स्टुडन्ट ऑफ द यर 2- फिल्म रिव्यू हिंदी Mayur Patel द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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स्टुडन्ट ऑफ द यर 2- फिल्म रिव्यू हिंदी

खाना चाहे कितना भी सजा-धजा कर परोसा जाए, अगर उसमें स्वाद ही नहीं होगा तो कीसीको भाएगा क्या..? नहीं, बिलकुल ही नहीं. ‘स्टुडन्ट ऑफ द यर 2’ का हाल भी कुछ उस बासी डिश जैसा है, जो दिखने में तो बहोत अच्छी है, पर है पूरी तरह से बेस्वाद.

फिल्म में कहानी ढूंढने की कोशिश मत किजिएगा, क्यूंकी कहानी जैसा कुछ है ही नहीं. जो कुछ पतला सा है वो एसा है की… दहेरादून के पिशोरीलाल कोलेज के होनहार स्टुडन्ट रोहन शर्मा (टाइगर श्रॉफ) स्पोर्ट्स स्कोलरशिप जीत कर सेइन्ट टेरेसा जैसे महेंगे कोलेज में एन्ट्री मारते है, जहां उन्हें मिआ (तारा सुतरिया) और श्रेया (अनन्या पांडे) का प्यार तथा मानव महेरा (आदित्य सील) की दुश्मनी मीलती है. और फिर क्या होता है? सब डिजाइनर कपडे बदलते रहेते है, नाचते-गाते रहेते है, कबड्डी खेलते रहेते है और एक-दूसरे को मारते-पीटते रहेते है. और बेचारे करे भी क्या? जहां कहानी ही पोटेटो चीप्स जितनी पतली हो वहां बेचारे एक्टर्स उखाड उखाड के भी क्या उखाड लेगें?

फिल्म का फर्स्ट हाफ बेकार है. टाइगर यहां वहां फुदकते रहेते है और लडकियां अपनी जवानी के जलवे बीखेरती रहेती है. इन्टरवल के बाद थोडे समय के लिए, बस थोडे ही समय के लिए फिल्म थोडी सी गति पकडती है और इन्टरेस्टिंग बनती है, लेकिन क्लाइमेक्स आते आते बुरी तरह से पस्त हो जाती है. फिल्म में कोई बडी स्टारकास्ट न होने की वजह से फिल्म का पूरा भार टाइगर के कंधो पर आ जाता है. उन्होंने पूरी इमानदारी से महेनत की है और वो महेनत पर्दे पर दिखती है, लेकिन सिर्फ उनका अच्छा परफोर्मन्स काफी नहीं है इस फिल्म को सफल बनाने के लिए. फिल्म में दो हिरोइन है तो जाहिर है की दोनों के बीच कम्पेरिजन होगा ही. तारा सुतरिया बहोत खूबसूरत लगीं, और बस खूबसूरत ही लगीं, बाकी जब एक्टिंग की बात आती है तो चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे उनसे बहोत बहेतर है. दोनों ने डान्सिंग अच्छा किया है पर तारा के मुकाबले अनन्या को डान्स करने का मौका भी ज्यादा मिला है. टाइगर का किरदार बिना वजह सिरियस बना दिया गया है, मानो पूरी दुनिया की जिम्मेदारी उनके उपर थोप दी गई हो. एसे हालात में अनन्या कोमिक रिलिफ बनके आती है. उनके हिस्से में फनी डायलोग्स आए है जिसका पूरा फायदा उन्होंने उठाया है. तारा के सामने अनन्या हर एक सीन में बाजी मार जाती है तो मेरे हिसाब से शी इज द क्लियर विनर ओफ द टु. ‘स्टुडन्ट ऑफ द यर’ में वरुण ने ज्यादा दिल जीते थे लेकिन उनके मुकाबले सिद्धार्थ का रोल भी ज्यादा कमजोर नहीं था. ‘स्टुडन्ट ऑफ द यर 2’ में तारा को इन्टरवल के बाद तो साइडलाइन ही कर दिया गया है, और सारा फोकस अनन्या पर आ जाता है. डिरेक्टर की चूक ही कहेंगे इसे, और क्या. डिरेक्टर करन जोहर ने ‘स्टुडन्ट ऑफ द यर’ में अच्छा-खासा मनोरंजन परोसा था. यहां डिरेक्टर पुनित मलहोत्रा कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए. अब ‘आइ हेट लव स्टोरीज’ और ‘गोरी तेरे प्यार में’ जैसी महा-बंडल फिल्मों का डिरेक्टर दे दे कर क्या दे देगा?

‘स्टुडन्ट ऑफ द यर 2’ का म्युजिक भी कुछ खास नहीं है. गाने फूट-टेपिंग तो है, लेकिन याद रखने लायक या गुनगुनाने के काबिल बिलकुल नहीं है. ‘ये जवानी…’ का रिमिक्स फिर भी थोडा पसंद आया. गानो पर टाइगर खूब नाचे है. उनको अनोखी कोरियोग्राफी दी गई है. वो जब डान्स करते है तो उनसे आंखे नहीं हटती. एक गाने में होलिवुड के सुपरस्टार विल स्मिथ 10 सेकन्ड के लिए आते है और 4 स्टेप करके चले जाते है, पर वो 4 स्टेप्स भी दर्शकों को खुश कर देते है. सिनेमा हॉल सीटीयों से गूंज उठता है. (प्रोड्युसर्स में से एक होलिवुड का स्टुडियो फोक्स स्टार है, इसीलिए स्मिथ की एक जलक इस फिल्म में देखने को मिली है)

‘स्टुडन्ट ऑफ द यर 2’ में थोडे-बहोत संवाद दर्शकों को हसाने में कामियाब होते है, बाकी राइटिंग में कोई दम नहीं है. मुख्य कलाकारों के बीच की केमेस्ट्री भी बस ठीकठाक ही है और सहायक कलाकार भी सारे के सारे अधकचरे से लगे. काश की जितना ध्यान डान्स कोरियोग्राफी पर दिया गया है उतना ध्यान एक्शन कोरियोग्राफी पर भी दिया गया होता. फिल्म में ज्यादातर फाइट मूव्ज वाहियात है. कबड्डी के नियम शायद इस फिल्म बनानेवालों में से किसीको नहीं मालूम. असली कबड्डी का रोमांच इस फिल्मी कमड्डी में कहीं नहीं दिखता. एसा ही हाल रेसिंग के सीन्स में भी है. फिल्म में जो भी स्पोर्ट्स कोम्पिटिशन दिखाई गई है उसे बहोत ही रोमांचक ढंगे से फिल्माया जा सकता था, लेकिन एसा कतई नहीं हुआ. सबसे बडा अफसोस!!!

‘स्टुडन्ट ऑफ द यर’ कोई ग्रेट फिल्म नहीं थी, लेकिन ‘स्टुडन्ट ऑफ द यर 2’ इतनी कमजोर है की इसे देखने के बाद ‘स्टुडन्ट ऑफ द यर’ जरूर क्लासिक लगेगी. करन जोहर के खाते की एक और ‘कलंक’, और क्या? 5 में से केवल 2 स्टार्स.