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फिल्म रिव्यू - मयूर पटेल - उपन्यास
Mayur Patel
द्वारा
हिंदी फिल्म समीक्षा
फिल्म रिव्यू – ‘ठग्स ओफ हिन्दोस्तान’… दर्शको को वाकइ में ठग लेगी ये वाहियात फिल्म
कई सालों से ये होता चला आ रहा है की दिवाली के त्योहार पर रिलिज हुई फिल्म इतनी बुरी होती है की दिवाली का मजा किरकिरा कर देती है. फिर चाहे वो ‘जब तक है जान’ हो या ‘हेप्पी न्यू यर’. ‘दिलवाले’ हो या ‘शिवाय’ या फिर ‘ए दिल है मुश्किल’. एसी फिल्में बडे स्टार्स के नाम पे अच्छा ओपनिंग लेके बोक्स ओफिस पर कमाई तो कर लेती है पर दर्शको के दिलों पे राज नहीं कर पातीं. ईस साल रिलिज हुई ‘ठग्स ओफ हिन्दोस्तान’ थी एसी प्रकार की फिल्म है. बकवास और फिकी.
फिल्म रिव्यू – ‘ठग्स ओफ हिन्दोस्तान’… दर्शको को वाकइ में ठग लेगी ये वाहियात फिल्म
कई सालों से ये होता चला आ रहा है की दिवाली के त्योहार पर रिलिज हुई फिल्म इतनी बुरी होती है की दिवाली का मजा ...और पढ़ेकर देती है. फिर चाहे वो ‘जब तक है जान’ हो या ‘हेप्पी न्यू यर’. ‘दिलवाले’ हो या ‘शिवाय’ या फिर ‘ए दिल है मुश्किल’. एसी फिल्में बडे स्टार्स के नाम पे अच्छा ओपनिंग लेके बोक्स ओफिस पर कमाई तो कर लेती है पर दर्शको के दिलों पे राज नहीं कर पातीं. ईस साल रिलिज हुई ‘ठग्स ओफ हिन्दोस्तान’ थी एसी प्रकार की फिल्म है. बकवास और फिकी.
धमाकेदार एक्शन का जलवा... कम्प्युटर ग्राफिक्स का कमाल... बहेतर से बहेतरिन...
साल 2010 में आइ रजनीकांत की ‘रोबो’ (तमिल में ‘एन्धिरन’) ने बोक्सओफिस पर मानो तहेलका मचा दिया था. 130 करोड के बजेट में बनी उस फिल्म ने विश्वभर में ...और पढ़ेकरोड की कमाई की थी. इस लिहाज से देखें तो जब जानने में आया की ‘रोबो’ की सिक्वल ‘2.0’ का बजेट 543 करोड रुपिये है, तो हैरानी हुई थी की इतनी बडी लागत से बनी फिल्म अपना खर्चा कैसे वसूल कर पाएगी, वो भी तब जब उसकी पहेली कडी 300 करोड तक भी नहीं पहुंच सकी थी. चटपटी तो ये जानने की भी थी की आखीर इस फिल्म में ऐसा क्या होगा जो इसका बजेट इतना बडा हो गया है? इतने मोटे-तगडे बजेट की फिल्म पहेले ही दिन देखी, और दोस्तो… मानना पडेगा की बजेट के पूरे 543 करोड रुपिये इस फिल्म में दिखे, और क्या खूब दिखे… दिवाली का मजा पूरी तरह से किरकिरा कर देनेवाली ‘ठग्स ओफ हिन्दोस्तान’ का बजेट 300 करोड बताया गया था, जबकी उस फिल्म में 300 करोड कहीं नहीं दिखे थे. पर ‘2.0’ के केस में एसा नहीं है. ‘2.0’ में किया गया खर्चा पूरी तरह से पर्दे पर दिखता है
वोलिवुड अब बदल चुका है, नई पीढी के दर्शक अब नए प्रकार की कहानियों से सजी फिल्में पसंद करते है, पर ‘केदारनाथ’ के निर्माता-निर्देशक अभिषेक कपूर को शायद ये बात पता नहीं है ईसीलिये उन्होंने एक पचास साल पुरानी ...और पढ़ेदर्शकों के सर मारने की गुस्ताखी की है.
होलिवुड फिल्मों के सुपरहीरो की बात चले तो केवल दो ही युनिवर्स याद आते है. पहला, मार्वेल और दूसरा, डीसी कॉमिक्स. दोनों के बीच मार्वेल का पलडा हमेशा से भारी रहा है. एक से बढकर एक सुपरहीरो एक्शन फिल्में ...और पढ़ेमार्वेल ने डीसी को कहीं पीछे छोड दिया है. 2017 में आई ‘वन्डर वुमन’ ने डीसी को धमाकेदार सफलता दिलाई और कुछ हद तक डीसी की लाज बचाई, ऐसा कहा जा सकता है. अब डीसी आया है एक नये सुपरहीरो 'ऐक्वामैन' को लेकर. और मानना पडेगा की 'ऐक्वामैन' भी डीसी के तरकश से निकला एक सटिक हथियार साबित हुआ है.
फिल्म रिव्यू – ‘ज़ीरो’… क्या किंग खान के करियर की डूबती नैया पार लगा पाएगी ये फिल्म..? (Film Review by: Mayur Patel) कुछ फिल्मों को देखकर विचार आता है की, ‘ईसे बनाया ही क्यूं गया है?’ जैसे की विशाल ...और पढ़ेकी ‘रंगून’ और अनुराग कश्यप की ‘बोम्बे वेल्वेट’. यही सवाल मेरे जहेन में आया ‘ज़ीरो’ देखकर- ‘आखिर ईस फिल्म को क्यूं बनाया गया?’ शायद ये साबित करने के लिये की शाहरुक खान कितनी अच्छी एक्टिंग कर सकते हैं या फिर अनुष्का शर्मा कितनी अच्छी ओवर एक्टिंग कर सकती है? ‘ज़ीरो’ का ट्रेलर देखकर ही लगा था की ईतने विशाल फलक