महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 96 Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 96

अभय और बदली पैदल ही वहां से रवाना होगये । अभय ने कहा बदली हम जिधर से आये थे उसी रास्ते से वापस चलेंगे । हम इस बीहड़ में भटक सकते हैं इस लिए आप मेरे पीछे पीछे चलो ..बदली ने कुछ नही कहा और अभय का अनुसरण करने लगी ।

दिन के आठ बजने वाले थे अभय और बदली उस खंडहर के पास पहुंच गये है । अभय ने कहा बदली ! अब हम मैन रोड़ की तरफ चलते है जिधर से रात मे आये थे । बदली ने जैसा आप कहे ..

अभय और बदली मैन रोड़ पर पैदल चलकर आजाते हैं । वहां पर मोटर साइकिल सवार को रोकते हैं ..खुदका परिचय देते है ..मोटर साइकिल वाले को जब विश्वास होजाता है तब वह मानवता के नाते उन्हें लिफ्ट देदेता है । तीनों उस पर सवार होकर सीकर पहुंच जाते हैं । अभय अपने घर चलने का आग्रह बदली से करता है किन्तु बदली ने कहा नही जीजू ! मैं पहले चौकी जाऊंगी । मुझे सारी रिपोर्ट सबमिट करनी है । अभय अपने घर के लिए रवाना होजाता है ।
बदली चौकी पहुंच कर अपने सीनीयर अधिकारी को सारी बात बताती है । अधिकारी ने कहा हमें इंटेलिजेंस से कुछ इनपुट मिले है ..आईएसआई कुछ धमाका करने की फिराक में है । अभी आप आराम करो । कल सुबह आठ बजे मिलना । हां जो जवान शहीद हुआ था उसके मोबाइल मे मिले एवीडेंस ही उसकी मौत कारण है । यह भी होसकता है वह जवान उनके बारे मे जान गया हो और उनका विरोध किया हो और उन्होने उसे लोहे की राड से उसे मार दिया हो । खैर अभी आप जाइए।
बदली अपने क्वार्टर मे चली जाती है ।

उधर अभय अपने घर पहुंचता है । अभय को देखकर उसकी माॅ कस्तुरी कहती है ..अरे केतकी ! मेरा छोरा तो भूखा है ..चाय रहने दे पहले इसके लिए खाना बना । अभय भी अपनी माॅ की बात को पुष्ट करता है ..हां मॉ मैं खाना ही खाऊंगा। लेकिन मॉ , आपने कैसे जाना ? कस्तुरी बोली बेटा मै तेरी मॉ हूँ मै तेरी सूरत देखकर ही समझ गयी कि तू भूखा है ।
वास्तव में मॉ ऐसी ही होती है जो अपने पुत्र की पीड़ा को उसके बिना कहे ही पहचान ले ।
अभय ने कहा, मॉ मै पहले नहा लेता हूँ तबतक खाना भी बन जायेगा ।
जैसी तेरी मर्जी बेटा । अभय नहाने के लिए बाथरूम मे चला जाता है ।

उधर बदली बाथरूम से नहाकर निकल रही है । बदली शीशे के सामने अपने चेहरे को देख रही है । आंखे रात के जागरण से लालिमा लिए हुए हैं । बदली ने अपने केस संवारे ,आंखो मे हल्का काजल लगाया, गुलाबी रंग की टी सर्ट पहनी नीली जींस पहनी, शीशे के सामने बैठी बदली सुन्दर लग रही थी । बदली ने फ्रीज से ब्रेड निकालकर उसे गर्म किया और सॉस के साथ उसे खाने लगी । उसे खाते खाते ही अभय की मजबूत बाहें ,गठीला बदन याद आने लगा । लेकिन, उसकी दुत्कार को याद कर वह झुंझला उठी । उसने अपनी प्लेट उठाई और सिंक मे रख दी । अब उसे अपने कॉलेज की वह महिला मित्र याद आगयी जो अपनी दबंगई के लिए जानी जाती थी । उससे कॉलेज के लड़के भी डरते थे ।