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‘अलादीन’ फिल्म रिव्यूः मनोरंजन का तूफान

अरेबियन नाइट्स. अरबस्तान की कहानीयां. भारत की न होने के बावजूद भारतीयों को काफी जानी-पहेचानी, अपनी-सी लगनेवाली उन कहानीयों पर बनी एनिमेशन फिल्में तथा सिरियल्स हम सब देख चुके है, पसंद कर चुके है. (याद है ‘अलीबाबा और चालीस चोर’ तथा ‘सिंदबाद’?) कुल मिलाकर एक हजार एक कहानीयों के उस ‘अरेबियन नाइट्स गुलदस्ते’ की एक बहेतरिन कहानी है ‘अलादीन और जादूई चिराग’. वही कहानी अब बडे लाइव एक्शन के रूप में पर्दे पर आई है ‘अलादीन’ बनके.

कहानी कुछ यूं है की… अरबस्तान के अग्रबाह राज्य में एक मुफलिस, अनाथ युवा अलादीन (मेना मसूद) अपने प्यारे बंदर अबू के साथ रहेता है. चोरी करके पेट भरना उन दोनों का पेशा है. एक दिन अलादीन की मुलाकात होती है शेहजादी जास्मिन (नाओमी स्कॉट) से. फिर क्या..? प्यार तो होना ही था. और जहां प्यार वहां तकरार और फिर होती है एन्ट्री… विलन की. अलादीन और शेहजादी की शादी करवाने की लालच देकर विलन जाफर (मार्वान केन्झारी) अलादीन को एक डरावनी गुफा में भेजता है, जहां छुपा होता है एक… जादूई चिराग. एक ऐसा चिराग जिसमें कैद है तीन ईच्छाएं पूरी करनेवाला जिन्न.

फिर क्या होता है? फिर होता है… हूहूहाहा…हा… हुकुम मेरे आका… खूब सारा जादू, मस्ती और धमाकेदार एक्शन. जी हां, दोस्तो. ‘अलादीन’ में वो सारा मसाला कूटकूट कर भरा पडा है जो एक मनोरंजक हिन्दी फिल्म में होना चाहिए. यहां ड्रामा है, कोमेडी है, रोमान्स है, धोखा है, मारधाड है… इतना ही नहीं खूब सारे गाने है और डान्स भी है… और ये सब एक लिज्जतदार पाउंभाजी की तरह परोसा गया है की दर्शकों को मजा आ जाए.

फिल्म की कास्टिंग परफेक्ट है. अलादीन के रोल में मेना मसूद (अब ये मत पूछना की लडके का नाम ‘मेना’ क्यूं है..? कुछ और नहीं मिला था तो ‘तोता’ रख देते..! पर ‘मेना’ क्यूं..?) और राजकुमारी जास्मिन के पात्र में नाओमी स्कॉट दोनों ही बडे क्यूट लगें. उनका अभिनय काफी वास्तविक है. दोनों के बीच की केमेस्ट्री को फूल मार्क्स देने पडेगें. ‘सुलतान’ के रोल में नाविद नेगाहबान और जास्मिन की सेविका कम दोस्त ‘डालिया’ के पात्र में नसिम पेदराद भी अच्छी लगीं. विलन जाफर (मार्वान केन्झारी) थोडे और बहेतर हो सकते थे. लेकिन सबसे बडा करिश्मा किया है जादूई जिन्नी बने विल स्मिथ ने. अपने स्वेग, कोमिक टाइमिंग, डान्सिंग स्किल्स और दमदार अभिनय से विल पूरी फिल्म में छा जाते है. इस रोल को उनसे बहेतर और कोई अदाकार नहीं निभा सकता. सवाल ही नहीं..! उनका गेटअप भी कमाल का है. जिन-अलादीन और जास्मिन ये तीनो पात्र दिल में घर कर जाए इतने प्यारे है.

‘अलादीन’ का प्रोडक्शन डिपार्टमेन्ट जबरदस्त है. यहां हर एक चीज नायाब है. फिल्म के सेट्स, कोस्च्युम्स, ज्वेलरी, सिनेमेटोग्राफी, डायलोग्स, बेकग्राउन्ड म्युजिक, एक्टिंग, डिरेक्शन (गाय रिची), एडिटिंग सभी बढिया है. एक डान्स नंबर के अलावा इस म्युजिकल फिल्म में कुल 9 गाने है..! जी हां, पूरे 9 गाने..!!! कुछ गाने कलाकारों की महत्वकांक्षाओं को दर्शाते है और कुछ उनकी संवेदनाओं को. 3-4 गानों में धमाकेदार डान्सिंग दिखाया गया है और उनकी कोरियोग्राफी बडी ही मजेदार है. गानों के बोल भी अच्छे है.

फिल्म में खासा खर्चा किया गया है और वो पर्दे पर साफ दिखता है. VFX और 3D बहोत बहोत बहोत ही उमदा है. फिल्म में जादू की कई एसे सीन्स है जिन्हें देखकर मुंह खुला का खुला रह जाता है. बंदर अबू के उपरांत एक तोता और एक शेर भी फिल्म में VFX की बदौलत दिखाए गए है, और तीनों जीव काफी रियल लगते है. फिल्म बडी ही कलरफूल है, जैसा की हम भारतीयों को पसंद आती है. ये फिल्म होलिवुड में बनी होने के बावजूद होलिवूड के वजाय बोलिवूड की ज्यादा लगती है.

तो साहेबान-महेरबान-कदरबान, सारे काम छोडके भागीए सिनेमा हॉल की ओर… डिजनी की ये रंगीन-मनोरंजक पेशकश बच्चों के साथ बडों को भी खूब पसंद आयेगी. देखिएगा जरूर, और वो भी 3D में. मनोरंजन का डबल डोज लेकर आई ‘अलादीन’ को मैं दूंगा 5 में से पूरे 4 स्टार्स.

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