Kataasraj.. The Silent Witness book and story is written by Neerja Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kataasraj.. The Silent Witness is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कटासराज... द साइलेंट विटनेस - उपन्यास
Neerja Pandey
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
सन् उन्नीस सौ सैतालिस का समय बिहार के सिवान का एक छोटा मगर समृद्ध गांव। हर तरफ आजादी की मांग चरम पर पहुंच चुकी थी। देश के कोने कोने से, हर घर घर से बस एक ही आवाज उठ रही थी आजादी… आजादी … आजादी….। गांधी का अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था। हर दिल में असमंजस की स्थिति थी। कभी कोई खबर उड़ती उड़ती गांव में पहुंचती .. तो कभी कोई..। क्या बंटवारा होगा…! अगर होगा तो कैसे होगा…? भला ये कैसे संभव होगा…? कौन सा हिस्सा किसके हाथ सौंपा जाएगा….? क्या बंटवारे करना… शरीर को धड़ से जुदा करना नही होगा…? देश का हर हिस्सा तो एक दूसरे से प्यार और लगाव की चाशनी से गुथा हुआ है। किसे काट कर अलग करोगे…? क्या ये आम जनता से नही पूछा जायेगा…? देश का कोना कोना तो रिश्ते की डोर से बंधा हुआ है। कोई भी हिस्सा तो पराया नही लगता। फिर किसे ये नेता लोग अलग करेंगे..? पाकिस्तान की मांग जोरों पर थी। पर आम जन मानस के मन को ये बंटवारा स्वीकार नहीं था। उनको गांधी जी पर पूरा विश्वास था कि किसी भी हालत में वो देश को बंटने नही देंगे। सब को यही लगता था कि जिन्ना जी अभी नाराज है तो मुस्लिमों के लिए अलग देश की मांग कर रहे है। जब गुस्सा उतरेगा… और उन्हें महसूस होगा कि वो गलत मांग कर रहे हैं। जब आजादी की जंग मिल कर लड़ी तो आजादी के बाद अलग क्यों होंगे…? जब हिंदू और मुसलमान भाई आपस में मिलजुल कर रहे हैं। उन्हें साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं तो ये मुस्लिम लीग और जिन्ना कौन होते हैं हमें अलग करने वाले।
भाग 1 सन् उन्नीस सौ सैतालिस का समय बिहार के सिवान का एक छोटा मगर समृद्ध गांव। हर तरफ आजादी की मांग चरम पर पहुंच चुकी थी। देश के कोने कोने से, हर घर घर से बस एक ही ...और पढ़ेउठ रही थी आजादी… आजादी … आजादी….। गांधी का अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था। हर दिल में असमंजस की स्थिति थी। कभी कोई खबर उड़ती उड़ती गांव में पहुंचती .. तो कभी कोई..। क्या बंटवारा होगा…! अगर होगा तो कैसे होगा…? भला ये कैसे संभव होगा…? कौन सा हिस्सा किसके हाथ सौंपा जाएगा….? क्या बंटवारे
भाग 2 सलमा ने साजिद की बात सुन कर उसकी ओर सवालिया नजरो से देखा और बोली, "क्या मैं अकेली चली जाऊं…? वो भी इतनी दूर……! कभी तुम्हारे बिना या किसी और को साथ लिए बगैर बाजार तक तो ...और पढ़ेनही हूं। अब कह रहे हैं आप कि इतनी दूर अकेली ही चली जाऊं….?" साजिद बोले, "पर मैं कैसे चलूं….? अभी तो सीजन चल रहा है। तुम तो जानती ही हो अभी ही माल खरीद कर स्टोर करना पड़ता है। तभी ऑफ सीजन होने पर बेचने पर अच्छा मुनाफा मिलता है। मैं चला गया तो पूरे साल का बिजनेस गड़बड़
भाग 3 अमन और सलमा को साजिद रावल पिंडी रेलवे स्टेशन छोड़ने आए। जिससे उन्हें कोई परेशानी नहीं हो। ट्रेन आने पर उन्हें बिठा कर साजिद ट्रेन खुलने तक रुके रहे। फिर ट्रेन जाने पर वापस घर आ गए। ...और पढ़ेसे कई साल बाद वो अलग हो रहे थे। बहुत ही बुरा महसूस हो रहा था उन्हे भीतर से। जब से सलमा जिंदगी में आई थी , तब से कभी अलग नहीं हुई थी। जब भी वो मायके या रिश्तेदारी में गई साजिद के साथ ही गई थी। साजिद को ऐसा लग रहा था जैसे सलमा अकेली नहीं जा रही
भाग 4 शमशाद को ये तो पता था कि चकवाल से सलमा खाला जरूर आएंगी। पर कब आयेंगी इसका पता नही था…? इधर साजिद को चिंता लगी हुई थी कि सलमा इस्माइलपुर तक पहुंच तो जाएगी लेकिन शमशाद के ...और पढ़ेतक कैसे पहुंचेगी। फिर उसने इसका उपाय निकाला और तार घर चला गया। शमशाद के नाम टेलीग्राम कर दिया। उसमे खबर दे दी कि सलमा और अमन परसो दोपहर तक पहुंचेंगे। उन्हें स्टेशन से ले ले। शमशाद खबर पा कर बहुत खुश हुआ कि आखिर खाला आ ही रही हैं। वो भी निकाह से इतना पहले। उससे भी ज्यादा खुश
भाग 5 आरिफ का निकाह बगल के गांव की नाज नाम की लड़की के साथ तय हुआ था। नाज शमशाद के चचा जाद फूफी नईमा की बेटी थी। रिश्तेदारी की वजह से एक दूसरे के घर आना जाना होता ...और पढ़ेथा। इस वजह से नाज और आरिफ एक दूसरे से बखूबी परिचित थे। आपस में बातें करते, खानदान के दूसरे हमउम्र बच्चों के संग घूमते और परिवार के किसी भी जलसे में शामिल होते थे। पर ये सब कुछ सिलसिला तभी तक कायम था जब तक निकाह तय नहीं हुआ था। तब से बदल गया जब से उनके निकाह की