स्ट्रीट डांसर 3D - फिल्म रिव्यू - ये नाच क्या रंग लाएगा..? Mayur Patel द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

स्ट्रीट डांसर 3D - फिल्म रिव्यू - ये नाच क्या रंग लाएगा..?

साल 2006 में होलिवुड में एक फिल्म रिलिज हुई थीं- ‘स्टेप अप’. चेनिंग टेटुम स्टारर उस फिल्म में स्ट्रीट डान्सिंग करके स्टार बनने की कहानी थी. फिल्म इतनी जबरदस्त सफल हुई थीं की उसके बाद उसके जैसी कई सारी फिल्में दुनिया के अलग अलग देशों में बनीं और दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल रहीं. हिन्दी में उसकी तर्ज पर 2013 में ‘एबीसीडीः एनी बडी केन डान्स’ बनी थीं, जिस में प्रभु देवा प्रमुख भूमिका में थे. रेमो डिसोजा निर्देशित वो फिल्म कुछ खास नहीं थीं, लेकिन जबरदस्त डान्सिंग की वजह से युवा वर्ग को खूब पसंद आई थीं. 2015 में उसका दूसरा भाग ‘‘एबीसीडी 2’ आई और एक जैसी कहानी होने के बावजूद वो भी काफी सफल हुई थीं. उस फिल्म में प्रभु देवा के साथ थे वरुण धवन और श्रद्धा कपूर. अब 2020 में उसकी तीसरी कडी आई है- ‘स्ट्रीट डांसर 3D’, जिस में भी वो ही स्टारकास्ट है, वो ही कहानी है, वो ही डान्स मूव्ज है.

‘स्ट्रीट डांसर 3D’ में भी वो ही घिसिपिटी ‘डान्स करो और कोम्पिटिशन जीतो’ वाली कहानी है. पाकिस्तानी गैंग की लीडर है श्रद्धा कपूर और हिन्दुस्तानी गैंग का लीडर है वरुण धवन. सारे लंडन में रहेते है और नाचते रहेते है, लडते रहेते है. न कोई पढाई करता दिखता है, न कोई कुछ काम-धंधा करता है. पता नहीं लंडन जैसे महेंगे शहेर में कैसे जी रहे है. लंडन में पले-बडे होने के वाबजूद किसी की एक्सेन्ट में अंग्रेजो वाला लहेजा नहीं सुनाई देता. सारे के सारे बडी ही साफ हिन्दी और पंजाबी बोल लेते है. ब्रिटन में फंसे गैरकानूनी इमिग्रन्टस की मदद का मुद्दा जोडकर कहानी को इमोशनल टच देने की कोशिश की गई है, जो कुछ हद तक ही काम करती है. कोई शिख्ख समाजसेवी संस्था ऐसा काम वास्तव में ब्रिटन में कर रही है और उसका रेफरन्स फिल्म के एन्ड क्रेडिट में दिया गया है.

फिल्म में कुछ भी नयापन नहीं है. माना की डान्सबेज्ड फिल्म की कहानी में ज्यादा ट्विस्ट नहीं ला सकते, लेकिन पीछली दो फिल्मों के जैसे ही सीन और सिच्युएशन्स को एक बार फिर परोसने की क्या मजबूरी थी ? उसको तो बदला जा सकता था ना ! पूरी फिल्म में हिपहोप ही हिपहोप दिखाया गया है, क्या कोई और डान्स फोर्म नहीं दिखा सकते ? कमसेकम सालसा या फिर कन्टेम्पररी की एकाद झलक ही दिखा देते. और फिर एक जैसे गानों और डान्स को देख देखकर भला कितनी देर देखे. बेफिजूल के डान्स ठूंसठूंस कर फिल्म को बेकार में ढाई घंटे तक खींचा गया है, जबकी इसकी कहानी इतनी मामूली है की फिल्म को दो घंटे से कम समय में निपटाया जा सकता था.

अभिनय में वरुण धवन का काम अच्छा है. एकमात्र वो ही है जिनके पात्र में थोडे शेड्स दिखे, बाकी सारे पात्र बिलकुल ही फ्लॅट लगे. श्रद्धा कपूर से लेकर नोरा फतेही और अपारशक्ति खुराना से लेकर जरिना वहाब तक अभी बस ठीकठाक ही है. सलमान-धर्मेश-पुनित-राघव… की हर वीकेन्ड पर टीवी पर दिखनेवाली डान्सिंग-गैंग ने उम्मीद से अच्छा काम किया है. पीछली दो फिल्मों के मुकाबले वो इस बार बहेतर लगे. कमसेकम उन्होंने ओवर-एक्टिंग नहीं की है. प्रभु देवा ने बस वो ही सब किया है जो वो पीछले 25 साल से करते आए है. पूरी स्टारकास्ट ने डान्स करने में, रंगबिरंगी कपडे पहेनकर सुंदर दिखने में और स्टाइल मारने में बराबर ध्यान दिया है, काश के थोडी इन्टेन्स एक्टिंग भी कर लेते. खैर…

रेमो डिसोजा जितने बहेतरिन डान्सर/कोरियोग्राफर है उतने ही खराब डिरेक्टर है, तो उनसे ज्यादा उम्मीदें नहीं रख सकते. उनका काम एवरेज से भी नीचा है. फिल्म का एडिटिंग खराब है. कांटछांट की संभावना होने के बावजूद वो नहीं किया गया. डायलोग्स कहीं कहीं अच्छे है; कभी कभी हंसाने में कामियाब होते है. 2-3 गाने अच्छे है, डान्स के मूड के हिसाब से होने की वजह से देखने-सुनने में पसंद आए. ‘मुकाबला’ गाने में प्रभु देवा का डान्स बहोत ही बढिया है. बेकग्राउन्ड म्युजिक सोलिड है. फिल्म के 3D इफेक्ट भी कमाल के है. बहेतरिन 3D के कारण डान्सिंग मूव्ज और निखर के सामने आए. फिल्म की कोरियोग्राफी बहोत ही तगडी है, लेकिन उसमें एसा कुछ भी नहीं है जो हमने पहेले न देखा हो. वो ही सारे डान्सिंग स्टन्ट्स और फोर्मेशन्स देखने को मिले है.

कुल मिलाकर देखें तो ‘स्ट्रीट डांसर 3D’ एक बासी खीचडी है जिसे सुंदर से रेपर में पैक करके परोसा गया है. दुकान उंची है लेकिन पकवान फिका ही रह गया है. लेकिन जिस हिसाब से सिनेमा हॉल में युवा दर्शक तालियां पीट रहे थे, सीटीयां बजा रहे थे, उसको देखकर इतना तो तय है की फिल्म सुपरहिट होने वाली है. युवा वर्ग को ये फिल्म बेशक पसंद आएगी, क्योंकी इसमें उनका पसंदीदा टाइमपास ‘डान्स’ है और उनका चहेता स्टार ‘वरुण’ है, लेकिन कुछ सेन्सिबल देखना पसंद करनेवाले दर्शकों को ये फिल्म बिलकुल भी रास नहीं आएगी. दूर रहें. मेरी ओर से 5 में से 2 स्टार्स. रेमो का निर्देशन का लायसन्स जप्त किया जाए.