The Author Captain Dharnidhar फॉलो Current Read महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 78 By Captain Dharnidhar हिंदी मानवीय विज्ञान Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books My Wife is Student ? - 25 वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ...... एग्जाम ड्यूटी - 3 दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्... आई कैन सी यू - 52 अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया... All We Imagine As Light - Film Review फिल्म रिव्यु All We Imagine As Light... दर्द दिलों के - 12 तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Captain Dharnidhar द्वारा हिंदी मानवीय विज्ञान कुल प्रकरण : 105 शेयर करे महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 78 (4) 1.4k 3.8k 1 अभय सीओ से मिलकर आरहा है । उस पर सबकी नजरे टिकी हुई है । सबको जानना है अंदर क्या हुआ होगा । अभय अरजूडेंट ऑफिस के पास से निकला तो अंदर से एक ऑफिसर ने आवाज दी ..अभय ! , अभय ने पलटकर देखा और ऑफिस मे आगया ..वहां पर सबको उत्सुकता थी यह जानने की सीओ ने क्या कहा । अभय को अरजूडेंट ने पूछा, सीओ ने किस लिए बुलाया था । अभय ने अंदर हुई सब बातें बता दी ..फिर मुस्कुराकर कहा सर मैं आज ही छुट्टी निकलूंगा। हेलीकॉप्टर जब भी आज आयेगा मैं निकल जाऊंगा । अरजूडेंट ने हेड क्लर्क को फोन किया और फोन पर बताया कि अभय साहब की एक महिने की छुट्टी बनवा दो । साथ बैठे ऑफिसर ने कहा सर ! छुट्टी मिल गयी है ,पार्टी तो बनती है । अभय ने कहा आकर के दे दूंगा .. अरे सर फिर तो आप रहने ही दो । अभय ने कहा ठीक है आज मेरी तरफ से एक एक पेग आज ही लगा लेना । सब ठहाका लगाकर हंसने लग जाते हैं । अभय सॉरी सॉरी अब मुझे जाना है । अभय वहां से निकल जाता है । रात मे आये सपने का असर अब अभय पर नही था । सपने के कारण लगी आग को लेकर भी अभय चिन्तित था किन्तु सीओ से मिलने के बाद अब बेफिक्र होगया था । अभय ने माइक पर भजन बजने की आवाज सुनी यूनिट के मंदिर मे भजन बज रहा था । अभय ने सोचा कि पंडित जी से मिलकर आता हूँ । उनसे सपने के बारे मे भी पूछूंगा ।अभय अपने रेजीडेंस मे न जाकर मंदिर की ओर चल दिया । मंदिर के बाहर दरवाजे से अभय ने आवाज दी ..गुरूजी ! नमस्कार " पंडित जी ने अभय को वहां खड़े देखा ..आशीर्वाद कहते हुए बाहर आगये । पंडित जी ने पूछा हां सर , आप ठीक है न ? मैने सुना था कि रात मे आग लग गयी थी । अभय ने कहा ..यह तो भगवान की दया है सब ठीक है । कोई नुकसान नही हुआ । गुरूजी मै आज छुट्टी जा रहा हूँ , आप आशीर्वाद देवे .. घर पर ठीक से छुट्टी कट जाये । पंडित जी ने कहा भगवान सब ठीक ही करेंगे । आप निश्चिंत होकर जाये , मै संध्या की आरती मे आपके लिए प्रार्थना करूंगा । गुरूजी कल मैने बड़ा भयानक सपना देखा उसका क्या फल हो सकता है ? बाहर लगी चेयर पर बैठते हुए पंडित जी ने कहा ..आप बैठो । अभय ने बैठकर सारा सपना सुना दिया । पंडित जी कुछ सोचने लगे ..अभय ने पूछा क्या बात है गुरूजी ! पंडित जी ने कहा सपना मिला जुला फल देने वाला है । हां इतना समझ लीजिए संकट आयेगा पर आप उस पर विजय पा लेंगे । अभय फिर पूछा कैसा संकट ? पंडित जी ने कहा एक तो आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे कोई पुराना रोग फिर से प्रगट हो सकता है । यदि रोग है तो बढ सकता है । दूसरी बात कोई आपका अपना आर्थिक नुकसान कर सकता है । अभय ने फिर कहा ... गुरूजी कोई जान माल का तो नुकसान नही है न ? पंडित जी ने फिर कहा आपको प्रॉब्लम घर के बाहर से आसकती है । सपने का असर न हो इसके लिए आप अपने ईष्ट के नाम का जप करो ..होसके तो शिवपूजन करे । आप बेफिक्र होकर जाइए। सपने का फल अभी नही लगभग छ महिने बाद हो सकता है । तब तक आप पूजा पाठ करते रहे । अभय ने जाने से पहले प्रणाम किया ..और कुछ सोचते हुए वहां से चला गया । ‹ पिछला प्रकरणमहिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 77 › अगला प्रकरण महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 79 Download Our App