महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 101 Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • तमस ज्योति - 51

    प्रकरण - ५१मेरे मम्मी पापा अब हमारे साथ अहमदाबाद में रहने आ...

  • Lash ki Surat

    रात के करीब 12 बजे होंगे उस रात ठण्ड भी अपने चरम पर थी स्ट्र...

  • साथिया - 118

    अक्षत घर आया और तो देखा  हॉल  में ही साधना और अरविंद बैठे हु...

  • तीन दोस्त ( ट्रेलर)

    आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं हम एक नया उपन्यास जिसका...

  • फाइल

    फाइल   "भोला ओ भोला", पता नहीं ये भोला कहाँ मर गया। भोला......

श्रेणी
शेयर करे

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 101

अभय के साथ उदयपुर जाने का प्रोग्राम बनने के बाद बदली मन ही मन खुश हो रही है ।
.....

केतकी अभय के साथ ट्रेन मे बैठी हुए है । साइड की अपर बर्थ बदली को मिली है । बदली के साथ एक 35 साल का हृष्ट-पुष्ट आदमी बैठा हुआ है । गाड़ी अपनी पूरी रफ्तार से चल रही है । ठक ठक खट, की आवाज के साथ रेल चल रही है । केतकी बहुत प्रसन्न है मौका पाकर अभय के चेहरे को देख लेती है । अभय के सामने एक प्रौढ महिला जिसकी उम्र 40 होगी , बदली उसके पास आकर कहती है प्लीज आंटी आप मेरी बर्थ चेंज कर लेंगी । उस महिला ने मना कर दिया ..नही! मुझे ऊपर चढने में प्रॉब्लम होती है । बदली कुछ न कहकर अपने स्थान पर बैठ जाती है । बदली के पास बैठे पुरूष ने काला चश्मा लगा रखा है । संभवतः वह बदली को ही देख रहा है । बदली ने उस पुरुष को कहा ..सर आप ऊपर की बर्थ ले लीजिए। मै नीचे की बर्थ ले लू ..वह अपनी बात पूरी करती वह बोला ठीक है , मुझे कोई प्राब्लम नही है । बदली ने उस महिला से कहा आंटी आप यहा आजाइए । वह प्रौढ महिला वहा आकर बैठ जाती है । बदली अब अभय के सामने की सीट पर आकर बैठ गयी । केतकी ने कहा ..बदली ! अब ठीक है । अब हम खाना खा लेते है , क्यो अब तो भूख लग गयी होगी । बदली की एवज मे अभय ने कहा ..ठीक है ..केतकी ने अपने साथ लाये हुए भोजन को प्लेट मे सर्व करना शुरू कर दिया ..अभय ने औपचारिक रूप से आस पास मे बैठे यात्रियों को भोजन करने का आग्रह किया ..सबने कहा थैंक्स आप कर लीजिए। थोड़ी देर बाद सभी यात्री अपना भोजन निकालकर भोजन करने लगे । लेकिन वह प्रौढ महिला शान्त बैठी थी ..अभय ने पूछा ..आपने भोजन कर लिया क्या ? वह बोली नही मुझे भूख नही है । मै जैनी हूँ और मेरा संथारा चल रहा है । अभय ने कहा ओ फास्ट है । केतकी ने कहा ..अभय ? मैने बुआ जी से सुना था ..ये जैन लोग संथारा तब तक करते है जब तक मर नही जाते .. बदली ने पूछा दीदी ! ऐसा क्यो ? यह तो बहुत कठिन है ..अपने आपको भूख से मारना । लेकिन ये ऐसा क्यो करते है । केतकी ने कहा ..इनको जब कोई बिमारी लग जाती है जो लाइलाज हो , या जीवन से ऊब गये हो । अभय ने कहा ..यह तो एक खुदकसी करना ही है । कानून इसकी इजाजत नही देता .. बदली बीच मे ही बोली ..जीजू कोई कंप्लेंट भी तो करे ..इसका तो अभी कोई केस मेरे सामने नही आया ।
शान्त बैठी महिला ने कहा ..बेटा आप इसके बारे में जानते नही हैं , इस लिए आप ऐसी बातें करते हैं । यह एक तपस्या है , मृत्यु तो एक दिन सबको आनी है । यह शरीर पांच तत्वों से बना है ...