महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 35 - केतकी की ससुराल वापसी Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 35 - केतकी की ससुराल वापसी

केतकी को दामिनी ने वह सब कह सुनाया ..हमने अनजान कॉल करवाकर आपके फोटो लेकर आपको उल्लू बनाया ..यह कहकर दामिनी हंसने लगी । दामिनी के साथ सभी हंसने लगे । केतकी बोली ..आपने मुझे उल्लू बनाया ..याद रखना मै भी आप सबको एक दिन उल्लू बनाऊंगी.. दामिनी बोली वह तो हमें पता है । तुम चुप नहीं बैठोगी.. इस तरह उनकी वार्ता चल रही थी कि बस अब दामिनी के घरके सामने पहुंच चुकी थी .. बदली ने दामिनी से कहा ..दीदी आपका घर आ गया ..दामिनी सबका अभिनंदन करते हुए नीचे उतर गयी .. दामिनी ने अभय से कहा जीजू ..संभव हुआ तो कल मिलूंगी ...

यात्रा खट्टे मीठे अनुभवो के साथ समाप्त हुई ।

केतकी के घर मे अभय सौफे पर बैठा है और चाय की चुस्की ले रहा है । घर में खुशी का माहौल है । सबसे ज्यादा खुशी तो केतकी के भाई केतन को लेकर है । केतकी की मा संतोष फूली नही समा रही । बार बार अपने पुत्र से बात कर रही है .. केतकी का पापा बोलता है यह सब बालाजी महाराज की मेहरबानी है ..अब जल्दी ही सवामणी करूंगा सब रिश्तेदारों को बुलाऊंगा..
केतकी का पापा अपने दिल की बात कह रहा था । उसी समय अभय का फोन बजा ..अभय ने फोन रिसीव किया .. राम राम सर ..सर ..सर .. ठीक है सर । अभय की ही आवाज सब सुन रहे थे .. फोन कट करके अभय बोला ..यूनिट से सीएचएम का फोन था .. अब सभी अभय को ही ताक रहे है .. केतकी के पापा ने पूछ लिया.. क्या बात है दामाद जी ..सब ठीक है न । अभय बोला परसों मेरा मेडिकल है .. मुझे जयपुर जाना होगा .. कल.. मैं यहीं से जयपुर के लिए रवाना हो जाऊंगा .. केतकी का पापा बोला ठीक है ..फिर वापस आयेंगे या उधर से ही जायेंगे .. वहां पर दो तीन दिन लग सकते हैं तो वापस तो आना नही होगा .. केतकी की मा बोली यह भी आपका ही घर है ..अभय बीच मे ही बोला .. एकबार तो जाना ही होगा ..अगली छुट्टी मे जरूर आऊंगा ..
केतकी की मा बोली ..तो केतकी भी वहा जयपुर मे साथ जायेगी ?.. हां.. वहां मेरा रूकना हुआ तो इसे वापस भेज दूंगा .. दो चार दिन मे अब हम सब भी मुम्बई जा रहे हैं सारा काम बंद पड़ा है । चलो ठीक है आपका ट्रेन मे रिजर्वेशन करवा देता हूँ .. नही मैं बस से निकल जाऊंगा ..जयपुर के लिए बस बहुत मिल जायेगी । ठीक है अब आप सभी मुह हाथ धो लीजिए..फिर खाना लगाते है ।

अगले दिन केतकी के साथ अभय जयपुर मे सैनिक विश्राम गृह मे रूक गया और अपना मेडिकल करवाया और दो दिन बाद सीकर अपने घर के लिए रवाना हुआ .. करीब दो घंटे बाद वह अपने घर पहुंच गया .. अभय की मा कस्तुरी पलक बिछाये अपने बेटे बहु की अगवानी के लिए दरवाजे के बाहर ही खड़ी थी .. मौहल्ले की महिलाए भी उसके साथ मे ही खड़ी थी ..बड़े चाव से केतकी की सास व बुआ सास ने केतकी को घर के अंदर लिया .. केतकी को पीढे पर बैठाया ( 2×2 फिट का बैठने का आसन होता है जो चारपाई की तरह बना होता है ) बुआ जी ने अपने देव स्थान पर प्रणाम करवाया । फिर केतकी से बुआ जी ने कहा अब अपनी सास के पांव लगो..( यह एक राजस्थान मे परंपरा है बहु सास के घुटनो से पिंडलियों तक अपने दोनों हाथों से दबाती है , इसे पगलागणा कहते हैं ) केतकी को यह बड़ा अजीब सा लगा ..वह सोचने लगी मै कहां आगयी ..क्या ससुराल यही होता है ? इन परंपराओ का दिल मे विरोध भी है पर केतकी चुप चाप वह सब कर रही है जो उसे बताया गया है ।