय का पापा था जो कुत्ते को भगा रहा था .. अभय का पापा थोड़ी तेज आवाज मे बोला यह मिठाई ( बिदड़ी) बाहर ही रख दी .. इसे अंदर रखना था ..यह कुत्ता मुंह मार गया ..अंदर से केतकी की सास चिल्लाते हुए बाहर आई क्या मुंह मार दिया .. ? तुम सारे के सारे क्या कर रहे थे .. कस्तुरी ने पहले तो ननद से कहा बाईसा आपने इसे बाहर ही क्यो रखवा दिया । अब रसोई से बुआ जी भी बाहर आगयी .. बुआजी के पीछे पीछे केतकी भी बाहर आगयी । कस्तुरी मिठाई की छबड़ी को देख रही थी ..केतकी का ससुर पूरण बोला ..अरे कस्तुरी नुकसान नही किया .. यह छबड़ी पर कपड़ा बंधा था ..इस लिए कुत्ता कुछ खा नही पाया । उसी समय रसोई से सब्जी जलने की खुशबू आई ..फिर कस्तूरी गुस्साई .. अरे तुम दोनो ही बाहर आ गयी ..कस्तुरी रसोई की ओर भागी ..चुल्हे पर चढी सब्जी चिपक कर काली हो गयी थी । कस्तुरी का गुस्सा सातवे आसमान पर ..गुस्से से केतकी को बोली ..तू तो पढ़ी लिखी है तूने भी ध्यान नही दिया .. केतकी चुपचाप सुन रही थी .. अब अभय भी बाहर आ गया था ..अभय धीरे से अपनी मा से बोला ..क्या हो गया ? सब्जी ही तो जली है .. फिर बन जायेगी ..कस्तुरी थोड़ी नर्म हो गयी ..उसे भी आभास हो गया कि गलती केतकी की नही है .. फिर भी तल्ख लहजे मे बोली ..हां ..सब्जी तो ओर बन जायेगी .. लापरवाही से सब्जी बर्बाद हो गयी उसका क्या ? बुआ जी तो रसोई से बाहर ही थी पर केतकी ने अपनी सास से कहा ..मा आप बाहर बैठो मैं दुबारा सब्जी बना लेती हूँ ..नही बेटा तू रहने दे ..तुझे कल से बनाना है .. बाहर से पूरण केतकी का ससुर बोला ..अरे कस्तुरी बहु पर गुस्सा कर रही है क्या ? अब तो कस्तुरी फिर से बफर पड़ी ..अपनी बहु को नही कह रही .. इस फसाद की जड़ तो आप हैं ..आपने ही चिल्लाकर सब कुछ बिगाड़ दिया ।
अभय फिर से बोला ...मा छोटी बात का बतंगड़ क्यो बना रही हो ? बेटे से यह सुन कस्तुरी रोने लगी .. रसोई छोड़कर बाहर आगयी .. संभालो अपनी रसोई बहु ..पूरे दिन से काम मे लगी रही मैं .. अब तो तुम आगयी हो ..अब मेरी जरूरत नही है.. अभय बोला मा आज क्या हो गया आपको ? हर बात को उल्टा ले रही हो । अभय ने मा को पकड़कर अपने गले से लगा लिया .. कस्तुरी रो रही है ..अपनी मा को रसोई में ले गया और वहां बैठाया और बोला आज आप मे ..कोई खाना नही बनायेगा ..मै सबको बनाकर खिलाऊंगा .. अब केतकी भी अपने सास के पास बैठ गयी ..बोली.. मा मुझसे गलती हो गयी ..मुझे ध्यान रखना चाहिए था .. ऐसा कह केतकी ने अपनी सास की गोद में सिर रख दिया .. कस्तुरी अब अपनी बहु को छाती से लगाकर रो भी रही है और अपने मन मे अच्छा भी महसूस कर रही है । कस्तुरी बोली ..अरे बहु मैं ही बुरी हूँ ..तुम्हारी तरह पढी लिखी नही हूँ न । चलो उठो मैं खाना बनाती हूँ । तेरा पति खाना बनायेगा सबको बे स्वाद खाना पड़ेगा । कस्तुरी उठी ..अभय से बोली चल हठ .. अरे मा मै बनादूंगा..नही नही .. तू हठ ..अभय बोला चलो मैं पहले आप सबके लिए चाय बनाता हूँ ..केतकी बोली हां यह ठीक रहेगा .. थोड़ी कड़क सी बनाना .. माहौल शान्त देखकर बुआ जी भी अंदर आगयी ..भाभी चलो हम बाहर बैठते हैं ..