कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 109 Neerja Pandey द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 109

भाग 109

ऐसे एक महीना बीत गया।

पुरवा की चुप्पी लगातार बढ़ती ही गई। दो बार पूर्वी दीवान को भी साथ लेकर आई कि हो सकता है उसके आने से पुरवा की ख़ामोशी टूटे। पर पूर्वी की ये कोशिश भी सफल नहीं हुई। वो विवान से भी विरक्त ही रही।

तबियत में लगातार गिरावट आस रही थी। महेश के जिम्मे देश के बड़े नेता का केस आ गया था। पार्टी हाई कमान से वो नेता इस केस के जितने के बदले लोक सभा का टिकट दिलवा सकता था। इस लिए अपनी पूरी टीम और पवन को साथ ले कर महेश इस केस को जीतने ले जुटा हुआ था।

अब पुरवा खुद से तो कुछ बताने से रही।

पूर्वी ने इसका उपाय विवान के साथ बहुत सोच कर निकाला। उसने विवान के घर जा कर उसके डैडी से मिलने का फैसला किया।

उसी दिन शाम को वो विवान के साथ उसके घर गई।

विवान ने पूर्वी के बारे में अपने डैडी को बताया हुआ था। पर उससे मिलवाया नही था।

विवान के साथ पूर्वी को देख कर विक्टर ने वेलकम करते हुए कहा,

"तुम पूर्वी हो ना..!"

पूर्वी ने "हां" कहते हुए विक्टर के पांव छुए और तीनों लोग अंदर आ गए।

विवान की मम्मी सोफिया कुछ देर बाद कॉफी और कुछ नमकीन ले कर आई।

ओपचारिक परिचय और बात चीत के बाद विवान बोला,

"डैडी..! पूर्वी आपसे कुछ जानकारी चाहती है। प्लीज जितना आपको पता हो आप उसे बता दीजिए। उसकी मम्मी की तबियत बहुत खराब है।"

गंभीर बात चीत सुन कर पूर्वी की बात चीत की प्राइवेसी बनाए रखने के लिए सोफिया काम होने की बात कह कर किचेन में चली गई।

******

पूर्वी और विवान ने हॉस्पिटल में पुरवा के साथ हुई मुलाकात की सारी बात पूरी डिटेल में विक्टर को बताई।

जैसे जैसे विक्टर उनकी बातें सुनता जा रहा था, उसके चेहरे पर आश्चर्य और परेशानी के भाव बारी बारी से आ जा रहे थे। वो असमंजस में था कि वो पूर्वी से क्या छुपाए, क्या बताए..? हो सकता है पुरवा ठीक हो जाए उसके सच बताने से। काफी सोच विचार कर के पूर्वी के चुप होते ही विक्टर ने पूछा,

"तुम्हारी मम्मी का नाम पुरवा है ना।"

पूर्वी उनके कहते ही समझ गई कि उसकी मम्मी के जीवन का एक पन्ना ऐसा है जिसे उन्होंने सब से छुपा कर रक्खा हुआ है। अब विक्टर अंकल और वैरोनिका आंटी ही इस बात की सच्चाई बता सकती हैं।

विक्टर बोला ज्यादा तो मैं नही जानता क्योंकि मेरा तुम्हारी मम्मी के साथ कुछ घंटों का ही साथ पड़ा था। हां.! वैरोनिका दी तुम्हें जरूर सच बता सकती हैं। मैं ट्रंक कॉल बुक कर देता हूं। तुम खुद ही उनसे पूछ लो जो कुछ पूछना हो।

विक्टर बातें करता रहा, विवान से ट्रंक कॉल बुक करने को कहा।

करीब एक घंटे बाद लाइन मिली और वैरोनिका के घर घंटी बाजी।

लंबी घंटी सुन कर वैरोनिका समझ गई कि जरूर इंडिया से विक्टर का ही फोन होगा।

वो उम्र होने से घुटनों के दर्द से परेशान रहती थी। इस लिए दुविधा के लिए फोन आने पर बार बार ना उठना पड़े इसलिए एक अपने बिस्तर के पर और दूसरा अमन के बेडरूम में रक्खा हुआ था।

जैसे ही रिसीवर उठा कर हैलो कहा… उधर से विक्टर की आवाज आई।

कुशल क्षेम पूछने के बाद विक्टर ने पूर्वी और विक्टर से हुई सारी बात संक्षेप में बताई और उससे पूर्वी से बात कर पुरवा के अतीत के बारे में सच बताने का अनुरोध किया।

बीता हुआ दुखद कल इस तरह अचानक सामने आ खड़ा होगा इसकी उम्मीद वैरोनिका को कभी नही थी।

इस तरह अचानक आ खड़ी हुई परिस्थिति में वो पुरवा के जीवन का दुखद पन्ना कैसे और किस तरह खोले समझ नही आ रहा था। पर पुरवा के बिगड़ती तबियत के रोकने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही था।

वेरोनिका ने पुरवा से अपनी हॉस्पिटल की मुलाकात, फिर अपने साथ उनको घर ले आना, अशोक की बीमारी, फिर एक दिन उर्मिला के मौत की खबर पेपर में अमन का पढ़ना। फिर अमन का उसको छोड़ने उसके घर तक जाना सब कुछ पूर्वी को बताया।

कितना कुछ उसकी मां में सहा है। सुनने हुए पूर्वी की आंखे गीली हो है। उसने वैरोनिका आंटी से पूछा,

"आंटी..! क्या अमन जी से बात हो सकती है..?"

वो बोली,

"हां बेटा ..! हो क्यों नही सकती..! पर इस वक्त वो है नही। हॉस्पिटल गया है। एक बहुत जरूरी पेशेंट देखना था। तुम कल सुबह दस बजे फोन करना बात हो जायेगी।"

इसके बाद वैरोनिका ने ढेरों आशीर्वाद देते हुए फोन का रिसीवर रख दिया। पुरवा उसे अपनी बेटी जैसी प्यारी थी। आज उसी पुरवा की बेटी से उसकी बात हो रही थी। आशीर्वाद कैसे ना देती। अब बस यही प्रार्थना थी गॉड से की पुरवा को अच्छा कर दे। वो तो अपनी जिंदगी जी चुकी। उसकी बाकी उमर पुरवा को लग जाए और वो ठीक हो जाए।

पेशेंट देख कर आने में अमन को देर हो गई। वो करीब साढ़े दस बजे रात में घर आया।

वैरोनिका चाहे कितनी भी देर हो जाए बिना अमन के डिनर नही करती थी।

वो आया तो नौकर अपनी रोज की ड्यूटी समझते हुए बिना कहे ही खाना लगाने लगा।

कपड़े बदल कर हाथ मुंह धो कर अमन भी खाने की टेबल पर आ कर बैठ गया और बोला,

"आंटी..! आपको मेरी वजह से बहुत परेशानी होती है ना। अब देखिए इतनी देर तक आप भी बिना खाए पड़ी हुई हैं। अब क्या करूं मेरा काम ही ऐसा है। किसी को दर्द में छोड़ कर निवाला मेरे गले से नही उतरता क्या करूं..! आप खा लिया करो.. कितनी बार समझाया है आपको। पर आप तो.."

वैरोनिका अपनी ओर अमन की प्लेट में सब्जी डालते हुए बोली,

"चुप कर.. ज्यादा ही बोलता है तू, जिस दिन देर से आता है। दिन भर तो कुछ न कुछ ये खिलाता ही रहता है। ( नौकर की ओर इशारा कर के बोली) जल्दी से खा ले फिर तुझे कुछ जरूरी बात करनी है। आज विक्टर का फोन आया था दिल्ली से।"

अमन खाते हुए पूछा,

"सब ठीक तो है ना।"

वैरोनिका बोली,

"हां..! सब ठीक ही है। तुम खा लो। फिर आराम से बात करेंगे।"

क्या बात है जानने की लालसा सेवामन ने जल्दी जल्दी खाना खत्म किया। वो जनता था कि पूछने से कोई फायदा नही है। जब आंटी ने कह दिया खाने के बाद बताएंगी.. तो फिर वो खाने के बाद ही बताएंगी।

दोनो ने खाना खत्म किया और ड्राइंग रूम के सोफे पर आ कर बैठ गए। नौकर कॉफी का मग उन्हें पकड़ा गया। सिप लेते हुए अमन ने पूछा,

"हां.. आंटी ..! आप कुछ बताने वाली थीं मुझे।"

वैरोनिका ने पूरी बात अमन को बताई जो उससे पूर्वी और विक्टर ने बताई थी। अमन भी भौचक्का सा सब कुछ सुन रहा था।

ये खुदा की कैसी मर्जी है..! जिसे दिल के सात पर्दों में दबा कर रक्खा था कि किसी को पता ना चले। आज वो अतीत अचानक से उसके सामने आ खड़ा हुआ है। पुरवा का नाम और उसकी बीमारी के बारे में दिन कर अमन तड़प उठा। काश पुरवा की बीमारी उसे हो जाए। पुरवा स्वस्थ हो कर फिर से अपनी हंसी खुशी वाली जिंदगी जिए।

वैरोनिका ने बताया कि कल दस बजे सुबह पूर्वी तुमसे बात करने के लिए फोन करेगी। अमन के दिल की हालत आंटी समझ रही थीं। क्या वो नही समझती कि अपने अम्मी अब्बू के लाख समझाने के बाद भी उसने शादी क्यों नही की..! शादी के लिए दबाव बनाने पर क्यों वो उनसे दूर हो गया..! उसके सिर पर तसल्ली भरा हाथ रख कर वो सोने चली गईं।

अमन को आज पूर्वी से बात नही हो पाने का अफसोस हो रहा था।

अब बस सुबह का इंतजार था।

वो जाकर अपने कमरे में लेट गया।

पुरवा के साथ हुई हर मुलाकात उसके जेहन में घूम रही थी। उसकी एक एक बात याद आ रही थी। बड़ी देर तक जागता रहा। ना जाने कब आंख लग गई।

सुबह जागा तो आठ बज गए थे। बाहर आया तो आंटी उसे देख कर मुस्कुराते हुए बोली,

"देर तक जागे थे ना..! इसलिए सुबह जगाया नही। चलो रेडी हो जाओ फिर नाश्ता करते हैं।"

अमन एक कप चाय पी कर नहाने चला गया।

नहा धो कर, नाश्ता कर के वो साढ़े नौ बजे तक रेडी हो कर फोन के पास बैठ गया।