मर्दानी 2 - फिल्म रिव्यू - दमदार या बेकार..? Mayur Patel द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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मर्दानी 2 - फिल्म रिव्यू - दमदार या बेकार..?

2014 की सुपरहिट 'मर्दानी' की सिक्वल 'मर्दानी 2' की कहानी भी महिलाओं संबंधित अपराध के इर्दगिर्द बूनी गई है. पहेले भाग में ह्युमन ट्राफिकिंग गैंग का मुद्दा उठाया गया था तो दूसरे भाग में रेप एन्ड मर्डर के विषय को छूआ गया है. 'मर्दानी 2' की कहानी कुछ यूं है की…

राजस्थान के कोटा शहर में एक विद्यार्थीनी की लाश मिलती है. लडकी का किडनैप, रेप और मर्डर किया गया है. पुलिस ऑफिसर शिवानी शिवाजी रॉय (रानी मुखर्जी) को ये केस सोंपा जाता है. पुलिस जांच चल ही रही थी की एक और लडकी गायब हो जाती है. मामला साफ है. ये काम किसी सिरियल किलर का है. एक ऐसा किलर जिसे महिलाओं से इतनी नफरत है की वो अगवा लडकीयों को जान से मारने से पहेले उन्हें तड़पाता है, उनके साथ बडी ही बेरहमी से बलात्कार और मारपीट करता है. शिवानी रॉय कोटा की सारी पुलिस फोर्स लेकर उस कातिल को पकडने में लग जाती है.

कहानी पूरी फिल्मी है. जी, हां. इस प्रकार की कहानीयां हम फिल्मी पर्दे पर कई बार देख चुके है. स्क्रिप्ट अच्छी है, फिल्म कहीं भी बोरिंग नहीं बनती, लेकिन फिर भी सब कुछ पहेले देखा हुआ लगता है. एसा लगता है जैसे 1990 के दशक की कोई फिल्म देख रहे है. 'मर्दानी' के विषय में नयापन था, यहां ऐसा नहीं है. सायको रेपिस्ट को पकडने में जुटी पुलिस फोर्स की कहानी ही फिर एक बार उसी पुरानी, जानी-पहेचानी स्टाइल में दोहराई गई है. कातिल पुलिस की नाक के नीचे ही काम करता रहेता है, उन्हें फोन करके बार बार चेलैंज देता रहेता है की ‘आओ, मुजे पकड के दिखाओ’, फिर भी कानून के लंम्म्मबे हाथ उस तक नहीं पहुंच सकते, ये बात हजम नहीं होती. आज के जमाने में किसीका मोबाइल ट्रेस करना क्या इतना मुश्किल है ? पूरी फिल्म में रानी मुखर्जी की सभी धारणाएं सही साबित होती रहेती है, ये बात भी खली. पुलिस और क्रिमिनल के बीच जो चूहे-बिल्ली का खेल दिखाया गया है, वो भी कहीं कहीं ‘ओवर द टॉप’ लगता है. रोमांच जगाने के लिए कुछ बेतूके हथकंडे भी अपनाए गए है. जैसे की, किलर दिन-दहाडे बिना किसी की नजर में आए लोगों को उठा ले जाता है, पब्लिक प्लेस में लगे सीसीटीवी से छेडछाड करता है, और कोई उसे कुछ बोलता नहीं. क्राइम के प्लानिंग में उसके सारे पासें भी एकदम से सही पडते रहेते है. ये सारी बातें भी कुछ… फिल्म में थ्रिल तो है, पर उस लेवल का नहीं है जो पहेले भाग में था. कहीं कुछ कमी सी महेसूस होती रहेती है.

'मर्दानी' की कहानी लिखनेवाले गोपी पुथरान ने 'मर्दानी 2' का निर्देशन किया है. फिल्म की कहानी और डायलोग भी उन्होंने ही लिखे है. सभी डिपार्टमेन्ट में थोडा और बहेतर काम हो सकता था, गोपी सर. (जी, हां. सिर्फ नाम गोपी है, बाकी वो है मर्द.) खासकर डायलोग के मामले में. फिल्म की स्क्रिप्ट ऐसी है की तालीमार-सीटीमार डायलोग्स की काफी संभावनाएं थीं, लेकिन अफसोस… ये हो न सका. पहेले ही सीन में किलर का चहेरा दिखा दिया गया है, इसके बजाय थोडी देर उसके चहेरे के बारे में सस्पेन्स बनाए रखते तो थोडा और मजा आता. फिल्म का एडिटिंग अच्छा है. कहीं कहीं लैंगिग असमानता तथा वुमन-एम्पावरमेन्ट संबंधित सीन/डायलोग कांटछांट कर कम किये जा सकते थे, क्योंकी उन में भी कोई न्यापन नहीं है.

अभिनय की बात करें तो रानी मुखर्जी ने हमेशा की तरह एक बार फिर दमदार परफोर्मन्स दी है. पुलिस ऑफिसर की वर्दी में वो काफी फिट लगीं. एक्शन सीन्स को भी उन्होंने जमकर न्याय दिया है. 'मर्दानी' में विलन बने ताहिर राज भसीन ने बहोत ही बहेतरिन काम किया था, इसलिए डर तो था की 'मर्दानी 2' का विलन क्या उस उंचाई तक पहुंच पाएगा..? लेकिन ये डर बिलकुल ही खारिज हो गया क्योंकी 'मर्दानी 2' के सायको रेपिस्ट के रोल में विशाल जेठवा ने बहोत बहोत बहोत ही उमदा अभिनय किया है. रानी जैसी मंजी हुई अभिनेत्री से टक्कर लेना आसान नहीं था लेकिन विशाल ने वो करके दिखाया है. सायको किलर की मानसिक स्थिति को उन्होंने बखूबी पर्दे पर निखारा है. उनकी हरकतें एसी है की दर्शक उनसे नफरत करने पर मजबूर हो जाते है. ‘महाराणा प्रताप’ सिरियल में बादशाह अकबर की भूमिका करनेवाले विशाल ने अपने किरदार ‘सनी’ की बॉडीलेंग्वेज को शतप्रतिशत पकडा है. पूरी फिल्म में वो छा जाते है. यकीन नहीं होता की ये उनकी पहेली ही फिल्म है. इस फिल्म का सरप्राइज-पेकेट विशाल ही है. अवोर्ड के लायक अभिनय !

फिल्म के बाकी के कलाकारों क चयन और अभिनय भी बिलकुल नपातुला है. केवल पौने दो घंटे की इस फिल्म में एक भी गाना नहीं है जो की अच्छी बात है क्योंकी इस फिल्म में गानों की कोई जरूरत ही नहीं थी. फिल्म का बेकग्राउन्ड म्युजिक फिल्म के मूड के हिसाब से है. सिनेमेटोग्राफी भी एक नंबर है. क्लायमेक्स बढिया है और आखरी सीन एसा है जब सिनेमाहॉल सीटीयों-तालियों से गूंज उठता है.

कुल मिलाकर देखें तो ‘मर्दानी 2’ एक अच्छी फिल्म होने के बावजूद ‘मर्दानी’ के स्तर पर नहीं पहुंच सकती. उम्मीद से आधा देनेवाली इस फिल्म को मेरी ओर से 5 में से 3 स्टार्स. देश में इस वक्त जिस प्रकार से बलात्कार-विरोधी माहोल चल रहा है, उसे देखकर लगता तो है की ये फिल्म बोक्सऑफिस पर चलेगी. आप भी देख सकते है, लेकिन ज्यादा उम्मीद लगाकर मत जाइएगा. फिल्म में न्यूडिटी तो नहीं है, लेकिन कुछ विज्युअल्स विचलित करदेनेवाले जरूर है तो बच्चों को इस फिल्म से दूर ही रख्खे.